प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कोलकाता में हावड़ा मैदान और एस्प्लेनेड के बीच मेट्रो ट्रेन को हरी झंडी दिखाई है. यह भारत की पहली अंडर-रिवर मेट्रो टनल है. आपको बता दें कि यह सपना कुछ साल पुराना नहीं है बल्कि 100 साल पुराना है जो अब पूरा हो रहा है. भारत में जन्मे एक ब्रिटिश इंजीनियर, सर हार्ले डेलरिम्पल ने 1921 में कोलकाता में पानी के नीचे रेलवे का सपना देखा था.
दो स्टेशनों - हावड़ा मैदान और एस्प्लेनेड के बीच कुल 4.8 किमी लंबी सुरंग में से 1.2 किमी की दूरी हुगली नदी से 30 मीटर नीचे है, जो इसे "किसी भी शक्तिशाली नदी के नीचे देश की पहली ट्रांसपोर्टेशन टनल" बनाती है. इतना ही नहीं, हावड़ा मेट्रो स्टेशन देश का सबसे गहरा स्टेशन भी है.
साल 1971 के मास्टर प्लान में था यह कॉरिडोर
आपको बता दें कि यह सुरंग ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर प्रोजेक्ट का एक हिस्सा है जो सेक्टर V से शुरू होता है और वर्तमान में सियालदह में समाप्त होती है. बाद में, इसे हावड़ा मैदान तक बढ़ाया जाएगा और कुल 16.6 किमी की दूरी तय की जाएगी, जिसमें से 10.8 किमी की दूरी अंडरग्राउंड होगी.
मेट्रो रेलवे के अनुसार, इस कॉरिडोर की पहचान 1971 में शहर के मास्टर प्लान में की गई थी. कोलकाता में भारत की पहली मेट्रो के अनुभव और दिल्ली मेट्रो नेटवर्क की सफलता ने पर्याप्त तकनीकी मदद की और इस कारण प्लान बनाने वालों ने जुलाई 2008 में इसे मंजूरी दी.
मेट्रो रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कौशिक मित्रा ने कहा कि इस तरह ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के निर्माण की यात्रा शुरू हुई. यह लाइन हावड़ा और सियालदह रेलवे स्टेशनों को जोड़ती है, जो दुनिया के दो सबसे व्यस्त स्टेशन हैं. यह हुगली नदी के नीचे से होकर गुजरती है और देश में अपने जैसी पहली रिवर क्रॉसिंग है. उन्होंने आगे कहा कि हावड़ा और कोलकाता पश्चिम बंगाल के दो सदियों पुराने ऐतिहासिक शहर हैं और यह सुरंग हुगली नदी के नीचे इन दोनों शहरों को जोड़ेगी.
कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की कोशिश
मेट्रो रेलवे भारतीय रेलवे के अंतर्गत काम करती है और रेलवे का कहना है कि हावड़ा मैदान से एस्प्लेनेड तक ईस्ट-वेस्ट मेट्रो का 4.8 किलोमीटर लंबा सेक्शन, 4,138 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है. मित्रा ने कहा कि इस परियोजना के पूरे होने से और फास्ट ट्रेन कनेक्टिविटी मिलने से बड़े पैमाने पर ट्रांसपोर्ट सिस्टम में बदलाव आएगा. पूरे साल रहने वाली यातायात भीड़ का भी हल होगा और कार्बन फुटप्रिंट को कम करके वायु गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है.
हुगली, मिदनापुर और हावड़ा के साथ-साथ अन्य राज्यों के दूर-दराज के स्थानों से आने वाले लोग हावड़ा स्टेशन पर उतरने के बाद मेट्रो सर्विसेज का फायदा ले सकते हैं. वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों का कहना है कि पिछले नौ वर्षों में, 2014 से 2023 तक, भारतीय रेलवे ने पश्चिम बंगाल में सभी पेंडिंग रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की दिशा में अच्छा काम किया है.
पहले से बढ़ा है रेलवे प्रोजेक्ट्स का बजट
वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों का कहना है कि 2009 से 2014 के दौरान औसत बजट परिव्यय 4,380 करोड़ रुपये था जो पिछले नौ वर्षों में दोगुने से भी ज्यादा हो गया है. एक अन्य रेलवे अधिकारी ने कहा, "2024-25 वित्तीय वर्ष में, पश्चिम बंगाल के लिए रेलवे बजट परिव्यय 13,810 करोड़ रुपये है, जो 2009-2014 के औसत बजट परिव्यय की तुलना में 215% ज्यादा है. "
उन्होंने कहा, "कोलकाता में कई मेट्रो रेलवे परियोजनाएं जो लंबे समय से रूकी हुई थीं, पिछले नौ वर्षों में उनमें तेजी लाई गई है." भारतीय रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि कोलकाता और इसके आसपास के इलाकों में इन मेट्रो परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 2014 से 2023 तक 18,212 करोड़ रुपये का खर्च किया गया है, जबकि इसकी शुरुआत से लेकर साल 2014 तक सिर्फ 5,981 करोड़ रुपये का खर्च किया गया था.