Republic Day: हर साल गणतंत्र दिवस परेड कर्तव्य पथ पर ही क्‍यों होती है? राजपथ क्यों बना कर्तव्य पथ?

गणतंत्र दिवस देश के उस दिन को बताता है जब भारत का संविधान लागू हुआ. 26 जनवरी, 1950 में पहली बार रिपब्लिक परेड मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में हुई थी. राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर पहली बार परेड साल 1955 में हुई थी.

Republic Day Parade
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:04 PM IST

भारत 26 जनवरी, 2024 को अपना 75वां गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारी कर रहा है. देश के इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण पल है. यह वह दिन है जब 1950 में नया अपनाया गया संविधान लागू हुआ और भारत एक गणतंत्र बन गया.

गणतंत्र दिवस समारोह का केंद्र बिंदु नई दिल्ली में कर्तव्य पथ (पूर्व में राजपथ) पर हर साल होने वाली भव्य परेड है. यह भव्य आयोजन सशस्त्र बलों की तीनों शाखाओं की मार्चिंग टुकड़ियों, सैन्य उपकरणों के प्रभावशाली प्रदर्शन और मोटरसाइक्लिस्ट के रोमांचक प्रदर्शन के साथ भारत की सैन्य ताकत को प्रदर्शित करता है. इस दौरान तीनों सेनाओं के अलावा एनसीसी और विभिन्‍न बलों के जवान भी परेड में हिस्‍सा लेते हैं. इस साल भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन को आमंत्रित किया गया है.

कर्तव्य पथ पर क्यों मनाया जाता है गणतंत्र दिवस?
कर्तव्य पथ (पूर्व में राजपथ) राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक को कवर करता है और सभी भारतीय के लिए ऐतिहासिक महत्व रखता है. इसने स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस पूरी लेन को पहले किंग्सवे के नाम से जाना जाता था, जिसे 1911 में ब्रिटिश सत्ता ने अपनी राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) से यहां स्थानांतरित करने के बाद बनाया गया था. आजादी के तुरंत बाद, किंग्सवे का नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया, और क्वींसवे जो इसके perpendicular था उसका नाम जनपथ कर दिया गया. 

आजादी की सुबह देखने से लेकर पिछले सात दशकों में वार्षिक गणतंत्र दिवस समारोह की मेजबानी करने तक, राजपथ औपनिवेशिक शासन से अवगत रहा है और एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र की महिमा का आनंद उठाता रहा है. यह मार्ग औपनिवेशिक शासन से एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य तक भारत की यात्रा का प्रतीक है. आपको जानकर हैरानी होगी कि साल 1950 से लेकर 1954 तक गणतंत्र परेड चार अलग-अलग जगह पर हुई थी. यह परेड किंग्सवे कैंप,लाल किला तो कभी रामलीला मैदान में आयोजित कराई गई थी. राष्ट्रीय ध्वज फैराने के बाद भारतीय सेना की 21 तोपों की सलामी दी जाती है. पहले गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे.

राजपथ का नाम कर्त्तव्य पथ कब किया गया?
सितंबर 2022 में 'राजपथ' का नाम बदलकर 'कर्तव्य पथ' कर दिया गया. कुछ ही समय बाद पीएम मोदी द्वारा संशोधित सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के हिस्से के रूप में इसका उद्घाटन किया गया. सरकार के अनुसार, यह पूर्ववर्ती राजपथ से शक्ति के प्रतीक के रूप में कर्तव्य पथ में बदलाव का प्रतीक है जो सार्वजनिक स्वामित्व और सशक्तिकरण का एक उदाहरण है. उद्घाटन के बाद अपने संबोधन में, पीएम मोदी ने कहा कि किंग्सवे या राजपथ, "गुलामी का प्रतीक", अब इतिहास में बदल दिया गया है और हमेशा के लिए मिटा दिया गया है.

गणतंत्र दिवस परेड का समय और स्थान
परेड का समय प्रातः 10:00 बजे है. परेड देखने आने वाले लोगों को 9:30 तक अपनी-अपनी सीट ले लेनी है. परेड राष्ट्रपति भवन के पास रायसीना हिल से शुरू होती है और कर्त्तव्य पथ के साथ इंडिया गेट से गुजरते हुए लाल किले तक जाती है और पांच किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करती है. आयोजन स्थल पर बैठने की क्षमता 77,000 है, जिसमें से 42,000 सीटें आम जनता के लिए आरक्षित हैं.

 

Read more!

RECOMMENDED