अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण तेजी से चल रहा है है. वहीं रामलला की प्रतिमा को लेकर भी लोगों में उत्सुकता है. अब ये तलाश पूरी हो सकती है. नेपाल की गंडकी नदी से मिली भव्य शालिग्राम शिला से रामलला की मूर्ति का निर्माण हो सकता है. शिला की लाने के लिए मंदिर ट्रस्ट के सदस्य 28 जनवरी को नेपाल में जनकपुर पहुंचने वाले हैं. उसके बाद भारत में अयोध्या के लिए शालिग्राम शिला को लाने की प्रक्रिया शुरू होगी.
गंडकी नदी से निकली है शालिग्राम शिला
अयोध्या में राम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण प्रगति पर है. 2024 की जनवरी में ग्राउंड फ़्लोर में रामलला को स्थापित किया जाएगा. इसकी तिथि भी ट्रस्ट की ओर से बतायी गई है. ऐसे में रामलला की बालस्वरूप प्रतिमा कैसी होगी इसको लेकर भी उत्सुकता लोगों के मन में है. विशेषज्ञ शिल्पकारों के पैनल की तरफ से ये फाइनल की जाएगी, जिससे हर प्रकार से उपयुक्त प्रतिमा तैयार की जा सके लेकिन इस बीच नेपाल की गंडकी नदी में मिली. शालिग्राम शिला को लेकर चर्चा है कि रामलला की प्रतिमा के लिए इसका चयन हो सकता है. 7x5 फीट की इस शिला को अभी निकालने के बाद नेपाल के पुरातत्व विशेषज्ञों ने देखा है. इस शिला को लाने के लिए 28 जनवरी को मंदिर ट्रस्ट के सदस्य नेपाल पहुंचेंगे. उसके बाद शिला को पूरे साजसज्जा के साथ अयोध्या लाएंगे.
शिला लाने से पूर्व जानकी के घर में परम्परा अनुसार होगा सत्कार
शालिग्राम शिला लाने के रूट की एक्सक्लूसिव जानकारी के अनुसार जनकपुर से शालिग्राम शिला भारत नेपाल बॉर्डर पर जतहीं पर लाया जाएगा. उसके बाद मधुबनी, दरभंगा, मुज़फ़्फ़रपुर, गोपालगंज को पार करते हुए यूपी में प्रवेश करेगी शालिग्राम शिला. जगह जगह शिला का स्वागत और अगवानी के लिए भी कार्यक्रम तय हो सकता है. उसके बाद गोरखपुर पहुंचेगी शालिग्राम शिला. वहां से शिला अयोध्या आएगी. 28 को मंदिर ट्रस्ट के सदस्य नेपाल के जनकपुर पहुंच जाएंगे. एक दिन पूर्व 27 जनवरी शाम को पहुँचने का कार्यक्रम भी तय हो सकता है पर अभी 28 की योजना है. 28 जनवरी को वहां की परम्परा और साधु संतों के आग्रह पर वहाँ रात्रि विश्राम करेंगे. उसके बाद वहां अगले दिन यज्ञ और धार्मिक आयोजन होंगे. शालिग्राम शिला लाने की जानकारी देते हुए श्रीराम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने बताया कि ‘नेपाल में जनकपुर तो राम जी की ससुराल है. मां जानकी के मायके की भी कुछ परम्परा है. वहां के साधु संतों की इच्छा और वहां की परम्परा है कि सत्कार और रात्रि विश्राम वहां किया जाए. ऐसे में उसी दिन हम लोग कैसे वापस आ जाएंगे जिस दिन पहुंचेंगे. इसलिए वहां के आयोजन देखकर वापसी का समय और दिन औपचारिक रूप से तय होगा.’
शालिग्राम में है विष्णु का वास, होती है पूजा
शालिग्राम शिला नेपाल की गंडकी नदी में मिलती है. ये शिला काफी महंगी है पर नेपाल सरकार के सौजन्य से मिलेगी. शालिग्राम की शिला को लोग घर में पूजा भी करते हैं और प्रतिमा भी बनती है पर गर्भगृह में स्थापित होने वाली प्रतिमा करीब 5.5 फीट की बननी है जिसके नीचे 3 फीट का पेडेस्ट्रीयल भी होगा. रामनवमी के लिए सूर्य की किरण रामलला की प्रतिमा के ललाट पर पड़ेगी. इसके लिए इसका विशेष प्रकार से निर्माण ज़रूरी है. साथ ही करीब 30 फीट दूरी से इसके दर्शन हो सकें इसके लिए शिला की क्वालिटी भी अच्छी होनी चाहिए. यही तय करने के लिए विशेषज्ञों और शिल्पकारों की टीम इस शिला को हर प्रकार से देख कर औपचारिक रूप से इससे प्रतिमा निर्माण का फैसला करेगी.