कोरोना महामारी की शुरुआत में हुआ था सेटअप, पहले साल मे PM-CARES फंड में आए लगभग 11,000 करोड़ रुपए

PM Cares Fund: इस कोष की स्थापना कोविड महामारी जैसी आपात स्थितियों (प्राकृतिक आपदाओं से परे) के लिए फंड इकट्ठा करने के लिए की गई थी. प्रधान मंत्री इसके एक्स-ऑफिशिओ प्रेजिडेंट (पदेन अध्यक्ष) हैं, और सभी फंडिंग आयकर से पूरी तरह मुक्त है. एक स्टेटमेंट के मुताबिक अपने संचालन के पहले साल में फंड में 7,014 करोड़ रुपए बचे हैं. 

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gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 08 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 11:10 AM IST
  • COVID-19 महामारी की शुरुआत में बना PM-CARES फंड
  • आरटीआई के दायरे में नहीं है पीएम-केयर्स

साल 2020 में COVID-19 महामारी की शुरुआत में PM-CARES फंड बनाया गया था. इस फंड ने मार्च 2021 तक अपने पहले साल में 10,990 करोड़ रुपए इकट्ठा किए हैं. और अलग-अलग राहत अभियानों के लिए 3,976 करोड़ रुपए, या 36.17% धन का उपयोग किया.

इस कोष की स्थापना कोविड महामारी जैसी आपात स्थितियों (प्राकृतिक आपदाओं से परे) के लिए फंड इकट्ठा करने के लिए की गई थी. प्रधान मंत्री इसके एक्स-ऑफिशिओ प्रेजिडेंट (पदेन अध्यक्ष) हैं, और सभी फंडिंग आयकर से पूरी तरह मुक्त है. 

एक स्टेटमेंट के मुताबिक अपने संचालन के पहले साल में फंड में 7,014 करोड़ रुपए बचे हैं. 

कहां खर्च हुई राशि: 

पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) में से खर्च की गई राशि में ज्यादातर राशि कोविड -19 वैक्सीन डोज़ खरीदने में गई. 1,392 करोड़ रुपए (35%) से 66 मिलियन वैक्सीन शॉट्स खरीदे गए. कुल 1,311 करोड़ रुपए (33%) का इस्तेमाल 50,000 “मेड इन इंडिया” वेंटिलेटर खरीदने के लिए किया गया था. और प्रवासियों के कल्याण के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को 1,000 करोड़ रुपए वितरित किए गए थे. 

अन्य 201 करोड़ रुपए का इस्तेमाल देश भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के अंदर 162 प्रेशर स्विंग एडज़ोर्प्शन (पीएसए) मेडिकल ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट को स्थापित करने के लिए किया गया था. और नौ राज्यों में 16 आरटी-पीसीआर टेस्टिंग लैब और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ मुजफ्फरपुर और पटना में 500-बेड के दो अस्थायी कोविड -19 अस्पताल की स्थापना पर लगभग 50 करोड़ रुपए उपयोग में लिए गए. 

20 करोड़ रुपये जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत दो ऑटोनोमस इंस्टिट्यूट लैब्स को कोविड -19 वैक्सीन के ट्रायल के लिए केंद्रीय दवा प्रयोगशालाओं (सीडीएल) के रूप में अपग्रेड करने के लिए दिए गए.
 
आरटीआई के दायरे में नहीं है पीएम-केयर्स:

पिछले साल 23 सितंबर को, केंद्र सरकार और प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि पीएम-केयर्स फंड को सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे में नहीं लाया जा सकता क्योंकि यह एक सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है. और न ही इसे राज्य के निकाय के रूप में सूचीबद्ध किया जा सकता है. 

हालांकि इस बारे में बहुत-सी याचिकाएं की गई हैं कि पीएम केयर्स के बारे में जानकारी सार्वजनिक की जाए. यह मामला अभी अदालत में पेंडिंग है. 

 

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