Rahul Gandhi: राहुल गांधी Wayanad सीट छोड़ेंगे... Raebareli से बने रहेंगे सांसद... Priyanka Gandhi वायनाड से लड़ेंगी उपचुनाव

Lok Sabha Election 2024 में Rahul Gandhi ने रायबरेली और वायनाड दोनों सीटों से जीत दर्ज की है. नियम के अनुसार यदि कोई उम्मीदवार दो सीट से जीत दर्ज करता है तो 14 दिनों के भीतर किसी एक सीट को छोड़नी होती है. राहुल गांधी ने वायनाड सीट छोड़ने का निर्णय लिया है. अब इस सीट से प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में उपचुनाव लड़ेंगी.

Rahul Gandhi and Priyanka Gandhi (Photo:PTI)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 17 जून 2024,
  • अपडेटेड 8:24 PM IST
  • राहुल गांधी के पास एक सीट छोड़ने की डेडलाइन थी18 जून 
  • खाली सीट पर छह महीने भीतर होगा उपचुनाव 

राहुल गांधी (Rahul Gandhi ने केरल की वायनाड (Wayanad) सीट को छोड़ने का फैसला किया है, जबकि वह रायबरेली (Raebareli) लोकसभा सीट से सांसद बने रहेंगे. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार शाम को इस बात की जानकारी दी. वायनाड से प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में उपचुनाव लड़ेंगी.

दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 में राहुल गांधी रायबरेली और वायनाड दोनों सीटों से जीते हैं. नियमानुसार वह केवल एक सीट से सांसद रह सकते थे. राहुल गांधी ने रायबरेली से सांसद बने रहने का फैसला किया है. लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून 2024 को घोषित किए गए थे. नियम के अनुसार यदि कोई उम्मीदवार दो सीट से जीत दर्ज करता है तो 14 दिनों के भीतर किसी एक सीट को छोड़नी होती है. ऐसे में राहुल गांधी के पास 18 जून 2024 तक का समय था रायबरेली और वायनाड में किस एक सीट को छोड़ने के लिए. राहुल गांधी ने डेडलाइन से पहले ही 17 जून 2024 को वायनाड सीट छोड़ने का निर्णय कर लिया.

राहुल गांधी ने कहा- वायनाड के लोगों ने मुझे बहुत कठिन समय में दिया था समर्थन 
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दोनों सीटों को लेकर कहा कि उनका रायबरेली और वायनाड दोनें जगहों से भावनात्मक लगाव है. पिछले पांच सालों से वह वायनाड के सांसद थे. इस दौरान वायनाड की जनता ने उन्हें बहुत प्यार दिया. वह इसको ताउम्र याद रखेंगे. उन्होंने कहा कि वायनाड के लोगों ने मुझे बहुत कठिन समय में समर्थन दिया और लड़ने की ऊर्जा दी. राहुल गांधी ने कहा कि वह समय-समय पर वायनाड जाते रहेंगे. राहुल गांधी ने कहा कि मैं चाहता हूं कि हर कोई यह जान ले कि प्रियंका वायनाड से चुनाव लड़ेंगी. वायनाड के लिए हमने जो वादा किया था, उसे वह पूरा करेंगी.

प्रियंका बोलीं- मैं वायनाड को राहुल की कमी महसूस नहीं होने दूंगी
प्रियंका गांधी ने वायनाड की जनता को राहुल गांधी की कमी महसूस नहीं होने देने का भरोसा दिया. प्रियंका ने कहा कि मैं वायनाड को राहुल की कमी महसूस नहीं होने दूंगी. मैं कड़ी मेहनत करूंगी. मैं एक अच्छी प्रतिनिधि बनूंगी. राहुल के वायनाड सीट छोड़ने और प्रियंका के उपचुनाव लड़ने का फैसला किए जाने के दौरान कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पार्टी महासचिव के सी वेणुगोपाल और प्रियंका गांधी भी उपस्थित थीं.

दोनों सीटों से राहुल गांधी ने दर्ज की थी सीट
इस बार लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने रायबरेली से 3 लाख 90 हजार वोट और वायनाड से 3 लाख 64 हजार मतों से जीत दर्ज की है. रायबरेली में राहुल गांधी का मुकाबला बीजेपी उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह और वायनाड में ए राजा की पत्नी एनी राजा से था. रायबरेली लोकसभा सीट गांधी परिवार की गढ़ मानी जाती है. रायबरेली से 2019 में सोनिया गांधी सांसद निर्वाचित हुई थीं.

