पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर देश को मिल गया है. कोच्चि में एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने INS विक्रांत को नेवी को सौंपा. इस दौरान पीएम मोदी ने एक खास तरह की टोपी पहनी थी. जिसपर एक कोड लिखा था. उस कोड का खास मतलब है. पीएम मोदी की टोपी पर लिखे इस कोड का आईएनएस विक्रांत से संबंध है.
पीएम मोदी की टोपी पर क्या लिखा था-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल के कोच्चि में एक कार्यक्रम में देश के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर आईएनएस विक्रांत को नौसेना को सौंप दिया. इस मौके पर प्रधानमंत्री भी सेना के जवानों की तरह नजर आए. इस दौरान उनके साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और नौसेना के बड़े अधिकारी मौजूद रहे. इस दौरान पीएम मोदी ने एक खास टोपी पहनी थी. वैसे तो इस कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी टोपी पहनी थी. लेकिन प्रधानमंत्री टोपी में एक खास संदेश था. पीएम मोदी की टोपी में एक तरफ प्रधानमंत्री लिखा था तो दूसरी तरफ R11. लेकिन क्या आप जानते हैं R11 का क्या मतलब होता है. इसका संबंध आईएनएस विक्रांत से है. इसका खास मतलब है.
R11 का क्या है मतलब-
भारत के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर आईएनएस विक्रांत का पताका संख्या R11 है. आईएनएस का ये पुनर्जन्म हुआ है. आईएनएस विक्रांत भारत का पहला विमानवाहक पोत था. जिसे ब्रिटेन से खरीदा गया था. दरअसल दरअसल पताका संख्या से युद्धपोतों की पहचान की जाती है. जिसमें एक प्रतीक संख्या होता है. जिसे पेनेंट नंबर (पताका संख्या) कहा जाता है. इसका इस्तेमाल जहाजों की पहचान के लिए किया जाता है. आज भी आईएनएस विक्रांत का पताका संख्या R11 है. प्रधानमंत्री मोदी की टोपी पर एक तरफ इसी पताका संख्या का जिक्र था. पीएम की टोपी पर R11 लिखा था. जिसका मतलब आईएनएस विक्रांत की पहचान से है. R11 आईएनएस विक्रांत का पेनेंट नंबर है.
आपको बता दें कि जब आईएनएस विक्रांत एचएमएस हरक्यूलिस था तो उसका पताका संख्या R49 था. हालांकि ये कभी भी ब्रिटिश नेवी में कमीशन नहीं हुआ था. आईएनएस विक्रांत का 'जयमा सैम युधि स्प्रधा:' है. इसका मतलब होता है कि मैं उन लोगों को पूरी तरह से हरा देता हूं. जो मुझसे लड़ने की हिम्मत करते हैं.
भारत के पास कैसे आया आईएनएस विक्रांत-
इस शिप का निर्माण साल 1943 में शुरू किया गया था. इसकी नींव एचएमएस हरक्यूलिस के तौर पर रखी गई थी. लेकिन जब दूसरा विश्व युद्ध खत्म हो गया तो ब्रिटेन ने इसका निर्माण रोक दिया. दूसरे विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन ने अपने युद्धपोतों को बेचना शुरू किया. इसी दौरान साल 1957 में भारत ने इस शिप को ब्रिटेन से खरीद लिया. इस शिप को आईएनएस विक्रांत के नाम से साल 1961 में इंडियन नेवी में शामिल किया गया.
आईएनएस विक्रांत ने 1971 के पाकिस्तान युद्ध में बड़ी भूमिका निभाई थी. आईएनएस विक्रांत ने पूर्वी पाकिस्तान के नौसेना को घेर लिया था. हालांकि साल 1997 में आईएनएस विक्रांत सेवा मुक्त कर दिया गया और अब इसका पुनर्जन्म हुआ है. आईएसी-1 का निर्माण कार्य साल 2009 में कोच्चि में शुरू हुआ था. जिसे आईएनएस विक्रांत नाम दिया गया है.
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