अंगदान करने के लिए जरूरी नहीं होगी जीवनसाथी की अनुमति, दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट का कहना है कि अंगदान किसी भी व्यक्ति का व्यक्तिगत निर्णय है. इसके लिए उसे अपने जीवनसाथी की अनुमति की जरूरत नहीं होगी.

अंगदान
शताक्षी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 29 जून 2022,
  • अपडेटेड 4:44 PM IST
  • अंगदान व्यक्तिगत निर्णय है
  • महिला ने दाखिल की थी याचिका 

अंगदान को महादान कहा जाता है. अंगदान करके आप किसी की जिंदगी बचा सकते हैं. दिल्ली हाईकोर्ट भी इस बात से इत्तेफाक रखता है. हाईकोर्ट ने हाल ही में इसको लेकर दायर हुई याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि पति या पत्नी कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार अंग दान करना चाहती है तो उसे अपने पार्टनर से इसकी अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. अंगदान करने के लिए पति या पत्नी को अनापत्ति प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं होगी. दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ने किसी भी व्यक्ति से जबरदस्ती अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगना गैर-कानूनी है. 

अंगदान व्यक्तिगत निर्णय है
कोर्ट का कहना है कि अंगदान किसी भी व्यक्ति का व्यक्तिगत निर्णय है, इसके लिए उसे अपने पति या पत्नी से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. कोर्ट का कहना है कि नियमों के अनुसार आपके जीवनसाथी को आपके व्यक्तिगत निर्णयों पर जबरदस्ती दबाव बनाने का कोई अधिकार नहीं है. अंगदान के नियमों का व्याख्या करने के बाद कोर्ट ने कहा कि अंगदान करने के लिए जीवनसाथी की एनओसी अनिवार्य नहीं है.

इन चीजों का रखना होगा ध्यान
इसके अलावा अधिनियम के नियम 18 का हवाला देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि, "पति-पत्नी की सहमति प्राप्त करना अनिवार्य नहीं है." इसने आगे बताया कि नियम 22, यह निर्धारित करते हुए कि यदि दाता एक महिला है तो अधिक सावधानी बरती जानी चाहिए, साथ ही पति या पत्नी से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना अनिवार्य नहीं है. “उक्त नियम के लिए केवल उसकी स्वतंत्र सहमति की आवश्यकता है जिसकी पुष्टि लाभार्थी के अलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा की जा रही है. अदालत यह भी ध्यान में रखती है कि किसी करीबी रिश्तेदार के मामले में, यह पता लगाने के लिए अनिवार्य रूप से विचार किया जाना चाहिए कि क्या दाता स्वेच्छा से आगे आया है और उसने "लाभार्थी के साथ स्नेह और लगाव" से अंगदान किया है. 

महिला ने दाखिल की थी याचिका 
दरअसल एक महिला ने अपनी याचिका कोर्ट में दाखिल की थी, जिसके बाद कोर्ट ने ये फैसला किया है. अपनी याचिका में महिला ने अदालत को बताया कि वह अपने बीमार पिता को किडनी दान करने को तैयार थी, लेकिन अस्पताल उसके पति की एनओसी के बिना उसे ऐसा करने की अनुमति नहीं दे रहा था. उसने कहा कि उसके पति के साथ संबंध अलग हो गए थे और इस तरह की आवश्यकता को पूरा नहीं किया जा सकता है.

 

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