पत्नी की जानकारी के बिना फोन पर बातचीत रिकॉर्ड करना निजता का उल्लंघन: पंजाब हाईकोर्ट

फैमिली हाई कोर्ट द्वारा जब रिकॉर्डिंग को सबूत के तौर पर हाई कोर्ट में दिखाया गया तो उन्होंने इसे ये कहते हुए खारिज कर दिया कि यह कानूनी रूप से गलत है. जस्टिस लिसा गिल ने पिछले महीने बठिंडा फैमिली कोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाली महिला की याचिका पर इस आदेश पारित किया था.

प्रतीकात्मक तस्वीर
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:11 PM IST
  • पति ने मांगी थी कोर्ट से अनुमति
  • पत्नी ने हाईकोर्ट का खटखटाया दरवाजा

अगर आप भी अपनी पत्नी की जानकारी के बगैर उसकी कॉल रिकॉर्ड करते हैं तो यह कानूनी रूप से गलत है. जी हां, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट  ने सोमवार को कहा है कि पत्नी की फोन पर बातचीत को उसकी जानकारी के बिना रिकॉर्ड करना उसकी निजता का उल्लंघन है. फैमिली हाई कोर्ट द्वारा जब रिकॉर्डिंग को सबूत के तौर पर हाई कोर्ट में दिखाया गया तो उन्होंने इसे ये कहते हुए  खारिज कर दिया कि यह कानूनी रूप से गलत है. जस्टिस लिसा गिल ने पिछले महीने बठिंडा फैमिली कोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाली महिला की याचिका पर इस आदेश पारित किया था.

पति ने मांगी थी कोर्ट से अनुमति 

आपको बता दें, साल 2017 में पति ने एक याचिका दायर कर महिला से तलाक की मांग की थी. उनकी शादी 2009 में हुई थी और उनकी एक बेटी थी. कोर्ट में जिरह के दौरान, पति ने जुलाई, 2019 में एक आवेदन दायर किया गया था, जिसमें मोबाइल फोन के मेमोरी कार्ड या चिप में रिकॉर्ड की गई सीडी और बातचीत के टेप के साथ एग्जामिनेशन-इन-चीफ के माध्यम से अपना हलफनामा जमा करने की अनुमति मांगी गई थी.

पत्नी ने हाईकोर्ट का खटखटाया दरवाजा 

जिसके बाद 2020 में, फैमिली कोर्ट ने पति को इसकी अनुमति दे दी थी. जिसके बाद औ पत्नी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जिसके जवाब में हाई कोर्ट ने इसपर कहा, "पत्नी की जानकारी के बिना टेलीफोन पर बातचीत की रिकॉर्डिंग उसकी निजता का उल्लंघन है."

हाईकोर्ट ने लगाई जमकर फटकार 

हालांकि, फैमिली कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया था. जिसपर हाईकोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की निजता के अधिकार का हनन कैसे कर सकता है. जीवनसाथी के साथ हुई फोन पर बातचीत को बिना उसकी मंजूरी के रिकॉर्ड करना उसके निजता के अधिकार के हनन का मामला है. 

दोनों वकीलों की हुई जिरह 

आपको बता दें, पत्नी के वकील ने जिरह के दौरान कहा कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है, क्योंकि बातचीत को बिना जानकारी के रिकॉर्ड किया गया है. वकील ने आगे तर्क दिया कि फैमिली कोर्ट ने इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 65 का पूरी तरह से उल्लंघन किया है, क्योंकि अगर रिकॉर्डिंग एक मोबाइल फोन के माध्यम से की जाती है, तो किसी भी मामले में रिकॉर्डिंग की सीडी और उसके टेप को सबूत के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

इस पर पति की ओर से दलील दी गई कि उसे यह साबित करना है कि पत्नी उसके प्रति क्रूर है और यह बातचीत उसका एक सबूत है, जिसके साथ सर्टिफिकेट भी लगाया है. ऐसे में एविडेंस एक्ट के तहत इसे मान्य  माना जाये.

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