पीएम मोदी ने किया केम्पेगौड़ा की प्रतिमा का अनावरण, शहर से लेकर झील तक का निर्माण कराने वाले शासक की कहानी जानिए

पीएम मोदी ने 11 नवंबर को 108 फीट ऊंची कांस्य की प्रतिमा का अनावरण किया. करीब 23 एकड़ में फैले हेरिटेज पार्क में प्रतिमा लगाई गई है. पद्म भूषण से सम्मानित मूर्तिकार राम सुतार ने इस प्रतिमा को तैयार किया है.

Kempegowda
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 11 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:02 PM IST
  • 108 फीट की मूर्ति का अनावरण किया
  • वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे

पीएम नरेंद्र मोदी ने 11 नवंबर को बेंगलुरु की अपनी यात्रा के दौरान केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के दूसरे टर्मिनल का उद्घाटन किया. पीएम मोदी ने केम्पेगौड़ा की 108 फीट की मूर्ति का अनावरण किया और वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई.

सरकारी अधिकारियों द्वारा साझा किए गए यात्रा कार्यक्रम के अनुसार, पीएम एचएएल हवाई अड्डे पर उतरने के बाद विधान सौध जाएंगे जहां वह कनक दास और वाल्मीकि की मूर्तियों पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे. बाद में, वह वंदे भारत ट्रेन शुरू करने के लिए केएसआर बेंगलुरु रेलवे स्टेशन जाएंगे 

मैसूर से चेन्नई जाने वाली वंदे भारत ट्रेन दक्षिण भारत की पहली सेमी-हाई स्पीड ट्रेन होगी. रेलवे अधिकारियों के अनुसार, बंगलूरू से चेन्नई के लिए शताब्दी एक्सप्रेस, वृंदावन एक्सप्रेस और चेन्नई मेल जैसी कई ट्रेनें हैं. लेकिन स्पीड और सुविधा के मामले में वंदे भारत सबसे आगे है. यह ट्रेन 160 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलेगी. ट्रेन चेन्नई से बंगलूरू का सफर सिर्फ तीन घंटों में पूरा कर लेगी.

क्या होगी प्रतिमा की खासियत?
केंपेगौड़ा की इस प्रतिमा का वजन 220 टन है. यह प्रतिमा यहां केंपेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर स्थापित की गई है. इसमें लगी तलवार का वजन चार टन है. इस परियोजना में 16वीं शताब्दी के शासक केंपेगौड़ा को समर्पित 23 एकड़ क्षेत्र में बना एक विरासत थीम पार्क भी शामिल है.पार्क और प्रतिमा के निर्माण में लगभग 84 करोड़ रुपये का खर्च आया है. जाने-माने मूर्तिकार और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित राम वनजी सुतार ने प्रतिमा को डिजाइन किया है. सुतार ने गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की 'स्टेच्यू ऑफ यूनिटी' और बेंगलुरु के विधान सौध में महात्मा गांधी की प्रतिमा का भी डिजाइन तैयार किया था.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के अनुसार, प्रतिमा राज्य के विकास के लिए प्रेरणा होगी. उन्होंने कहा,"यह प्रतिमा राज्य के निरंतर विकास के लिए प्रयास करने के लिए बनाई गई है. इस प्रतिमा में कर्नाटक के लिए अच्छे दिनों के संकेत दिखाई देते हैं. यह 'नव भारत' (नया भारत) के निर्माण का विश्वास 'नवकर्नाटक' (न्यू कर्नाटक) के माध्यम से देगा. "अगर हम इतिहास को भूल गए तो भविष्य नीरस हो जाएगा और इस राज्य का निर्माण करने वाले राजाओं के प्रति सम्मान दिखाना हमारा कर्तव्य है. बुद्ध, बसवन्ना और महावीर मूल रूप से प्रशासक थे लेकिन उन्होंने आध्यात्मिकता के माध्यम से लोगों के कल्याण के लिए सुधार किया. लेकिन केम्पेगौड़ा लोगों के बीच रुके और लोगों के जीवन का निर्माण किया."

कौन है केम्पेगौड़ा? 
केम्पेगौड़ा को बेंगलुरु के विकास में उनके प्रमुख योगदान के लिए जाना जाता है. उन्होंने बेंगलुरु शहर का निर्माण किया और इस तरह प्रतिमा को स्टैच्यू ऑफ प्रॉस्पेरिटी का नाम दिया गया. वे विजयनगर साम्राज्य के तहत एक सामंत थे. इतिहासकार उन्हें न्यायप्रिय और मानवीय शासक होने का श्रेय देते हैं. सन 1537 में केम्पेगौडा ने बंगलौर को अपनी राजधानी बनाने का फैसला किया और उसी के अनुसार बंगलौर को डिजाइन किया गया. राजा केम्पेगौडा “गौड़ा” खानदान से थे, जो कि येलहंकानाडु प्रभु की विरासत से आरम्भ हुआ था.

बंगलूरू में केम्पेगौडा ने सड़कों का निर्माण भी नई टेक्नीक से करवाया. बंगलूरू में आज जिस स्थान पर डोडापेट चौराहा है (चिक्कापेट जंक्शन) वहीं से बैलों द्वारा हल चलाकर बंगलूरू की सड़कों का निर्माण आरम्भ किया था. केम्पेगौडा के शासनकाल में बंगलूरू कपास, चावल, रागी और चूड़ियों के लिए अत्यधिक प्रसिद्ध था. इसके अलावा केम्पेगौडा ने पानी आपूर्ति के लिए कई विशाल तालाबों का  निर्माण भी करवाया, जोकि कहीं-कहीं आज भी दिखाई देते हैं. सन 1569 में केम्पेगौडा का निधन हुआ. साल 1609 में उनकी एक धातुमूर्ति शिवगंगा स्थित गंगाधरेश्वर मंदिर में स्थापित की गई. बाद में कर्नाटक सरकार ने केंद्र को प्रस्ताव भेजा कि राजा केम्पेगौडा के नाम पर बंगलूरू हवाई अड्डे का नाम कर दिया जाए.


 

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