कस्टमाइज़्ड व्हील चेयर के जरिये दिव्यांगों की कर रहें हैं मदद, जानें कौन हैं भार्गव सुंदरम

भार्गव पिछले 23 सालों से अपनी कंपनी के जरिए दिव्यांगों के लिए दैनिक जीवन आसान बनाने में लगे हुए हैं. 55 वर्षीय सुंदरम की कंपनी कैलिडै मोटर वर्क्स दिव्यांगों को रोजमर्रा के कार्यों में सुविधा प्रदान करने के लिए कस्टमाइज़्ड व्हील चेयर बनाने का काम करती है. आइकोनिक एनफील्ड इंडिया के जनक के आर सुंदरम अय्यर के बेटे भार्गव ने इस कंपनी को 1998 में शुरू किया था.

Wheel Chair
अंजनी
  • नई दिल्ली,
  • 22 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 9:00 PM IST
  • 35 कर्मचारियों में से अधिकतर दिव्यांग 
  • सुंदरम के पिता ‘एनफील्ड इंडिया’ के जनक
  • सरकार के साथ मिलकर दे रहें है अपनी सेवा 

एक दिव्यांग महिला को अपने दैनिक क्रियाओं में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. खासकर उन्हें खाना बनाने में काफी तकलीफ हो रही थी क्यूंकि गैस स्टोव उनके व्हील चेयर के आर्म से थोड़ा ऊंचा  था. उनके लिए समाधान लेकर आए कैलिडै मोटर वर्क्स के फाउंडर, भार्गव सुंदरम. ‘कैलिडै मोटर वर्क्स’ नामक कंपनी ने उस महिला के लिए बैटरी से चलने वाला मोटर चालित व्हील चेयर बनाया जो उन्हें स्टोव के लेवल तक ऊपर उठा सकता था. 

35 कर्मचारियों में से अधिकतर दिव्यांग 

कैलिडै की वर्कशॉप चेन्नई के गुम्मीडिपुंडी के वनियामल्ले गांव में खेतों के बीच स्थित हैं. इसमें 35 लोगों की एक टीम काम करती है, जिसमें ज्यादातर लोग दिव्यांग हैं. यह देश के लगभग 30,000 लोगों के लिए अलग-अलग तरह के उपकरण बनाती है. इनकी कंपनी ने रोड और उबड़-खाबड़ रास्ते के लिए भी कस्टमाइज़्ड व्हील चेयर बनाए हैं जो 8 किमी प्रति घंटे से लेकर 15 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार पर चल सकती है. यह दिव्यांगों को स्टोर और पार्कों तक जाने में मदद करता है. हाल में कैलिडै ने एक अत्याधुनिक व्हील चेयर बनाया है, जो एंड्रॉयड से चलता है तथा ब्लूटूथ, स्पीकर, फिश आई कैमरा और सेलफोन होल्डर की सुविधा से लैस है.

सुंदरम के पिता ‘एनफील्ड इंडिया’ के जनक

भार्गव पिछले 23 सालों से अपनी कंपनी के जरिए दिव्यांगों के लिए दैनिक जीवन आसान बनाने में लगे हुए हैं. 55 वर्षीय सुंदरम की कंपनी कैलिडै मोटर वर्क्स दिव्यांगों को रोजमर्रा के कार्यों में सुविधा प्रदान करने के लिए कस्टमाइज़्ड व्हील चेयर बनाने का काम करती है. आइकोनिक एनफील्ड इंडिया के जनक के आर सुंदरम अय्यर के बेटे भार्गव ने इस कंपनी को 1998 में शुरू किया था. भार्गव को ऑटोमोबाइल्स से बहुत प्यार था. उन्होंने आधी कीमत में एक इलेक्ट्रिक बाइसाइकिल बनाई थी. भार्गव के एक कर्मचारी जो हाथ से चलाने वाली ट्राई साइकिल से आते थे, ने भार्गव को इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर बनाने का आइडिया दिया. भार्गव को ये आइडिया बहुत पसंद आया और तब से लेकर अब तक भार्गव अपनी पत्नी के साथ मिलकर 40 से ज्यादा तरह के पावर्ड व्हीलचेयर बना चुके हैं.

सरकार के साथ मिलकर दे रहें है अपनी सेवा 

कैलिडै के व्हीलचेयर्स की कीमत 6,000 से 2,50,000 रुपए तक है. इसके व्हीलचेयर लिफ्ट की कीमत 1.9 लाख रुपए से शुरू होती है. भार्गव ‘व्हीलचेयर ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ नाम की एक चैरिटेबल संस्था चलाते हैं जो हर साल 150 लोगों को ये इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर्स लागत के मात्र 20 प्रतिशत मूल्य पर ही दे देती है. सरकार के साथ मिलकर कैलिडै मोटर वर्क्स ने सुगम्य भारत अभियान के तहत बसों के लिए भी एक व्हीलचेयर लिफ्ट बनाया है. चेन्नई से लेकर दिल्ली तक दस रेलवे स्टेशंस पर कैलिडै की व्हीलचेयर लिफ्ट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है.


 

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