माओवाद छोड़कर शुरू की नई जिंदगी, अब पुलिस में नौकरी कर अपने परिवार को दे रहे हैं सम्मान का जीवन

यह कहानी है सुकमा में बतौर पुलिस अफसर नियुक्त मदकम मुदराज की, जो कभी भाकपा (माओवादी) का हिस्सा हुआ करते थे. कुछ साल पहले उन्होंने माओवाद छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का फैसला किया.

SPO Madkam Mudraj (Photo: Twitter/@mishra_abhi)
निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • 12 जून 2022,
  • अपडेटेड 2:45 PM IST
  • मुदराज कभी दक्षिण छत्तीसगढ़ के माओवादियों के गढ़ में भाकपा (माओवादी) का हिस्सा हुआ करते थे
  • अब वह पूलिस के साथ नौकरी करते हुए अपने परिवार के साथ गरिमापूर्ण जीवन बिता रहे हैं

अगर दिल से कोशिश की जाए तो आप किसी को भी बदल सकते हैं. और इसका जीत-जागता उदाहरण हैं स्पेशल पुलिस ऑफिसर (SPO) मदकम मुदराज. मुदराज कभी दक्षिण छत्तीसगढ़ के माओवादियों के गढ़ में भाकपा (माओवादी) का हिस्सा हुआ करते थे. लेकिन अब वह पूलिस के साथ नौकरी करते हुए अपने परिवार के साथ गरिमापूर्ण जीवन बिता रहे हैं. 

मुद्रारज ने पुलिस के जागरूक करने पर आत्मसमर्पण किया. जिसके बाद, मुदराज को एक विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) के रूप में नौकरी मिल गई और धीरे-धीरे वह कांस्टेबल, सहायक उप-निरीक्षक और उप-निरीक्षक बन गए. अब वह छत्तीसगढ़ पुलिस की जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) इकाई में एक निरीक्षक हैं और सुकमा जिले में तैनात हैं. 

पति-पत्नी ने मिलकर लिया फैसला

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुदराज को गुमराह किया गया था और वह माओवादी संगठन में शामिल हो गए. कई वर्षों तक उनकी विचारधारा से जुड़े रहने के बाद, मुदराज को अपने ही लोगों की हत्या के लिए पश्चाताप महसूस हुआ. वह व्यथित थे और कई बार सो नहीं पाते थे. 

मुदराज की पत्नी भी, माओवादी रैंक में थी. लेकिन फिर उन्होंने एक संयुक्त निर्णय लिया कि वे मुख्यधारा में लौट आएं. उन्हें अपने लोगों के खिलाफ बंदूक उठाने का अफसोस है. लेकिन आज वह सम्मान से जी रहे हैं. 

बच्चों को दे रहे हैं अच्छी शिक्षा 

आज, मुदराज अच्छी कमाई करते हैं और अपने तीन बच्चों को अच्छा जीवन देने में सक्षम हैं. उनके बच्चे एक अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ रहे हैं. उनका कहना है कि अगर वह माओवादी संगठन से जुड़े रहते, तो इस जीवन और स्थिति की कल्पना भी नहीं कर सकते थे जो अब वह जी रहे हैं.

हाल ही में, उन्हें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सुकमा के कोंटा दौरे के दौरान सुरक्षा ड्यूटी में शामिल होने का मौका भी मिला था. बेशक, मुदराज की कहानी सभी के लिए प्रेरणा है. 

 

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