Uttarkashi Tunnel में फंसे हैं श्रावस्ती के छह मजदूर, मासूम बेटी बार-बार मां से पूछ रही पापा कब आएंगे घर? नहीं है कोई जवाब

Uttarkashi Tunnel Collapse: श्रावस्ती जिले के छह मजदूर उत्तराखंड की टनल में फंसे हुए हैं. किसी अनहोनी की आशंका में उनके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. सभी सकुशल वापसी के लिए भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं.

टनल में फंसे हैं ये मजदूर (फाइल फोटो)
संतोष शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 25 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 10:09 AM IST
  • सुरंग में फंसे बेटों की चिंता परिजनों को सताए जा रही
  • थारू जनजाति के लोग मुश्किल से कट रहे रात-दिन 

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सुरंग धंसने से फंसे 41 मजदूरों में 6 मजदूर श्रावस्ती के मोतीपुर गांव के हैं. मोतीपुर कला और  रनियापुर गांव के रहने वाले सत्यदेव, अंकित, जयप्रकाश, संतोष, राम मिलन और राम सुंदर के घरों में मातम पसरा है. बीते 12 नवंबर से थारू जनजाति के इन परिवारों के लिए एक-एक दिन और रात मुश्किल से कट रही है.

ज्यादा कमाने सत्यदेव गए थे सुरंग में काम करने 
मोतीपुर गांव के रनियापुर मजरे में रहने वाले सत्यदेव 12 नवंबर से सुरंग में फंसे हैं. सत्यदेव के बुजुर्ग पिता कहते हैं गांव में रोजगार नहीं है. ज्यादा कमाने के लिए सत्यदेव सुरंग में काम करने गया था. वहां पर पुराने मजदूरों को 30 से 35000 और सत्यदेव जैसे नए मजदूरों को 25 से 26 हजार रुपए मिल जाते हैं. दो-तीन महीने मजदूर रुक कर काम करते हैं तो घर के लिए पैसा भेज पाते हैं. 

हॉस्टल से घर आ गया है बेटा
सत्यदेव का बेटा दिव्यांश पास के ही हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करता है लेकिन जब से पिता सुरंग में फंसे हैं वह हॉस्टल छोड़कर मां और दादी बाबा का ध्यान रखने घर आ गया है. सत्यदेव ने जब सुरंग में रहकर भी बेटे से बात की तो यही कहा स्कूल जाते रहना. लेकिन बेटा अपनी मां और दादी बाबा को छोड़कर जाए तो जाए कैसे. अब वह भी कहता है कि पापा आ जाएंगे तो उनसे मिलने के बाद ही हॉस्टल वापस जाऊंगा.

पत्नी का तबीयत हुई खराब
सत्यदेव के घर के पास में ही सुरंग में फंसे एक दूसरे मजदूर राममिलन का घर है. राममिलन की पत्नी का तो रो-रो कर बुरा हाल है. 12 नवंबर से पति के सुरंग में फंसने की खबर मिली तो पत्नी बेसुध हो गई, तबीयत खराब हो गई. डॉक्टर ने दवा दे रखी है. बेटा और बेटी मां का ख्याल भी रखते लेकिन पत्नी रानी है जो पति को याद कर बिलख उठती है.

आप बीती बताते फूट-फूटकर रोने लगती हैं
मोतीपुर के रनियापुर से दो मजदूर राममिलन और सत्यदेव के अलावा बाकी चार मजदूर मोतीपुर कस्बे के ही हैं. संतोष रामचंद्र के अलावा जयप्रकाश और अंकित का भी परिवार ऐसे ही बिलख रहा है. अंकित की पत्नी तो आप बीती बताते-बताते फूट फूट कर रोने लगती हैं. मां अपनी पोती को गोद में लेकर आंसुओं को संभाल नहीं पाती. बेटी जब पापा के बारे में पूछती है तो मां बस यही कहती है पापा जल्दी आएंगे लेकिन कब आएंगे इसका जवाब किसी के पास नहीं है.

दीपावली पर न दीये जले न कोई आतिशबाजी हुई
मोतीपुर गांव के रहने वाले संतोष और रामसुंदर का परिवार भी उनकी बाट जोह रहा है. बुजुर्ग दादी, मां, बहन, चाची और पत्नी सभी को संतोष के सुरंग से सकुशल बाहर आने का इंतजार है. परिवार का छोटा बेटा उत्तर काशी में ही उस जगह है जहां से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. छोटा बेटा बताता है की रेस्क्यू ऑपरेशन कितना चल रहा है कब रुक गया है. परिवार का दामाद और दूसरा चचेरा भाई भी वहीं काम करने के लिए उत्तरकाशी गए थे, लेकिन जिस वक्त सुरंग धंसी इस शिफ्ट में संतोष काम करने गया था. 12 नवंबर को जैसे ही मजदूरों के सुरंग में फंसने की खबर परिवार को मिली परिवार में मातम से छा गया. दीपावली पर न दीये जले न कोई आतिशबाजी, बस भगवान से प्रार्थना की सब सुरक्षित रहें.

कब घर आएगा बेटा, मां कर रही इंतजार
संतोष के पड़ोस में ही रहने वाला राम सुंदर भी उन मजदूरों में है जो बीते 13 दिनों से उसे सुरंग में फंसा है. राम सुंदर का बड़ा भाई और मां इंतजार कर रहे हैं की कब उनका बेटा आएगा कब उनकी दिवाली होगी. उधर, श्रावस्ती जिले में नेपाल बॉर्डर से सटे मोतीपुर और रनियापुर गांव के इन मजदूरों के परिवारों को ढांढ़स बंधाने स्थानीय समाजवादी पार्टी की विधायक इंद्राणी वर्मा भी पहुंची थीं. सपा विधायक ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री खुद बचाव कार्य पर नजर रखे हैं. जिला प्रशासन के अफसर और हम इस परिवार की देखरेख कर रहे हैं. लेकिन भगवान से बस प्रार्थना ही कर सकते हैं कि भगवान सभी मजदूरों को सकुशल बाहर निकालें .


 

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