पंजाब के गुरदासपुर में एक 70 साल के एथलीट है, जिनका जज्बा देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे. इस बुजुर्ग एथलीट ने हाल में संपन्न इंडिया मास्टर्स गेम्स में 5 गोल्ड मेडल जीते हैं. जब ये मेडल जीत कर अपने पिंड पहुंचे तो इनका शानदार स्वागत किया गया. वैसे ये कोई पहला मौका नहीं है जब इन्होंने अपनी झोली में मेडल डाले हैं. अब तक कई प्रतियोगिता में ये जीत की गाथा लिख चुके हैं और उनका घर मेडल्स और ट्राफीज से भरा हुआ है.
70 साल की उम्र में 5 गोल्ड मेडल
फिटनेस, स्टैमिना, स्पीड और इरादा. एक एथलीट को जो चाहिए होता है वो सब कुछ है बलवंत सिंह के पास. उम्र 70 साल है. लेकिन जज्बा जवानों को मात देने वाला. यही वजह है कि वो इस उम्र में भी ट्रैक के राजा हैं. जब वो ट्रैक पर दौड़ते हैं तो दूसरे एथलीट आस-पास भी नहीं होते. हाल में बेंगलुरु में संपन्न इंडिया मास्टर्स गेम्स में बलवंत सिंह ने 5 अलग-अलग दौड़ में पांच गोल्ड मेडल अपने नाम किए हैं.
मेडल्स, ट्राफीज से भरा है बलवंत का घर
वैसे ये कोई पहली प्रतियोगिता नहीं हैं जिसमें बलवंत सिंह ने अपना परचम लहराया है. उनका घर अलग-अलग प्रतियोगिताओं में जीते गए मेडल्स, ट्राफीज और सर्टिफिकेट से भरा हुआ है. दीवारों पर लटके मेडल्स, सेल्फ पर सजी ट्राफीज और ढेरों सर्टिफिकेट उनकी विजय गाथा की पूरी कहानी खुद ब खुद बयां करते हैं. जब बेंगुलुरू में जीत का परचम लहरा कर वो गुरदासपुर लौटे तो उनका स्वागत हीरो की तरह किया गया. बलवंत की छाती पर मेडल्स से भरी हुई थी और उन मेडल्स को देख कर पूरे पिंड की छाती फूली जा रही थी.
दिहाड़ी मजदूरी करते हैं बलवंत
इन मेडल्स को हासिल करने के लिए बलवंत ने ना तो कोई खास ट्रेनिंग ली है और ना ही उनके पास सुविधाएं थी. उन्होंने ये उपलब्धियां तंग हालात से लड़ते हुए हासिल की हैं. तलवंडी गांव के रहने वाले बलवंत गुजारा करने के लिए दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और लकड़ी काट कर बेचते हैं...लेकिन अपने इरादे के बूते उन्होंने ये खिताब अपने नाम किए हैं. कोई विशेष खान-पान भी नहीं बस घी दूध और चना ही उनकी डाइट का अहम हिस्सा है. उनकी रफ्तार और स्टेमिना को देख कर गांव के लोग उन्हें घोड़ा कहते हैं. उम्र के इस पड़ाव पर भी वो थके नहीं है. इरादा इतना बुलंद है कि अभी और दौड़ने की ख्वाहिश है.
(गुरदासपुर से बिशम्बर बिट्टू की रिपोर्ट)