मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में आज यानी 3 दिसंबर 2023 को विधानसभा के नतीजे आ जाएंगे, वहीं मिजोरम का परिणाम 4 दिसंबर को आएगा. इन पांचों राज्यों के चुनावों के नतीजों पर विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन) की करीबी नजर है क्योंकि कांग्रेस के प्रदर्शन का असर विपक्षी गठबंधन के समीकरण पर पड़ने की संभावना है. आइए जानते हैं कैसे?
इन चुनावों को 'सेमीफाइनल' के तौर पर भी देखा जा रहा
पांचों राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए पिच तैयार होगी. यही कारण है कि इन चुनावों को 'सेमीफाइनल' के तौर पर भी देखा जा रहा है. ये चुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए अहम हैं. कांग्रेस के लिए तो और भी ज्यादा. कारण है कि उसका प्रदर्शन विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' की दशा और दिशा तय करने वाला है.
सीट बंटवारे के आग्रह को कांग्रेस ने दिया था टाल
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप) और समाजवादी पार्टी (सपा) सहित कुछ दल सीट-बंटवारे पर जल्द बातचीत करने के इच्छुक थे लेकिन कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों के नतीजे आने तक विचार-विमर्श को टाल दिया था. सीट बंटवारे में अधिक सौदेबाजी की शक्ति चाह रही कांग्रेस की ओर से जानबूझकर यह कोशिश की गई क्योंकि उसे इन चुनावों में पार्टी के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है.
चारों राज्यों के नतीजे आने के साथ, मतभेदों को दूर करने, सीट-बंटवारे पर बातचीत करने और 2024 में भाजपा को हराने के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ने के लिए क्षेत्रीय खिलाड़ियों के साथ आगे की बातचीत पर ध्यान देने के साथ व्यस्तता भरी राजनीतिक गतिविधियां शुरू हो जाएंगी. विपक्षी दलों के नेताओं ने पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से आग्रह किया है कि वे मतभेदों को दूर करते हुए भाजपा को हराने के लिए इंडिया गठबंधन को मजबूत करने के वास्ते सभी को एक साथ लेकर आगे बढ़ें.
कांग्रेस के साथ कई दलों का नहीं बैठ रहा तालमेल
यदि कांग्रेस पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मजबूत प्रदर्शन करती है तो गठबंधन में उसकी आवाज और मजबूत हो जाएगी. क्षेत्रीय दल सीट शेयरिंग को लेकर उसके साथ बहुत ज्यादा मोलतोल नहीं कर सकेंगे. विपक्षी गठबंधन इंडिया में दरारें पहले ही दिख चुकी हैं. कांग्रेस के साथ कई दलों का तालमेल नहीं बैठ पा रहा है. यही कारण है कि कई बैठकों के बावजूद शीट शेयरिंग को लेकर कोई अंतिम फॉर्मूला नहीं निकल पा रहा है.
आम आदमी पार्टी हो या तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी इन सभी दलों को हाल में कांग्रेस की आक्रामकता ने मुश्किल में डाला है. यदि कांग्रेस ने पांच राज्यों में भी अच्छा प्रदर्शन करके दिखा दिया तो इंडिया गठबंधन पर उसका एक तरह से राज हो जाएगा. कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि 26 दलों का विपक्षी गठबंधन (इंडिया) केवल लोकसभा चुनावों के लिए है.
कांग्रेस का कमजोर प्रदर्शन क्षेत्रीय दलों के लिए एक मौका
पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों में यदि कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा तो पार्टी के साथ क्षेत्रीय दलों के लिए लोकसभा चुनाव से पहले सीट शेयरिंग को लेकर मोलतोल करना और ज्यादा कठिन हो जाएगा. इसके उलट कांग्रेस का कमजोर प्रदर्शन क्षेत्रीय दलों के लिए एक मौका खोलेगा.
वे इंडिया गठबंधन में ज्यादा बड़े स्टेकहोल्डर बनकर सामने आ सकते हैं. लोकसभा चुनाव में भी क्षेत्रीय दल कांग्रेस से ज्यादा कड़ी शर्तों के साथ मोलतोल कर सकते हैं. कांग्रेस यह बिल्कुल नहीं चाहेगी. यही कारण है कि कांग्रेस का विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन बहुत ज्यादा मायने रखेगा. वहीं कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन में क्षेत्रीय दलों के लिए खुशखबरी छुपी है.