बदलाव की पहल! मिल गया कचरे का समाधान, कर्नाटक में खुलेगा प्लास्टिक वेस्ट से बनी मूर्तियों का म्यूजियम

बेंगलुरू के नज़दीक नंदी हिल्स में प्लास्टिक कचरे की मूर्ति का एक संग्रहालय बनाया जा रहा है. जिसके लिए देशभर से 25 युवा कलाकारों के चयनित किया गया. इन कलाकारों को फेमस मूर्तिकार अनुज पोद्दार और सुशील सखूजा ट्रेन करेंगे.

प्लास्टिक वेस्ट से बनी मूर्ति
शताक्षी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 15 मई 2022,
  • अपडेटेड 1:47 PM IST
  • युवा कलाकार बनाएंगे प्लास्टिक की मूर्ति
  • बेंगलुरू के नंदी हिल्स में बनेगा म्यूजियम

दुनियाभर में प्रदूषण एक बहुत बड़ा मुद्दा है. फिर चाहे वो जमीन पर हो, पानी में हो या हवा में हो, प्रदूषण और कचरा काफी बड़ी समस्या है. दुनिया के कई देश इसका समाधान खोजने में लगे हुए हैं. भारत भी इसी प्रयास में है. लेकिन इस कचरे से निजात पाना आसान नहीं है. अगर आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो, 

"भारत में हर साल 62 मिलियन टन कचरा पैदा होता है. लगभग 43 मिलियन टन (70%) इकट्ठा किया जाता है, जिसमें से लगभग 12 मिलियन टन कचरे का ही मैनेजमेंट हो पाता है और 31 मिलियन टन को लैंडफिल साइटों में डंप कर दिया जाता है. वहीं प्लास्टिक कचरे की बात करें तो भारत सालाना 35 लाख टन प्लास्टिक कचरा पैदा कर रहा है."

ये आंकड़े हैरान करने वाले हैं, और इससे निपटना बेहद जरूरी है. इसको मद्देनजर रखते हुए बेंगलुरू के नज़दीक नंदी हिल्स में प्लास्टिक कचरे की मूर्ति का एक संग्रहालय बनाया जा रहा है. जिसमें देश भर से एक नेशनल प्रतियोगिता के जरिए चुने गए 25 कलाकार ये मूर्ति बनाएंगे. 

दरअसल ये नेक काम कृति फ़ेलोशिप के तहत हो रहा है,  जो युथ कैंपेन संस्था द हाइफन और इंडस्ट्री संगठन वीकेयर के तत्वावधान में बेंगलुरु के डिस्कवरी विलेज के सहयोग से आयोजित किया गया है. इसके अंतर्गत इन युवा कलाकारों का चयन किया गया है. इसको लेकर GNT Digital की टीम ने बात की यूथ कैंपेन संस्था द हाइफन संस्थापक अपरेश मिश्रा से बात की. 

युवाओं ने कुछ इस प्रकार दिया मूर्ति का आईडिया

युवा कलाकार बनाएंगे प्लास्टिक की मूर्ति
अप्रेश ने बताया कि, "कृति फेलोशिप के तहत, कई युवा कलाकारों से उनके वर्क सैंपल मांगे गए थे जिसमें से 25 सबसे अच्छे वर्क सैंपल का चयन जूरी ने किया है. इन युवा कलाकारों को पूरी तरह से इस्तेमाल किए गए प्लास्टिक या प्लास्टिक कचरे से बनी आदमकद मूर्तियां बनाने के लिए फेमस मूर्तिकार अनुज पोद्दार और सुशील सखूजा ट्रेन करेंगे. उसके बाद इन मूर्तियों को नंदी हिल्स के पास प्लास्टिक अपशिष्ट मूर्तियों के अपनी तरह के पहले संग्रहालय में जगह मिलेगी. इन सभी युवाओं की उम्र 30 साल से कम हैं." 

कुछ ऐसी दिखेगी मूर्ति

भारत में बैन हो रहा है प्लास्टिक की इन चीजों का इस्तेमाल
इस संग्रहालय का उद्घाटन 1 जुलाई को किया जाएगा, क्योंकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश के अनुसार भारत इस साल 1 जुलाई से कुछ एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं पर पूर्ण प्रतिबंध लागू करेगा. प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने का संदेश देते हुए इस संग्रहालय की स्थापना की जा रही है. 1 जुलाई से लगने वाले बैन के बाद से प्लास्टिक की वस्तुओं में ईयरबड्स, झंडे, कैंडी, आइसक्रीम की छड़ें, सजावटी थर्माकोल, 100 माइक्रोन से कम मोटे पीवीसी बैनर, स्टिरर, रैपिंग फिल्म, कप, गिलास और कटलरी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाएगा.

नई प्रतिभाओं को मौका देते हैं अप्रेश
दरअसल अप्रेश द हाइफेन (The Hyphen) नाम की एक संस्था चलाते हैं. जिसके जरिए वो युवाओं को नई-नई प्रतिभाओं से रूबरू करवाते हैं. फिलहाल इनकी संस्था सिने इम्पैक्ट नाम की एक फैलोशिप के अंदर एक सोशल फिल्म पर भी काम कर रहे हैं, जिसके लिए इंडस्ट्री के काफी दिग्गज डायरेक्टर उन्हें ट्रेन भी कर रहे हैं. 

मूर्ति के जरिए जागरूक होंगे लोग

प्लास्टिक कचरे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक होंगे लोग
द हाइपन के संस्थापक अपरेश मिश्रा ने कहा, द हाइफन का उद्देश्य राष्ट्र निर्माण के लिए युवाओं की क्षमता को चैनलाइज करना है. मिश्रा ने कहा, हमारा उद्देश्य प्लास्टिक कचरे के दुष्प्रभावों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कला का उपयोग करना है और दूसरों को कचरे के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने और हर संभव तरीके से हमारे पर्यावरण की रक्षा करने के लिए इसी तरह की पहल करने के लिए प्रोत्साहित करना है.

कर्नाटक सरकार दे रही है प्रोत्साहन
बता दें कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई तथा नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने औपचारिक तौर पर दिसंबर में कृति फेलोशिप लॉन्च की थी. यह पहल युवा कलाकारों को प्लास्टिक कचरे से मूर्तियां बनाने के लिए अपनी तरह का पहला प्रोत्साहन है. इस तरह की पहल वाकई हमारे पर्यावरण को काफी हद तक बचा सकती है. 

 

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