Leader of Opposition: India Alliance की बैठक में लगी मुहर! Lok Sabha में Rahul Gandhi होंगे विपक्ष के नेता, इस पद की क्या होती है भूमिका और शक्तियां, यहां जानिए 

Leader of Opposition in the Lok Sabha: कांग्रेस नेता राहुल गांधी रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं. वह लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाएंगे. इंडिया गठबंधन ने उनके नाम पर मुहर लगा दी है. आखिरी बार बीजेपी नेता सुषमा स्वराज 2009 से 2014 तक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थीं.

Rahul Gandhi (Photo: PTI)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 25 जून 2024,
  • अपडेटेड 1:54 AM IST
  • प्रोटेम स्पीकर को पत्र लिख राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की दी जानकारी
  • राम सुभग थे लोकसभा में पहले नेता प्रतिपक्ष

आखिरकार 10 सालों के बाद लोकसभा (Lok Sabha) में विपक्ष के नेता पद पर कोई विराजमान होने जा रहा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) 18वीं लोकसभा (Lok Sabha) में विपक्ष के नेता (Leader of Opposition) की जिम्मेदारी निभाएंगे. साल 2014 से सदन में ये पद खाली था.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के घर मंगलवार की रात को इंडिया गठबंधन (India Alliance) की हुई बैठक में नेताओं ने विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी की नियुक्ति पर निर्णय लिया. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बैठक के बाद बताया कि कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को पत्र लिखकर राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में नियुक्त करने के फैसले की जानकारी दी है.  

रायबरेली से सांसद हैं राहुल गांधी
राहुल गांधी पांच बार सांसद रहे हैं और वर्तमान में रायबरेली लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. उन्होंने मंगलवार को संविधान की प्रति हाथ में लेकर सांसद पद की शपथ ली. राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव 2024 में वायनाड सीट से भी जीत दर्ज की थी. हालांकि बाद में उन्होंने रायबरेली सीट को अपने पास रखने का फैसला किया और वायनाड सीट छोड़ दी. सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी होने के नाते कांग्रेस को 10 साल के अंतराल के बाद विपक्षी नेता का पद मिला है.

विपक्ष का नेता बनाने की उठी थी मांग
कुछ दिन पहले कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई थी. इसमें सर्वसम्मति से राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता बनाने की मांग उठी थी. बैठक में कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों ने प्रस्ताव पारित किया था कि राहुल गांधी को लोकसभा में पार्टी का नेता नियुक्त किया जाना चाहिए. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए अपने नाम का प्रस्ताव पारित होने पर राहुल गांधी ने इस बारे में सोचने के लिए कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों से कुछ वक्त मांगा था. गांधी परिवार को तीसरी बार ये पद मिला है. गांधी परिवार से सोनिया गांधी विपक्ष की नेता रह चुकी हैं. उन्होंने 13 अक्टूबर 1999 से 06 फरवरी 2004 तक नेता प्रतिपक्ष को जिम्मेदारी निभाई है. इसके अलावा राजीव गांधी 18 दिसंबर 1989 से 24 दिसंबर 1990 तक नेता विपक्ष रह चुके हैं.

आखिरी बार सुषमा स्वराज बनी थीं नेता प्रतिपक्ष
आखिरी बार सुषमा स्वराज 2009 से 2014 तक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थीं. कांग्रेस हो या कोई भी विपक्षी पार्टी पिछले दो चुनावों में लोकसभा में  नेता प्रतिपक्ष का पद सुरक्षित करने के लिए आवश्यक 10 प्रतिशत सदस्य जुटाने में विफल रही थी. इसलिए 16वीं और 17वीं लोकसभा में विपक्ष का नेता का दर्जा नहीं दिया गया था.लेकिन साल 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस को 99 सीटों पर जीत मिली है.

इस वक्त कांग्रेस (Congress) के खाते में 98 सीटें हैं, क्योंकि राहुल गांधी ने वायनाड सीट से इस्तीफा दे दिया है. इस तरह से कांग्रेस पार्टी इस बार नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए दावेदार थी. कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक ने चुनाव में 234 सीटों पर जीत हासिल की है. बीजेपी (BJP) ने 240 सीटों पर विजय हासिल की है. बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए (NDA) ने कुल 293 सीटों पर जीत दर्ज की है.

1969 में आया था नेता प्रतिपक्ष का पद 
नेता प्रतिपक्ष पद 1969 में अस्तित्व में आया. उस समय कांग्रेस (ओ) के नेता राम सुभग सिंह ने इस पद के लिए दावा किया था. संसद के 1977 के एक अधिनियम द्वारा नेता प्रतिपक्ष पद को वैधानिक दर्जा दिया गया. इसमें कहा गया कि एक विपक्षी दल को अपने नेता यानी नेता प्रतिपक्ष पद के लिए विशेषाधिकार और वेतन का दावा करने के लिए सदन के कम से कम 10वें हिस्से पर अधिकार होना चाहिए.  Leaders Of Opposition In Parliament Act 1977 के अनुसार नेता प्रतिपक्ष के अधिकार और सुविधाएं ठीक वैसे ही होते हैं, जो एक कैबिनेट मंत्री के होते हैं.  

नेता प्रतिपक्ष का पद क्यों है महत्वपूर्ण
लोकसभा में Leader of Opposition का पद काफी महत्वपूर्ण होता है. विपक्ष के नेता का रोल लोकतंत्र में संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. नेता प्रतिपक्ष सदन में विपक्ष की आवाज को उठाते हैं और किसी भी मुद्दे पर विपक्ष की सोच को स्पष्ट करते हैं. नेता प्रतिपक्ष को संसद में सरकार की नीतियों की अलोचना करने की स्वतंत्रता होती है. 

सदीय समितियों के फैसले में होती है अहम भूमिका
संसदीय समितियों में विपक्ष के नेता की भूमिका अहम होती है. नेता प्रतिपक्ष को कई समितियों जैसे लोक लेखा समिति, चयन समिति में सदस्यता मिलती है. संसदीय समितियों के फैसले में नेता प्रतिपक्ष की अहम भूमिका होती है. नेता प्रतिपक्ष की असहमतियों पर सरकार ध्यान देती है.

CBI, ED जैसे कई पदों पर नियुक्तियों में निभाते हैं अहम रोल
कई संवैधानिक पदों पर नियुक्ति में नेता प्रतिपक्ष की अहम भूमिका होती है. नेता प्रतिपक्ष को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (CVC), प्रवर्तन निदेशालय (ED), सूचना आयुक्त और लोकपाल की नियुक्ति वाली चयन समितियों का सदस्य बनाया जाता है.इन पदों पर नियुक्तियों में नेता प्रतिपक्ष की राय ली जाती है. इन नियुक्तियों में नेता प्रतिपक्ष की उपस्थिति लोकतंत्र को मजबूत करती है. 

नेता प्रतिपक्ष को मिलती हैं ये सुविधाएं
1. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है. 
2. नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री की तरह वेतन, भत्ते और दूसरी सुविधाएं मिलती हैं. 
3. नेता प्रतिपक्ष को हर महीने 3.30 लाख रुपए सैलरी मिलती है. 
4. नेता प्रतिपक्ष को हर महीने एक हजार का सत्कार भत्ता भी मिलता है. 
5. कैबिनेट मंत्री के लेवल का घर, कार और ड्राइवर के अलावा सुरक्षा जैसी सुविधाएं मिलती हैं. 
6. नेता प्रतिपक्ष को करीब 14 स्टाफ की सुविधा मिलती है. इसका पूरा खर्च सरकार उठाती है.


 

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