गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर PM Modi का लाल किले से देश को संबोधन, कहीं ये अहम बातें

पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर लाल किले से देश को संबोधित किया. जानिए इस मौके पर उन्होंने क्या कुछ कहा.

नरेन्द्र मोदी
केतन कुंदन
  • नई दिल्ली,
  • 21 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 1:29 AM IST
  • गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर भव्य कार्यक्रम का किया गया आयोजन
  • इस अवसर पर पीएम मोदी ने देश को किया संबोंधित

गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर पीएम नरेंद्र मोदी ने लाल किले के लॉन से देश को संबोधित किया. इस अवसर पर 11 राज्यों के मुख्यमंत्री, देश के प्रमुख सिख नेता और प्रमुख गुरुद्वारों से लोग शामिल हुए. बता दें कि सूर्यास्त के बाद यह पहला मौका है जब लाल किले से संबोधन किया गया. इसके साथ ही ऐसा करने वाले वे पहले पीएम बन गए. इस मौके पर पीएम मोदी ( PM MODI) ने विशेष सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया. प्रधानमंत्री मोदी ने इस खास अवसर पर देश को संबोधित करते हुए क्या कुछ कहा आइए जानते हैं.

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहीं ये अहम बातें

पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए इस आयोजन के लिए सबको धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार को गुरुओं की सेवा का मौका मिला. इससे पहले 2017 में हमें गुरु गोबिंद सिंह जी का 350वां प्रकाश पर्व और 2019 में गुरुनानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व मनाने का अवसर प्राप्त हुआ. हमारा देश गुरुओं के आदर्शों पर आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि भारत अपना फैसला खुद कर रहा है. दुनिया आज भारत की तरफ देख रही है और भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. उन्होंने औरंगजेब का जिक्र करते हुए कहा कि लाल किला औरंगजेब के अत्याचारों का गवाह है. औरंगजेब हमारे आस्था को हमसे अलग नहीं कर सका. उस समय देश में मजहबी कट्टरता की आंधी थी. इस मौके पर पीएम मोदी ने CAA का भी जिक्र किया और कहा कि हमने CAA के जरिए पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी. 


कौन थे गुरु तेग बहादुर


तेग बहादुर सिख धर्म के 9वें गुरु थे. सिखों के 6ठे गुरु हरगोविंद सिंह उनक पिता थे. 18 अप्रैल 1621 को अमृतसर में गुरु तेग बहादुर (Guru Tegh Bahadur ) का जन्म हुआ. उनके बचपन का नाम त्यागमल था. तेग चलाने में महारत हासिल होने की वजह से उनका नाम तेग बहादुर पड़ा. 14 साल की उम्र में ही पिता के साथ मिलकर मुगलों से जंग लड़े. मार्च 1655 में वकाला में गुरु की गद्दी पर बैठे. गुरु तेग बहादुर ने औरंगजेब को चुनौती दी और इस्लाम कबूल करने से मना कर दिया. मुगल बादशाह औरंगजेब ने लाल किले से ही गुरु तेग बहादुर को मारने की सजा सुनाई थी. और यही वजह है कि 400वें जयंती पर लालकिले को आयोजन स्थल के रूप में चुना गया. 24 नम्बर 1675 को भीड़ के सामने गुरु तेग बहादुर की हत्या कर दी गई थी. 

 

 

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