Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा से पहले PM मोदी ने कड़े शुद्धीकरण 'नियमों' का पालन किया...सिर्फ नारियल पानी पीकर पूरा किया 11 दिन का अनुष्ठान, जानिए अन्य नियम

श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा से पहले PM मोदी ने कड़े शुद्धीकरण 'नियमों' का पालन किया. इसमें भूमि पर सोना, गो सेवा के अलावा भोग लगाकर ही कुछ ग्रहण करना और सरयू जी का ध्यान आदि करना शामिल था. पीएम मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा पूजा में 'भारत को विश्व गुरु बनाने' का ' संकल्प लिया था.

PM Modi Anusthan Rituals
शिल्पी सेन
  • लखनऊ,
  • 23 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:40 PM IST

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 जनवरी से 22 जनवरी तक ग्यारह दिन का कठिन अनुष्ठान किया. इस दौरान प्रधानमंत्री के सिर्फ नारियल पानी पीने और भूमि पर शयन की बात सामने आयी. सच तो ये है कि प्रधानमंत्री ने 40 नियमों का पालन किया. प्रधानमंत्री ने प्राण प्रतिष्ठा की पूजा से पहले लिए जाने वाले संकल्प में 'भारत को विश्व गुरु बनाने' का संकल्प लिया है. ऐसे अनुष्ठान में विदेश यात्रा वर्जित है( सिर्फ़ धार्मिक यात्रा ही कर सकते हैं). प्रधानमंत्री ने राम मंदिर के यजमान की भूमिका को निभाने के लिए अपनी यात्राओं को सिर्फ धार्मिक कार्यों तक ही सीमित रखा. साथ ही नमक का सेवन पूरी तरह बंद रखने के नियम को भी माना.

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में यजमान की भूमिका में पूजा करते पीएम बहुत भावुक नजर आए. दरअसल प्रधानमंत्री ने ग्यारह दिनों में मन और वचन( वाणी) के कई नियमों का पालन किया. इन नियमों की जानकारी श्रीराम ट्रस्ट की ओर से गोविंद देव गिरी जी को प्राण प्रतिष्ठा करवाने वाले आचार्यों ने लिखित रूप में 28 दिसम्बर को सौंपी थी. इसकी जानकारी प्रधानमंत्री को दी गई थी. पीएम ने इन नियमों का पालन किया.

सिर्फ नारियल पानी पिया
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले प्रख्यात आचार्य और ज्योतिष विशेषज्ञ गणेश्वर शास्त्री आचार्य और पूजा कराने वाले मुख्य आचार्य काशी के लक्ष्मीकान्त दीक्षित के साथ आचार्य के तौर पर शामिल रहे पंडित सदानंद पाठक ने विस्तार से नियमों के महत्व की जानकारी दी. साथ ही ये बताया कि पीएम ने पूरे 11 दिन तक ज़्यादातर नियमों का पालन किया है. प्रधानमंत्री ने सिर्फ नारियल पानी पी कर उपवास रखा. इस प्राण प्रतिष्ठा पूजा को सम्पन्न कराने वाले आचार्यों में शामिल रहे सदानंद पाठक ने खास बातचीत करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री जी की व्यस्तता और देश के लिए उनकी भूमिका को देखते हुए ये ट्रस्ट की तरफ से कहा गया था कि वो 3 दिन का अनुष्ठान कर सकते हैं. लेकिन स्वयं प्रधानमंत्री जी ने कहा कि वो इस कार्य के लिए जरूरी 11 दिन का अनुष्ठान ही करेंगे. 

इस दौरान प्रधानमंत्री ने उन सभी नियमों की जानकारी ली और उसका पालन किया. पंडित सदानंद पाठक कहते हैं कि प्रधानमंत्री ने स्वयं प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए कई कठिन नियम का पालन किया. इसमें खाने पीने को लेकर नियम हैं. ये नियम हैं कि 11 दिन तक 'नमक' वर्जित होगा. पीएम ने इस नियम का पालन किया. हालांकि सेंधा नमक लिया जा सकता है. साथ ही फलाहार कर सकते थे पर उन्होंने और कठिन नियम को मानते हुए सिर्फ नारियल पानी पी कर व्रत रखा.

क्या थे पूजा के कठिन नियम
दूसरा महत्वपूर्ण नियम भूमि पर शयन का है. पलंग पर न सोने के अलावा पलंग पर बैठना भी वर्जित है. नरेंद्र मोदी जी ने इस कठिन नियम का भी पालन किया है. ब्रह्म मुहूर्त में जागना, गो सेवा करना भी इन नियमों में शामिल है. सदानंद पाठक बताते हैं कि कुछ भी जो आप ग्रहण करें, उसे पहले भगवान को भोग लगाकर ही ग्रहण करना होता है. साथ ही संध्यावन्दन के रूप में 'विष्णवे नमः' के जाप को लेकर भी जानकारी दी गयी थी. राम की प्राण प्रतिष्ठा की वजह से रामचरितमानस का पाठ भी बताया गया था. प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के दौरान दाढ़ी बनाना और 'नख निकलाना' भी वर्जित है. इसका भी पालन किया. इस तरह की पूजा में यजमान के तौर पर शामिल होने के लिए पवित्र नदियों के जल से स्नान की बात भी कही गयी है. सरयू जी अयोध्या में बहती हैं उनके ध्यान के लिए भी कहा गया था. इसके अलावा मन को शांत रखना भी नियमों में शामिल है.

पीएम ने शुद्धीकरण कर खुद को तैयार किया
किसी भी पूजा से पहले संकल्प लिया जाता है जिसमें ये बात होती है कि पूजा का उद्देश्य क्या है? प्राण प्रतिष्ठा पूजा से पहले लिए जाने वाले संकल्प में 'भारत विश्व गुरु बने... ' इस बात का संकल्प लिया है. एक्सक्लूसिव जानकारी शेयर करते हुए पूजा में शामिल रहे आचार्य ने ये कहा कि प्रधानमंत्री जी ने पूजा के शुरू में 'संकल्प' विधि में ये अद्भुत संकल्प लिया है. प्राण प्रतिष्ठा से पहले श्रीराम ट्रस्ट की ओर से गोविंद देव गिरी जी ने आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ को पूछा था कि जिन यजमान के हाथों भगवद की प्राण प्रतिष्ठा होनी है उनको 3,7 या 11 दिन तक कौन से नियमों का पालन करना जरूरी है ?' इस पर प्रख्यात आचार्य और ज्योतिषविद गणेश्वर शास्त्री द्राविड की ओर से उपवास, जप, तप, होम, स्नान के बारे में लिखित रूप से विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराई गयी थी. पंडित सदानंद पाठक कहते हैं कि प्रधानमंत्री जी ने श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए शुद्धीकरण कर स्वयं को प्राण प्रतिष्ठा के लिए पहले तैयार किया ये बहुत भावपूर्ण है.' 
 

 

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