Mamata Banerjee: दूध बेचने से लेकर घर की जिम्मेदारी तक, सीपीएम के हमले से पुलिस की पिटाई तक... जानिए जिद्दी दीदी की कहानी

Mamata Banerjee Story: 5 जनवरी 1955 को कोलकाता में गरीब घर में पैदा हुई एक लड़की ने संघर्ष के दम पर 34 साल से पश्चिम बंगाल में सत्ता पर काबिज वामदलों को उखाड़ फेंका था. इस दौरान कई बार उनके साथ मारपीट भी हुई. उनकी जान पर बन आई. लेकिन उस लड़की ने हार नहीं मानी और देश की सियासत में दीदी के नाम से मशहूर हुई. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सियासी जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखा. लेकिन उन्होंने कभी पीछे हटना नहीं सीखा.

पश्चिम बंगाल के सीएम ममता बनर्जी की सियासी सफर की कहानी
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 04 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:37 PM IST
  • देश की पहली महिला रेल मंत्री रही हैं ममता बनर्जी
  • पश्चिम बंगाल की पहली महिला सीएम हैं ममता बनर्जी

ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष हैं. वो लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनी हैं. दीदी के नाम से मशहूर ममता बनर्जी के नाम कई उपलब्धियां दर्ज हैं. ममता बनर्जी देश की पहली महिला रेल मंत्री रही हैं. इसके साथ ही वो पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री भी रही हैं. दीदी ने संघर्ष के दम पर ये मुकाम हासिल किया है. ममता दीदी का बपचन गुरबत में बीता है. बचपन में ही उनके पिता का निधन हो गया. उसके बाद उन्होंने लगातार संघर्ष किया और लड़ाई लड़ते हुए पश्चिम बंगाल में सत्ता पर 34 साल से काबिज वाम दलों की सरकार को उखाड़ फेंका.

ममता बनर्जी का बपचन-
5 जनवरी 1955 को पश्चिम बंगाल के कोलकात में ममता दीदी का जन्म हुआ था. जब ममता बनर्जी 9 साल की थीं तो उनके पिता प्रोमिलेश्वर बनर्जी का निधन हो गया. दीदी के बारे में कहा जाता है कि छोटी उम्र में पिता का साया सिर से उठने के बाद उनको जीवन यापन के लिए दूध बेचने का काम करना पड़ा था. उनपर भाई-बहनों के पालन पोषण की जिम्मेदारी भी आ गई थी. 
ममता दीदी ने कोलकाता के जोगोमाया देवी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और उसके बाद कलकत्ता यूनिवर्सिटी से इस्लामिक हिस्ट्री में पीजी किया. ममता बनर्जी ने जोगेश चंद्र चौधरी लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री भी हासिल की है.

15 साल में कांग्रेस से जुड़ीं ममता-
ममता बनर्जी का बचपन में झुकाव कांग्रेस की तरफ था. सिर्फ 15 साल की उम्र में दीदी कांग्रेस पार्टी से जुड़ीं. साल 1975 में पश्चिम बंगाल में कांग्रेस(आई) की जनरल सेक्रेटरी नियुक्त की गईं. साल 1978 में पार्टी ने ममता बनर्जी को कलकत्ता दक्षिण की जिला कांग्रेस कमेटी की सेक्रेटरी बनाई गईं.

पहली बार सांसद बनीं ममता-
साल 1984 में ममता दीदी को पहली बार लोकसभा चुनाव का टिकट मिला. दीदी ने दक्षिण कोलकाता से सांसद चुनी गईं. साल 1991 में ममता बनर्जी दोबारा लोकसभा सांसद बनीं.  इसबार उनको केंद्र सरकार में एचआरडी मिनिस्ट्री में राज्यमंत्री बनाया गया.

ममता बनर्जी पर सीएम का हमला-
साल 1990 में पश्चिम बंगाल में सीपीएम की सरकार थी और ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रही थीं. ममता दीदी से सीपीएम के कार्यकर्ता नाराज थे. 16 अगस्त को हड़ताल के दौरान ममता बनर्जी पर हमला हुआ था. ममता दीदी पर दो वार किए गए थे. जिसमें वो बुरी तरह से जख्मी हो गई थी. उनको अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. उनको एक महीने तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था.

