उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड (Shia Waqf Board) के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी (Waseem Rizwi) ने सोमवार को हिंदू धर्म अपना लिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने डासना देवी मंदिर में शिवलिंग पर दूध चढ़ाकर मुख्य पुजारी नरसिंहानंद सरस्वती की मौजूदगी में सुबह साढ़े दस बजे ये अनुष्ठान पूरा किया. उन्होंने वैदिक भजनों का उच्चारण किया और यज्ञ के बाद हिंदू धर्म अपनाया. बता दें, वे त्यागी समुदाय से जुड़ने वाले हैं और उनका नया नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी होगा.
सनातन धर्म को बताया सबसे पवित्र
हिंदू धर्म अपनाने के बाद रिजवी ने सनातन धर्म को दुनिया का सबसे पवित्र धर्म बताया. रिजवी ने कहा कि हिंदू धर्म में परिवर्तित होने के लिए उन्होंने 6 दिसंबर का दिन इसलिए चुना क्योंकि इस दिन 1992 में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था. रिजवी ने कहा, “मैं आज से हिंदू धर्म के लिए काम करूंगा. मुसलमानों का वोट कभी किसी पार्टी को नहीं जाता. वे केवल हिंदुओं को हराने के लिए वोट डालते हैं.”
किताब ‘मोहम्मद’ को लेकर हैं चर्चा में
गौरतलब है कि रिजवी पिछले महीने एक किताब 'मोहम्मद' के विमोचन के बाद से ही खबरों में बने हुए हैं. उत्तर प्रदेश में कई मौलवियों ने उस पुस्तक के कवर की निंदा की थी. उन्होंने रिजवी पर पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का भी आरोप लगाया था. ऑल-इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड (AISPLB) सहित कई धार्मिक संगठनों ने रिजवी को इसके बाद नोटिस जारी कर दिया था, जबकि कुछ ने राज्य सरकार से इस मुद्दे पर एफआईआर (FIR) की मांग की थी.
कौन हैं वसीम रिज़वी?
दरअसल, यूपी सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी विवादों आये दिन खबरों में बने रहते हैं. द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिजवी के पिता रेलवे कर्मचारी थे. साल 2000 में रिजवी को लखनऊ के कश्मीरी मोहल्ला वार्ड से समाजवादी पार्टी (सपा) का पार्षद चुना गया था, जिसके बाद 2008 में वे शिया वक्फ के सदस्य बने.
कुछ समय बाद शिया धर्मगुरु कल्बे जव्वाद ने उनपर धन की हेराफेरी का आरोप लगाया, जिसके बाद उन्हें छह साल के लिए सपा से निष्कासित कर दिया गया था. हालांकि बाद में उन्हें बहाल भी कर दिया गया.
खबरों में बने रहते हैं वसीम रिजवी
साल की शुरुआत में रिजवी ने मुसलमानों के पवित्र ग्रन्थ कुरान से 26 आयतों को हटाने की मांग की थी. उन्होंने दावा किया था कि ये आयत गैर-मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और नफरत को बढ़ावा देने और देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करने के लिए लिखी गयी हैं. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था और उन पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगा दिया था. इसके बाद, पूरे देश में मुस्लिम मौलवियों ने याचिका की निंदा की थी और रिजवी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की.
आपको बताते चलें, इससे पहले, रिजवी ने अखिल भारतीय शिया पर्सनल लॉ बोर्ड से उन नौ मस्जिदों को वापस करने के लिए कहा था, जो हिंदू मंदिरों की साइटों पर बनाई गई थीं. इनमें काशी और मथुरा जैसे स्थान शामिल थे.
मदरसों को बंद करने का किया था अनुरोध
नवंबर 2020 में, सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) द्वारा रिजवी और अन्य के खिलाफ उत्तर प्रदेश में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की बिक्री और ट्रांसफर के लिए दो मामले दर्ज किए गए थे, हालांकि, रिजवी ने इस आरोप को ‘साजिश’ बताते हुए खारिज किया था.
2019 में, रिजवी ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर प्राइमरी मदरसों को बंद करने का अनुरोध किया था. उनके अनुसार ये मदरसे मुसलमानों को कट्टरपंथी में बदल रहे हैं. इसके लिए उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पत्र लिखा था.
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