क्या है इस्तीफे को लेकर प्रक्रिया
कोई लोकसभा सदस्य किसी सीट से इस्तीफा देना चाहता है तो आर्टिकल 240 (1) के तहत उसे सबसे पहले लोकसभा अध्यक्ष को लिखित पत्र के रूप में इसकी सूचना देनी होती है. हालांकि इसमें इस्तीफा देने का कोई कारण बताना जरूरी नहीं होता है. नियम के अनुसार कोई लोकसभा सदस्य इस्तीफा सौंपता है और कहता है कि यह इस्तीफा वह अपनी मर्जी से दे रहा है तो स्पीकर तुरंत इस्तीफा स्वीकार कर सकते हैं.

यदि इस्तीफा किसी दूसरे व्यक्ति के माध्यम से या डाक के जरिए आया हो तो लोकसभा अध्यक्ष इसे तब तक स्वीकार नहीं करते हैं, जब तक वह इसकी सही तरीके से तहकीकात नहीं कर लेते. यदि अध्यक्ष को लगता है कि इस्तीफा स्वैच्छिक या सही नहीं है तो वह इस्तीफा अस्वीकार कर सकते हैं. अध्यक्ष द्वारा इस्तीफा स्वीकार किए जाने से पहले इस्तीफा देने वाला  सदस्य अपना त्यागपत्र वापस भी ले सकते है.

अध्यक्ष इस्तीफे के संबंध में सदन को करते हैं सूचित
लोकसभा के स्पीकर यदि किसी सदस्य का इस्तीफा स्वीकार कर लेते हैं तो वह सबसे पहले इसके बारे में सदन को सूचित करते हैं. लोकसभा के महासचिव इस्तीफा स्वीकार करने के बाद उसे लोकसभा के बुलेटिन या गजट में प्रकाशित करते हैं. उसकी एक कॉपी को चुनाव आयोग को भेजा जाता है. उसके बाद चुनाव आयोग उस सीट को रिक्त मानते हुए वहां चुनाव का अधिसूचना जारी करता है. संविधान के अनुच्छेद 101 के खंड 4 के तहत सदस्य की सीट रिक्त घोषित मानी जाती है.

क्या कहता है जनप्रतिनिधित्व अधिनियम
हमारे संविधान के मुताबिक कोई एक व्यक्ति एक साथ संसद के दोनों सदनों या संसद या राज्य विधानमंडल दोनों का सदस्य नहीं हो सकता है. इतना ही नहीं वह एक सदन में एक से ज्यादा सीटों का प्रतिनिधित्व भी नहीं कर सकता है. संविधान के अनुच्छेद 101 (1) में  जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 68 (1) के मुताबिक दो सीटों से चुनाव जीतने की स्थिति में संबंधित उस सदस्य को 14 दिनों के भीतर एक सीट से सांसदी छोड़नी होती है. दिनों की गिनती चुनाव नतीजों के ऐलान के बाद से होती है. 

इस्तीफा नहीं दिया तो क्या होगा
जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 33 (7) के मुताबिक कोई भी व्यक्ति दो संसदीय क्षेत्रों से चुनाव लड़ सकता है. लेकिन उम्मीदवार केवल एक सीट बरकरार रख सकता है. दो सीटों से जीत दर्ज करने वाले किसी सदस्य ने यदि चुनाव नतीजों के घोषणा के 14 दिनों की तय सीमा के भीतर किसी एक सीट से इस्तीफा नहीं दिया तो दोनों सीटों से उसका निर्वाचन रद्द हो जाएगा और दोनों ही सीटें रिक्त मानी जाएंगी.

1996 के संशोधन से पहले कोई व्यक्ति कितनी भी सीटों से चुनाव लड़ सकता था. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 151 ए के मुताबिक निर्वाचन आयोग को संसद के दोनों सदनों और राज्यों के विधायी सदनों में खाली सीटों को रिक्त होने की तिथि से छह महीने भीतर उपचुनाव करना होगा. 

इस्तीफा देने के बाद क्या बचती हैं शक्तियां
लोकसभा सदस्य से इस्तीफा देने के बाद उस सांसद की लगभग सभी शक्तियां छिन जाती हैं. हालांकि इस्तीफे के बाद भी चिकित्सा सुविधा और पेंशन मिलती है. इस्तीफा देने वाले सदस्य संसद में आ-जा सकते हैं लेकिन संसद की किसी कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकते और नहीं कोई सवाल पूछ सकते हैं. 


 

Read more!

RECOMMENDED