1993 में दीदी की पुलिस ने की थी पिटाई-
साल 1993 में ममता बनर्जी कांग्रेस में थीं. ममता फोटो मतदान पहचान पत्र की मांग को लेकर कोलकाता में राइटर्स बिल्डिंग की तरफ एक रैली की अगुवाई कर रही थीं. उसी दौरान पुलिस और कार्यकर्ताओं में झड़प हो गई. पुलिस ने फायरिंग कर दी. जिसमें 14 कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी. जबकि ममता बनर्जी को गंभीर चोटें आई थीं. ममता दीदी को कई हफ्ते अस्पताल में रहना पड़ा था.

1997 में टीएमसी का गठन-
साल 1996 में ममता बनर्जी एक बार फिर कांग्रेस पार्टी से सांसद बनीं. लेकिन जल्द ही दोनों की राहें जुदा हो गई. ममता बनर्जी ने जनवरी 1998 में तृणमूल कांग्रेस नाम से पार्टी बनाई. इसके बाद टीएमसी का गठबंधन बीजेपी से हो गया. उनको अटल सरकार में मंत्री बनाया गया. रेल मंत्री रहते हुए ममता बनर्जी ने कई बड़े फैसले लिए थे.

वाम सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा-
अब ममता बनर्जी नई पार्टी टीएमसी के साथ पश्चिम बंगाल में जमीन तलाशने में जुट गईं. साल 2005 में सीपीएम की बुद्धदेव भट्टाचार्य सरकार के खिलाफ ममता बनर्जी को बड़ा मुद्दा मिल गया. ममता बनर्जी ने सरकार के जबरन भूमि अधिग्रहण के फैसले का विरोध किया. सिंगूर और नंदीग्राम में ममता बनर्जी ने सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़क पर उतर गईं. जनता को समर्थन मिलने लगा और ममता बनर्जी बंगाल की बड़ी लीडर बन गई.

वाम को उखाड़ा, अब तक सत्ता कायम-
साल 1998 में पार्टी बनाने के 13 साल बाद पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की लहर आई. साल 2011 विधानसभा चुनाव में ममता की पार्टी टीएमसी ने 34 साल से सत्ता में काबिज सरकार को उखाड़ फेंका. टीएमसी ने 184 सीटों पर जीत हासिल की. 20 मई 2011 को ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. ममता दीदी ने 5 साल दमदार तरीके से राज किया. साल 2016 में एक बार फिर विधानसभा चुनाव हुए. इस बार फिर से सुभाष चंद्र बोस की धरती पश्चिम बंगाल में ममता दीदी का जलवा कायम रहा. ममता बनर्जी 27 मई 2016 को दूसरी बार मुख्यमंत्री बनीं. साल 2021 में एक बार फिर विधानसभा चुनाव हुए. इस बार बीजेपी ने पूरा जोर लगाया. लेकिन ममता दीदी के वर्चस्व को तोड़ नहीं पाई. ममता दीदी की पार्टी टीएमसी ने एक बार फिर धमाकेदार जीत दर्ज की. पार्टी ने 216 सीटों पर जीत दर्ज की और तीसरी बार ममता बनर्जी बंगाल की मुख्यमंत्री बन गईं.

पश्चिम बंगाल में मोदी लहर को रोका-
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का प्रभाव बढ़ता गया. मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली टीएमसी ने साल 2014 लोकसभा का चुनाव लड़ा. इस चुनाव में ममता बनर्जी ने सबको पछाड़ दिया. ममता बनर्जी के आगे पश्चिम बंगाल में मोदी लहर भी काम नहीं आई. टीएमसी ने 34 सीटों पर जीत हासिल की. लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी का असर थोड़ा कम हुआ. पार्टी ने लोकसभा चुनाव में सिर्फ 22 सीटों पर जीत हासिल सकी. लेकिन 2021 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर ममता बनर्जी का जादू चला और टीएमसी ने 200 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की.

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