रैपिडएक्स के स्टेशनों में यात्रियों के लिए होंगी अनेक सुविधाएं, मोर से प्रेरित हैं स्टेशनों के रंग

एनसीआरटीसी ने यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए और प्रकृति से सामंजस्य बनाते हुए स्टेशन को हवादार, खुला और प्राकृतिक रौशनी से प्रकाशित बनाया है. इसके लिए स्टेशनों की दीवार के लिए बेज़ रंग के छिद्रित पैनल लगाए गए हैं.

RapidX stations
वरुण सिन्हा
  • नई दिल्ली,
  • 28 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 3:57 PM IST

एनसीआरटीसी द्वारा भारत के प्रथम रीजनल रेल कॉरिडोर के लिए निर्मित रैपिडएक्स स्टेशनों के रंगों की प्रेरणा मोरपंख के रंगों से ली गई है. आरआरटीएस कॉरिडोर के प्रायोरिटी सेक्शन के स्टेशन परिचालन के लिए तैयार हो चुके हैं और यह पूरा कॉरिडोर मोरपंख के रंगों की रंगावली में सजा हुआ नज़र आने लगा है. लोगों को सार्वजनिक परिवहन के साधनों से यात्रा करने के लिए प्रेरित करने के लिए एनसीआरटीसी ने स्टेशनों की संरचना के हर आयाम पर विशेष ध्यान दिया है और यात्रियों की हर छोटी-बड़ी ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए उसे स्टेशन डिज़ाइन में शामिल किया है.

स्टेशन के बाहरी फसाड के रंगों की प्रेरणा भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर के पंखों की छटा में बिखरी रंगावली से ली गई है. फसाड की संरचना को नीले रंग के 2 शेड्स और बेज़ रंग में बनाया गया है. रैपिडएक्स कॉरिडोर के स्टेशनों की बाहरी छत के दोनो किनारों को उठा हुआ बनाया गया है जो गति को दर्शाता है जो रैपिडएक्स ट्रेनों की प्रमुख विशेषता है. इस विशेष डिज़ाइन के पीछे एक वजह यह भी है कि रैपिडएक्स कॉरिडोर के स्टेशनों की चौड़ाई प्रत्येक स्टेशन के हिसाब से अलग-अलग हैं. ऐसे में उनमें एकरसता और लीनियर डिज़ाइन को दर्शाने के लिए इसे ख़ास आकार दिया गया है.

एनसीआरटीसी ने यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए और प्रकृति से सामंजस्य बनाते हुए स्टेशन को हवादार, खुला और प्राकृतिक रौशनी से प्रकाशित बनाया है. इसके लिए स्टेशनों की दीवार के लिए बेज़ रंग के छिद्रित पैनल लगाए गए हैं जो आसपास के वातावरण के साथ एकीकरण को भी दर्शाते हैं. साथ ही रेलिंग के साथ-साथ बेज़ रंग के लूव्र लगाए गए हैं जो स्टेशन में हवा का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित करते हैं.

स्टेशन के विस्तार के पैमाने को दर्शाने और स्टेशन को खास पहचान देने के लिए, फसाड की संकल्पना स्टेशन के कॉनकोर्स लेवल से ही की गई है. इस डिज़ाइन की एक विशिष्टता यह भी है कि मल्टी-मॉडल इंटीग्रेशन के अंतर्गत बनाए गए फुट-ओवर ब्रिज भी इन्ही रंगों में रंगे होंगे. यानी हर मौसम में, धूप और बारिश से यात्रियों के बचाव के लिए उनको भी कवर किया गया है. साथ ही, सड़क के दोनों किनारे रहने वाले लोगों की सुगमता के लिए और स्टेशन के बाहर ट्रैफिक जाम की स्थिति से बचने के लिए स्टेशन के प्रवेश-निकास द्वार को मेन कैरिजवे पर न बनाकर, उनके लिए सड़क के दोनों ओर एक विशिष्ट पैसेज बनाया गया है. इन्हें भी कवर किया गया है जिससे न सिर्फ डिज़ाइन में एक निरंतरता रहेगी बल्कि यात्रियों को कनेक्टिविटी का भी एहसास होगा.

