Birthday Special: ब्लैक टाइगर के नाम से फेमस थे Ravindra Kaushik...पाकिस्तान सेना में सालों तक रहे मेजर, जानें रॉ के इस एजेंट की कहानी

Black Tiger Ravindra Kaushik: भारत के महान जासूस रविंद्र कौशिक को थिएटर करने का बड़ा शौक था. एक थिएटर में उनकी अदाकारी को देखकर रॉ के अधिकारियों ने उन्हें जॉब का मौका दिया था. कड़ी ट्रेनिंग देने के बाद रविंद्र को पाकिस्तान भेजा गया था.

रविंद्र कौशिक (फोटो सोशल मीडिया)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 11 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 9:55 AM IST
  • रविंद्र कौशिक का जन्म राजस्थान के श्रीगंगानगर में 11 अप्रैल 1952 को हुआ था
  • दुबई में नौकरी करने की बात घरवालों से बताई थी 

रविंद्र कौशिक का नाम तो आपने सुना ही होगा. वह रॉ यानी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के जासूस थे. भारतीय होकर भी रविंद्र कौशिक पाकिस्तान आर्मी में मेजर पद पर सालों तक रहे. आइए जानते हैं इस रॉ एजेंट की कहानी.

ऐसे पड़ी रॉ की नजर
रविंद्र का जन्म राजस्थान के श्रीगंगानगर में 11 अप्रैल 1952 को हुआ था. उनके पिता एयरफोर्स में थे. रविंद्र को थिएटर करने का बड़ा शौक था. वहीं एक थिएटर में उनकी कलाकारी देखकर रॉ ने उन्हें स्पॉट कर लिया था.

सैनिक का रोल किया था प्ले
रविंद्र कौशिक ने 1975 में बीकॉम पास करने के बाद लखनऊ में एक प्ले किया था, जिसमें उन्होंने सैनिक का रोल किया था.
उस प्ले में दिखाया गया था कि कैसे भारतीय सेना का एक जवान चीनी फौज के कब्जे में आ जाता है और उससे राज उगलवाने के लिए उसे टॉर्चर किया जाता है.इस प्ले को रॉ के कुछ अधिकारी भी देख रहे थे. वे रविंद्र के अभिनय के इतने कायल हुए कि उन्होंने रविंद्र से कहा कि यदि देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा है तो तुम दिल्ली में आकर मिलो. तुम्हारे लिए हमारे पास एक काम है. रविंद्र ने काम करने के लिए हामी भर दिया. उन्हें रॉ के ऑफिस ले जाया गया, वहां उनसे कहा गया कि आप रॉ का एजेंट बनोगे, तो उन्होंने हां कह दिया. 

नाम और धर्म दोनों बदलना पड़ा
रविंद्र को रॉ एजेंट की ट्रेनिंग दी गई. उन्हें वह सब बताया गया कि एक पाकिस्तानी कैसे रहता है, क्या सोचता है और कैसे बोलता है. उन्हें उर्दू की भी शिक्षा दी गई. जासूस के तौर पर वहां रहने के लिए नाम भी बदलना पड़ा. पाकिस्तान भेजने से पहले रविंद्र कौशिक को छोटे देशों में भेजा गया था. वहां पर उनका काम अच्छा रहा. इसके बाद रविंद्र कौशिक को साल 1977 में पाकिस्तान भेजा गया. रविंद्र कौशिक ने अपने घरवालों को बताया था कि वह दुबई में नौकरी करने जा रहे हैं.

कराची के लॉ कॉलेज में लिया था दाखिला 
पाकिस्तान पहुंचने के बाद रविंद्र ने कराची के लॉ कॉलेज में दाखिला ले लिया. यहीं से उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई करने के बाद पाकिस्तानी सेना को ज्वाइन किया. इसी दौरान पाकिस्तान के एक आर्मी अफसर की बेटी से मोहब्बत हो गई. दोनों ने शादी कर ली. यहां तक कि उन्होंने पत्नी को भी कभी इस बारे में पता नहीं लगने दिया कि वो रॉ में काम करते हैं. 

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दिया था ब्लैक टाइगर का नाम
रविंद्र पाकिस्तान आर्मी में मेजर पद तक पहुंचे. इस बीच पाकिस्तान आर्मी को कभी भी एहसास नहीं हुआ कि उनके बीच भारत का जासूस काम कर रहा है. 1979 से 1983 के बीच कौशिक ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को पाकिस्तानी सेना से जुड़ी अहम जानकारियां सौंपी, जो देश के लिए काफी मददगार साबित हुई. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रविंद्र को द ब्लैक टाइगर नाम दिया था. 

ऐसे खुल गया था राज
सितंबर 1983 में भारत ने एक लो लेवल जासूस इनायत मसीह को रविंदर कौशिक से कॉन्टेक्ट करने को कहा. पाक सेना ने इनायत को पकड़ लिया. फिर उसने सारा सच बता दिया. इसके बाद कौशिक भी पकड़े गए. साल 1985 में पाक की अदालत ने कौशिक को मौत की सजा सुनाई थी. बाद में हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को उम्रकैद में बदल दिया. जेल में वर्षों यातना झेलने की वजह से उन्‍हें टीबी, अस्‍थमा और दिल की बीमारियां हो गईं थीं. नवबंर 2001 में उनकी मौत हो गई. उन्‍हें मुल्‍तान की सेंट्रल जेल में दफना दिया गया था.

 

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