मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया के तट पर बुधवार को हुई नाव दुर्घटना में 15 लोगों की जानें जा चुकी हैं. अधिकारियों ने बताया कि सात साल के ज़ोहान पठान का शव शनिवार को ढूंढ निकाला गया. ज़ोहान की मां सकीना पठान भी इस दुर्घटना में अपनी जान गंवा चुकी हैं. मुंबई नाव दुर्घटना ने इस तरह कई परिवारों को तोड़ दिया है.
इस हादसे के बाद जहां कई लोग जिन्दगी और मौत के बीच झूल रहे थे, वहीं मुंबई पोर्ट ट्रस्ट का एक ड्राइवर सुपरहीरो साबित हुआ. पूर्वा नाम की नाव के ड्राइवर आसिफ बामने ने दुर्घटना के बाद 30 मिनट में 30 जानें बचाईं, जिसके लिए उनकी खूब वाहवाही हो रही है.
जब दुर्घटना के बाद मच गया त्राहिमाम
गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा आइलैंड की ओर जा रही पैसेंजर बोट 'नीलकमल' में बैठे लोगों की जान पर तब बन आई जब नौसेना की एक स्पीडबोट उनसे टकरा गई. नौसेना ने इस घटना के बारे में बताया, "करीब शाम चाार बजे नौसेना की एक नाव की इंजन टेस्टिंग हो रही थी. तभी वह नाव बेकाबू हो गई और करांजा के करीब पैसेंजर बोट नीलकमल से जा टकराई. यह नाव सवारियों को गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा आइलैंड तक ले जा रही थी."
जैसे ही यह टक्कर हुई, दोनों नावों के 100 से ज्यादा लोग समंदर में गिर गए. नौसेना और कोस्ट गार्ड के बचाव दल को नीलकमल तक पहुंचने में समय लगने वाला था. ऐसे में आरिफ बामणे नाम का नाविक कई लोगों के लिए नायक बनकर आगे आया.
...जब आरिफ की फुर्ती ने बचाईं कई जानें
न्यूज़ नाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई पोर्ट ट्रस्ट की नाव पूर्वा के ड्राइवर आरिफ और उनकी टीम जवाहरदीप से मुंबई की ओर जा रहे थे जब उन्हें इस हादसे की सूचना मिली. उन्हें फौरन जेडी5 के करीब इस जगह पहुंचने के लिए कहा गया. आरिफ की नाव पर सिर्फ चार लोग थे लेकिन उन्होंने ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाने की पूरी कोशिश की.
जब आरिफ घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां कोस्ड गार्ड या नौसेना की ओर से कोई मदद नहीं पहुंची थी. ऐसे में उन्होंने अपनी जान पर खेलकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाइफ जैकेट दी. न्यूज नाइन की रिपोर्ट के अनुसार, आरिफ ने 20-25 लोगों को अपनी नाव पर सवार किया. जबकि टाइम्स नाउ मराठी की एक रिपोर्ट के अनुसार यह आंकड़ा 30-35 तक है.
आरिफ ने जिन लोगों की जान बचाई उनमें से एक तीन साल की बच्ची भी थी. जब आरिफ उस बच्ची को पानी से निकालकर अपनी बोट पर लेकर आए तो वह सांस नहीं ले रही थी. ऐसे में आरिफ ने उस बच्ची को पेट के बल लेटाया और उसके मुंह से पानी निकाला. आखिरकार उस बच्ची को होश आ गया.
"मैंने इतना बड़ा राहत कार्य नहीं देखा"
न्यूज नाइन की रिपोर्ट आरिफ के हवाले से बताती है कि उन्होंने अपने 18 साल के बोटिंग करियर में इतना बड़ा बचाव और राहत कार्य नहीं देखा. उन्होंने कहा कि बुधवार की घटना उनके जीवन की सबसे दुखद घटना थी. आरिफ ने कहा, "मैंने जो भी रेस्क्यू ऑपरेशन देखे हैं, उनमें यह सबसे बड़ा था. हमने उसके (तीन साल की बच्ची के) सीने पर जोर देकर सांस लेने में उसकी मदद की. धीरे-धीरे वह सांस लेने लगी."
इस बीच, एशियानेट न्यूज ने एक छोटी पर्यटक नाव के चालक इकबाल गोठाकर के हवाले बताया कि दोपहर 3:35 बजे एलीफेंटा द्वीप से रवाना होने के 25 से 30 मिनट बाद उन्हें घटना की जानकारी मिली. वह दुर्घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने वालों में से थे. रायगढ़ जिले के मूल निवासी गोठाकर के अनुसार पलटी हुई नाव पर सवार लोग मदद के लिए हाथ हिला रहे थे.
उन्होंने बताया कि जब तक वे घटनास्थल पर पहुंचे तब तक मछली पकड़ने वाली एक नाव भी आ चुकी थी. गोठाकर ने बताया कि उनकी नाव ने 16 लोगों को बचाया और उन्हें सुरक्षित गेटवे ऑफ इंडिया पहुंचाया. बचाए गए लोगों को पुलिस स्टेशन ले जाया गया. इस त्रासदी को याद करते हुए गोठाकर ने कहा, "मैंने अपने करियर में ऐसी घटना कभी नहीं देखी."