स्टेशन के अंदर भी डिज़ाइन के आयामों पर ख़ासा ध्यान दिया गया है. स्टेशन की फ्लोरिंग के लिए, जिन जगहों पर यात्रियों का आवागमन अधिक रहता है, वहां हार्ड मटेरियल जैसे ग्रेनाइट या इपॉक्सी का प्रयोग किया गया है। बाकी स्टेशन की फ्लोरिंग के लिए वैक्यूमाइज़्ड डेंस कॉनक्रीट (वीडीसी) का उपयोग किया गया है. वैक्यूमाइज़्ड कंक्रीट एक ऐसे प्रकार का कंक्रीट होता है जिसमें कंक्रीट को मज़बूती प्रदान करने के लिए उसकी मिक्सिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले अतिरिक्त पानी को निकाल दिया जाता है. साथ ही सुंदरता के लिए इसमें ग्रेनाइट को मिलाया जाता है.

स्टेशन को अधिक हवादार, विशाल, खुला और प्रकाशित दिखाने के लिए स्टेशन के अंदर शीशे की लिफ्ट लगाई गई हैं. इनमें से कुछ लिफ्ट आकार में बड़ी हैं ताकि आवश्यकता पड़ने पर स्ट्रेचर को आसानी से लाया- ले जाया जा सके. प्लेटफॉर्म पर ट्रेन का इंतज़ार करते यात्रियों की सुविधा के लिए बैठने के लिए सीट का प्रावधान है. साथ ही, उनकी सुरक्षा के लिए हर स्टेशन पर प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स (पीएसडी) लगाए गए हैं. यह पीएसडी ट्रेन के सिग्नलिंग सिस्टम से जुड़े होंगे, यानी ट्रेन के दरवाज़े और पीएसडी, दोनों के बंद होने के बाद ही ट्रेन को चलाया जा सकेगा.

इसके अलावा, सभी स्टेशनों में, कॉनकोर्स लेवल के पेड एरिया में पीने के पानी और वॉशरूम की सुविधा दी गई है. कॉरिडोर के बड़े स्टेशनों में, जहां मल्टी-मॉडल इंटीग्रेशन के अंतर्गत कनेक्टिविटी दी जा रही है, वॉशरूम की सुविधा स्ट्रीट लेवल पर भी दी गई है. छोटे बच्चों के साथ यात्रा कर रहे यात्रियों की सुविधा का भी ख़ास ख्याल रखते हुए हर मल्टी-मॉडल इंटीग्रेशन प्रदान करने वाले स्टेशन के कॉनकोर्स लेवल पर एक कक्ष का प्रावधान रखा गया है जिसमें डाइपर चेंजिंग स्टेशन भी बनाया गया है.

दृष्टिबाधित व्यक्तियों के सुविधाजनक आवागमन के लिए रैपिडएक्स स्टेशन पर विशेष व्यवस्था की गई है. उन्हें किसी भी तरह के भ्रम से बचाने और स्टेशन में मुख्य जगहों पर आने-जाने के लिए सीधा-सरल रास्ता दिखाने के लिए विशिष्ट टैकटाइल पाथ बनाया गया है. सभी रैपिडएक्स स्टेशन यूनीवर्सली एक्सेसिबल हैं.

स्टेशन को व्यवस्थित और सिम्मिट्रिकल बनाने के लिए बिजली की तारों या अन्य सुविधाओं की पाइप या तारों के लिए एक कंसॉलिडेटेड बूम बनाया गया है, जहाँ इन्हें व्यवस्थित रूप से एक जगह पर रखा जाएगा. इससे न सिर्फ स्टेशन देखने में सुंदर लगेगा बल्कि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी.

स्वच्छ और हरित पर्यावरण की दिशा में अपना योगदान देने के लिए  एनसीआरटीसी सभी रैपिडएक्स स्टेशनों, डिपो, पावर सबस्टेशनों एवं अन्य भवनों के लिए आईजीबीसी प्रमाणन की उच्चतम रेटिंग प्राप्त करने हेतु प्रयासरत है. ग्रीन एनर्जी एवं न्यूनतम जल व्यय प्रणाली से लैस रैपिडएक्स सिस्टम का बुनियादी ढांचा हरित परिवहन मॉडल पर न केवल यात्रियों का समग्र अनुभव बढ़ाएगा बल्कि सार्वजनिक परिवहन का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने के लिए भी प्रोत्साहित करेगा. यह प्रयास कार्बन उत्सर्जन कम करने में भी सहायक सिद्ध होगा.

इन सभी खूबियों से सजे रैपिडएक्स स्टेशन जल्द ही यात्रियों के लिए संचालित होने वाले हैं. एनसीआरटीसी जल्द ही, दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ कॉरिडोर के 17 किमी लंबे प्राथमिक खंड को निर्धारित समय से पहले ही जनता के लिए परिचालित करने जा रहा है.

 

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