G-20 Summit: तो क्या सच में बदलेगा नाम! India Vs Bharat विवाद के बीच PM Modi के सामने रखी कंट्री नेमप्लेट पर इंडिया की जगह दिखा भारत

जी-20 शिखर सम्मेलन 2023 से पहले जब भी प्रधानमंत्री किसी अंतरराष्ट्रीय मंच को संबोधित करते थे तो उनके टेबल पर रखी कंट्री प्लेट पर देश का नाम इंडिया लिखा होता था. इस बार भारत लिखा हुआ था. 

पहले जहां कंट्री प्लेट पर इंडिया लिखा होता था, वहीं आज भारत लिखा देखा गया
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 09 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:18 PM IST
  • बैठक में सभी विश्व नेताओं के टेबल पर उनके देश का लिखा होता है नाम 
  • जी-20 सम्मेलन दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में हो रहा

देश के नाम को लेकर अभी राजनीति काफी गरमाई हुई है. इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जी-20 शिखर सम्मेलन का शुभारंभ किया. जिस वक्त पीएम मोदी सदस्य और मेहमान देशों के नेताओं को संबोधित कर रहे थे, ठीक उस दौरान उनकी टेबल पर रखी वुडेन नेमप्लेट पर पूरे देश की नजरें गईं. इस बार खास यह था कि नेमप्लेट पर दुनिया में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले नाम इंडिया की जगह भारत लिखा था. 

यह बात खास इसलिए भी है, क्योंकि इससे पहले जब भी प्रधानमंत्री किसी अंतरराष्ट्रीय मंच को संबोधित करते थे तो उनके टेबल पर रखी कंट्री प्लेट पर देश का नाम इंडिया लिखा होता था. इस बीच अटकले और तेज हो गईं हैं कि क्या सच में देश का नाम बदलेगा. बैठक में सभी विश्व नेताओं के टेबल पर उनके देश का नाम लिखा होता है, जिसका वह प्रतिनिधित्व करने के लिए बैठक में पहुंचे होते हैं. इस दौरान पीएम मोदी के टेबल पर इंडिया नहीं बल्कि भारत का टैग लगा था. इसने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है. 

विवाद की शुरुआत 
इस पूरे विवाद की शुरुआत 5 सितंबर को उस वक्त हुई जब जी-20 शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज के निमंत्रण पत्र पर 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा गया. निमंत्रण पत्र के सामने आने के बाद विपक्ष ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार देश का नाम इंडिया शब्द के इस्तेमाल को बंद कर केवल भारत कहे जाने की योजना बना रही है. यह भी कहा रहा है कि संसद का विशेष सत्र भी इसलिए बुलाया जा रहा है ताकि इंडिया का नाम भारत कर दिया जाए.

विपक्ष ने साधा निशाना
इसको लेकर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह नाम बदलने का प्रयास है, क्योंकि उनके गठबंधन के नाम में INDIA (इंडिया नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस) लिखा है. 8 सितंबर को बेल्जियम के ब्रुसेल्स में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नाम परिवर्तन विवाद पर बात करते हुए इसे ध्यान भटकाने वाली रणनीति करार दिया. 

उन्होंने कहा कि केंद्र ने घबराकर यह प्रतिक्रिया दी है, सरकार में थोड़ा डर है और इस बात से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी परेशान हैं, इसलिए वह देश का नाम बदलने के लिए बेताब हैं. उन्होंने कहा कि विपक्षी दल के हमारे गठबंधन के लिए इंडिया (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन) नाम एक शानदार विचार है, क्योंकि यह दर्शाता है कि हम कौन हैं. राहुल गांधी ने कहा, हम खुद को भारत की आवाज मानते हैं, इसलिए यह नाम हमारे लिए बहुत अच्छा है, लेकिन असल में ये बात प्रधानमंत्री को बहुत परेशान कर रही है, इसलिए वह देश का नाम बदलना चाहते हैं, जो बेतुका है. 

कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने कहा कि जब संविधान के अनुच्छेद एक में कहा गया है भारत जो की इंडिया था वह राज्यों का संघ है, तो उसमें इंडिया शब्द को क्यों हटाया जा रहा है. कई विपक्षी पार्टियों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार देश के नाम पर भी हमला कर रही है.

पीएम मोदी ने दी थी बयानबाजी से बचने की सलाह
इंडिया बनाम भारत का विवाद सामने आने के अगले ही दिन 6 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रियों के साथ बैठक की. उन्होंने कहा कि वो इंडिया बनाम भारत के विवाद में बयानबाजी न करें, जिन्हें बोलने के लिए अधिकृत किया जाए, केवल वही बोलें. इस मीटिंग में पीएम मोदी ने मंत्रियों से यह भी कहा था कि जी -20 बैठक को देखते हुए सभी मंत्री दिल्ली में मौजूद रहें. मंत्रियों को पहले से ही कहा गया था कि उन्हें विदेशी राष्ट्राध्यक्षों, उनके प्रतिनिधिमंडल के साथ रहना है. इसलिए वो इस बात का ध्यान रखें कि विदेशी नेताओं को किसी तरह की दिक्कत न हो.

कोणार्क चक्र की प्रतिकृति ने स्वागत स्थल की बढ़ाई शोभा 
पीएम मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन स्थल भारत मंडपम पहुंचे विश्व नेताओं से हाथ मिलाकर उनका स्वागत किया और इस दौरान पृष्ठभूमि में ओडिशा के पुरी स्थित सूर्य मंदिर के कोणार्क चक्र की प्रतिकृति ने स्वागत स्थल की शोभा बढ़ाई. कोणार्क चक्र का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा नरसिम्हादेव-प्रथम के शासनकाल में किया गया था. कुल 24 तीलियों वाले इस पहिये को तिरंगे में भी दर्शाया गया है. यह चक्र भारत के प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक है. इस चक्र का घूमना कालचक्र के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है. यह लोकतंत्र के पहिये का एक शक्तिशाली प्रतीक है, जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति को लेकर प्रतिबद्धता दर्शाता है. 


 

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