तमिलनाडु राज्य के स्वास्थ्य सचिव राधाकृष्णन ने साबित कर दिया कि वह सिर्फ एक जिम्मेदार नौकरशाह ही नहीं बल्कि एक नेक इंसान भी हैं. राधाकृष्णन ने साल 2004 में आई सुनामी के समय अपने घरवालों से अलग हो चुकी एक महिला की शादी करवाकर एक अनोखी मिसाल पेश की. साल 2004 में आई सुनामी में लगभग 7000 लोगों की जान चली गई थी और संपत्तियों को काफी नुकसान हुआ था.
सुनामी में बचाए गए थे 99 बच्चे
सार्वजनिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाया था और उस समय 99 बच्चों को बचाया गया था. स्टेट हेल्थ सीक्रेट राधाकृष्ण तब नागपट्टिनम के कलेक्टर के रूप में तैनात थे और बचाव और पुनर्वास कार्य का नेतृत्व कर रहे थे.
पिता की तरह की बच्चियों की देखभाल
उस समय राधाकृष्णन ने तीन महीने की मीना और नौ महीने की सौम्या को गोद लिया था. राधाकृष्णन उनके लिए पिता बने और बच्चियों का पालन-पोषण सरकारी घर में हुआ. राधाकृष्णन ने यह पहले ही तय कर लिया था कि ट्रांसफर होने के बाद वह हर महीने बच्चियों के पास आएंगे और अपने बच्चों की तरह उनकी देखभाल करेंगे. मीना और सौम्या के 18 साल के होने के बाद उन्हें नागपट्टिनम के मलारविज़ी और मणिवन्नन ने गोद ले लिया था. सौम्या ने कहा,“उन्होंने एक पिता की तरह मेरी देखभाल की और मुझे एक परिवार दिया. यह सब मेरे लिए नया है क्योंकि मेरी शादी में बहुत से लोग शामिल हुए हैं.”
पूरे नागपट्टिनम ने बच्चियों को अपनाया
राधाकृष्णन ने कहा,“हमने सबसे पहले तीन महीने की मीना को एक पुल के नीचे से बचाया था. हम अभी भी नहीं जानते कि मीना और सौम्या के माता-पिता कौन थे. हमें कोई रिश्तेदार नहीं मिला. लेकिन हम नहीं चाहते थे कि उन्हें लगे कि उनके लिए कोई नहीं है, इसलिए हम सभी ने बच्चों को गोद लिया. वे मुझे पिता कह सकती हैं लेकिन पूरे नागपट्टिनम ने उन्हें अपनाया और उनके जीवन का हिस्सा बन गए. हम वास्तव में खुश हैं कि उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और अब उसकी शादी हो रही है. राधाकृष्णन ने यह भी सुनिश्चित किया कि सभी सामाजिक कार्यकर्ता और आम जनता जिन्होंने सुनामी के दौरान बचाव और फिर बच्चों के पुनर्वास में सक्रिय भूमिका निभाई, उन्हें भी उनके सराहनीय काम का श्रेय मिले.
(प्रमोद माधव की रिपोर्ट)