कुछ लोग अपना पूरा जीवन दूसरों के लिए समर्पित कर देते हैं. खुद से ज्यादा दूसरे के लिए काम करके उनका ध्यान रखना कुछ लोगों का जीवन का हिस्सा होता है. मुरादाबाद की शिखा गुप्ता पिछले 22 साल से नेत्र रोशनी, नेत्र ट्रांसप्लांट, नेत्र ज्योति जागरण के लिए काम कर रही है. नेत्र दान के लेकर उनकी मुहिम की वजह से अब तक 2758 लोगों को नेत्र मिले, तो वहीं 3 लाख से ज्यादा लोगों को आंखों के ऑपरेशन भी उनके द्वारा कराई गई है.
मां बोलते हैं नेत्रहीन बच्चे
कई बार नेत्रहीन लोग अपने आप को कमजोर महसूस करते हैं, लेकिन शिखा गुप्ता की मुहिम से ऐसे कई नेत्रहीन लोगों को सहारा मिला है. शिखा दो तरह से इन लोगों की मदद करती हैं, पहले उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करती हैं. इनकी ट्रेनिंग करवाती है, ताकि इन लोगों को रोजगार मिल सके. दूसरा नेत्र दान के जरिए इन लोगों की आंखों की रोशनी लौटा कर. ताकि इन लोगों को वापस से एक नई जिंदगी मिल सके. शिखा कहती है मुझे नहीं पता मैं कब इन लोगों के दर्द को महसूस करने लगी ये लोग मुझे मां बोलते है.
12 सालों से कर रही हैं ये नेक काम
शिखा गुप्ता मुरादाबाद की रहने वाली है. उन्होंने 2009 में स्नेह नेत्र संस्थान की नींव रखी, वो कहती हैं ग्रामीण इलाकों में लोगों को पता ही नहीं होता की कब उनकी आंखों की रोशनी कम हो गई. इसलिए उन्होंने अपनी मुहिम की शुरुआत ग्रामीण भारत से की है. उन्होंने
घर-घर जाकर लोगों की आंखों की जांच कराई. मुरादाबाद के 82 गांव में सर्वे कराया, जिन लोगों को आंखों की रोशनी कम हो रही थी. उनका इलाज भी कराया. शिखा कहती हैं अब तक 3 लाख लोगों की आंखो का इलाज करा चुकी हैं. ये सारा इलाज शिखा मुफ्त में करवा रही हैं.
अगले 2 साल में 5 लाख लोगों की मदद करने का दावा
शिखा कहती है उनका उद्देश्य है की अगले 2 साल में वो 5 लाख लोगों की आंखों का इलाज कराने का प्रयास करेंगी. वो कहती है असल में हमें पता ही नहीं चलता की हम कब आंखो से जुड़ी बीमारी के शिकार हो गए है. इसलिए आंखों के मेकअप समय-समय पर वो ग्रामीण इलाके में करवाती रहती है. जिससे हर किसी की आंखो की रौशनी जगमगाती रहे.