Child Adoption: बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया आसान बनाने की मांग पर SC भेजेगी केन्द्र को नोटिस

कोर्ट में याचिका एनजीओ टेम्पल ऑफ हीलिंग की ओर से सेकेट्री पीयूष सक्सेना ने दाखिल की है. याचिका में कहा गया था कि देश भर में करीब तीन करोड़ लोग निसंतान हैं. इनमें से ज्यादातर लोग बच्चा गोद लेना चाहते हैं. इस याचिका पर SC ने केन्द्र सरकार को नोटिस भेजने की बात कही है

Child Adoption
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 11 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 5:57 PM IST
  • यह याचिका  एनजीओ टेम्पल ऑफ हीलिंग की तरफ से सेकेट्री पीयूष सक्सेना ने दाखिल की है.
  • याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे आसान बनाने को लेकर विचार करने पर  सहमति जताई है

बच्चा कुदरत की सबसे बड़ी देन होता है. लेकिन कई लोग ऐसे हैं जो कुदरत के इस सबसे बड़े तोहफे से अछूते रह जाते हैं . ऐसे में ये लोग बच्चा गोद लेना  चाहते हैं,  लेकिन हमारे देश में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया काफी जटिल है. अब इस सिलसिले में  सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, और इसे आसान बनाने को लेकर विचार करने पर  सहमत हो गए हैं.  जस्टिस डॉ धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने द टेम्पल ऑफ हीलिंग द्वारा अपने सचिव पीयूष सक्सेना के माध्यम से दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया. सुप्रीम कोर्ट ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा दत्तक ग्रहण योजना तैयार करने की मांग वाली द टेम्पल ऑफ हीलिंग की याचिका पर सुनवाई के बाद केंद्र को नोटिस जारी किया. 

इतने करोड़ लोग हैं निसंतान

बता दें कि यह याचिका  एनजीओ टेम्पल ऑफ हीलिंग की तरफ से सेकेट्री पीयूष सक्सेना ने दाखिल की है. इस याचिका में कहा गया है कि देश भर में करीब तीन करोड़ लोग निसंतान हैं, और ये लोग बच्चा गोद लेना चाहते हैं. वहीं आकड़ों में ये भी बताया गया कि देश में तकरीबन 3 करोड़ बच्चे देश में अनाथ हैं. गोद लिए जाने वाले बच्चों की सख्यां हर साल  4 हजार  है. याचिकाकर्ता ने अपनी दलीलों के समर्थन में मीडिया रिपोर्ट्स और CARA (सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स ऑथरिटी ) का हवाला दिया है.

पिछले साल इतने बच्चे लिए गए गोद 

CARA के आंकड़ों के मुताबिक साल 2020-21 के बीच भारत में 3142  बच्चों को गोद लिया गया. जबकि 417 बच्चों को विदेशी दंपति ने गोद लिया. 2016 से 2021 के बीच पिछले पांच साल में कुल 16353 बच्चों को देश में जबकि 2693 बच्चों को देश से बाहर गोद लिया गया.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की दलील

सोमवार को याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने ये दलील दी कि देश की बड़ी  संख्या बच्चों को गोद लेना चाहता है. लेकिन जानकारी की कमी की वजह से वे ऐसा नहीं कर पाते हैं. याचिकाकर्ता ने कहा कि मैंने सरकार को सुझाव दिया है, लेकिन उनकी तरफ से कोई एक्शन नहीं लिया गया.  उनको हमेशा ये अंदेशा रहता है कि नियम सरल बनाने के चलते बच्चे  गलत हाथों में न चले जाएं.  पर ये समझने की जरूरत है कि देश के सारे  गलत नहीं हैं , लोगों को सही मायनों में बच्चा गोद लेने की जरूरत है.

जस्टिस चंद्रचूड़  ने याद किया बीता हुआ किस्सा

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मुझे एक किस्सा आज भी याद आता है,उस वक्त  मैं बॉम्बे हाई कोर्ट में जज था. एक बच्चे को विदेश में रहने वाली दंपति ने गोद लिया. फिर उस दंपति ने बच्चे को वहीं किसी और दंपति को गोद दे दिया. बच्चे के अभिभावक बदलते रहे लेकिन किसी ने उसे नागरिकता दिलाने की कोशिश नहीं की. उसका ठीक से पालन पोषण नहीं हो सका. उसके बाद वो ड्रग्स केस में पकड़ा गया और भारत वापस भेज दिया गया. विदेश में ही परवरिश होने के चलते उसे कोई भारतीय भाषा भी नहीं आती थी. उसके बाद कुछ मिशनरीज से उसे मदद मिल पाई. तो ऐसे भी केस रहे हैं जहां बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया के दुरुपयोग हुआ. लेकिन इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि बड़ी संख्या में बच्चे अनाथ हैं.

बहरहाल जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम समझ रहे हैं कि आपकी चिन्ता वाजिब है. हम आपकी याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर रहे हैं.

 

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