भारत की बेटी निकहत जरीन (Nikhat Zareen) ने तुर्की के इस्तांबुल में महिला विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत लिया है. वो टूर्नामेंट में स्वर्ण जीतने वाली पांचवीं भारतीय महिला बन गई हैं. उनसे पहले मैरीकॉम, सरिता देवी, जेनी आर एल और लेखा केसी ने अपने-अपने भारवर्ग में स्वर्ण पदक जीता था. जरीन के इस उम्दा प्रदर्शन के बाद उनकी चारों तरफ सराहना हो रही है.
माता-पिता ने किया सपोर्ट
निकहत का जन्म तेलंगाना के निजामाबाद में 14 जून 1996 को हुआ था. उनके पिता का नाम मुहम्मद जमील अहमद और मां का नाम परवीन सुल्ताना है. निकहत के पिता चाहते थे कि उनकी चारों बेटियों में से कोई एक स्पोर्ट्स में जाए. निकहत की दो बड़ी बहनें डॉक्टर हैं. उन्होंने अपनी तीसरी बेटी निकहत को एथलेटिक्स के लिए चुना. लेकिन अपने चाचा की सलाह पर निकहत बॉक्सिंग रिंग में उतरीं और 14 साल की उम्र में ही वर्ल्ड यूथ बॉक्सिंग चैम्पियन बनीं.
नहीं की समाज की परवाह
हालांकि बॉक्सिंग में करियर बनाना निकहत के लिए आसान नहीं था. वह जिस समाज से आती हैं वहां महिलाएं अक्सर बुर्के में ही नजर आती हैं. लेकिन उनके सपनों को सच करने का हौसला दिया, माता-पिता ने. निकहत के पिता बताते हैं, इस खेल में लड़कियों को शॉर्ट्स और ट्रेनिंग शर्ट पहनने की जरूरत होती है, जब हमने अपनी बेटी को इसके लिए तैयार किया तो दोस्त, रिश्तेदार सभी को इससे ऐतराज था. हमारे रिश्तेदार हमसे कहते कि एक लड़की को ऐसा खेल नहीं खेलना चाहिए जिसमें उसे इस तरह के कपड़े पहनने पड़े लेकिन हमने हमेशा अपनी बेटी का सपोर्ट किया. वहीं निकहत ने भी देश के लिए गोल्ड मेडल जीतकर अपने पिता के फैसले को सही साबित किया है.
अपने नाम की तरह देश को किया रोशन
निकहत का अर्थ होता है खुशबू और जरीन का मतलब गोल्ड, सोना... बिल्कुल अपने नाम की तरह निकहत जरीन ने देश को भी गोल्ड की खुशबू से महका दिया है. अपने काम और हौसले के चलते आज वह देश के तमाम लोगों की रोल मॉडल बन गई हैं. बता दें भारत की ओर से 12 सदस्यीय टीम ने हिस्सा लिया था. भारत ने चार साल बाद गोल्ड मेडल हासिल किया है. इससे पहले 2018 में एम सी मैरीकॉम ने जीता था.