17 नवंबर, 1966 को, लंदन में, एक भारतीय बेटी ने इतिहास रचा. इस दिन को कोई नहीं भुला सकता है. क्योंकि इस दिन मिस वर्ल्ड का ताज जीतने वाली रीता फारिया पहली भारतीय/एशियाई थीं. सबसे दिलचस्प बात यह है कि रीता सिर्फ एक सुंदर चेहरे से कहीं ज्यादा थी.
वह उन हजारों बेटियों के लिए आत्मविश्वास का पहला प्रतीक थीं, जिन्होंने अभी बाहरी दुनिया में कदम रखना शुरू ही किया था. लंदन के वेलिंगटन स्ट्रीट पर लिसेयुम बॉलरूम में मिस वर्ल्ड पेजेंट को जीतकर रीता ने भारत को विश्व में एक अलग ख्याति दी.
मजाक में लिया ब्यूटी कॉन्टेस्ट में हिस्सा
23 अगस्त 1943 को मुंबई के माटुंगा में जन्मी, रीता फारिया के पिता एक मिनरल वाटर फैक्ट्री में काम करते थे और उनकी मां शहर में एक सैलून चलाती थीं. रीता हमेशा से डॉक्टर बनना चाहती थीं.
जब वह मुंबई के ग्रांट मेडिकल कॉलेज में पढ़ रही थी, एक दिन उनके दोस्तों ने मजाक में उन्हें एक ब्यूटी शो में भाग लेने के लिए कहा. रीता ने चुनौती स्वीकार की और तत्कालीन ईव्स वीकली पत्रिका द्वारा आयोजित मिस बॉम्बे प्रतियोगिता में एंट्री ली.
द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक साक्षात्कार में रीता ने बताया था कि यह सिर्फ मजाक था. उन्हें बस अपनी तस्वीरें आयोजकों को भेजनी थीं. लेकिन तब उन्होंने नहीं सोचा था कि यह बस एक शुरूआत है.
उधार के कपड़ों के साथ गईं थीं लंदन
मिस बॉम्बे क्राउन जीतना रीता का पहला कदम था. इसके बाद, रीता ने 1966 में ईव की मिस इंडिया प्रतियोगिता भी जीती. मिस बॉम्बे के लिए 5,000 रुपये और मिस इंडिया के लिए 10,000 रुपये की पुरस्कार राशि रीता को मिला. उन्होंने मिस इंडिया पुरस्कार की राशि अपनी मां को दी, जो मुंबई के एक अनाथालय में एक बच्चे की देखभाल करती थीं.
रीता को मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था. 1959 में फ्लेर एजेकील के बाद ऐसा करने वाली वह दूसरी भारतीय महिला बनीं. रीता ने कई बार इंटरव्यूज में बताया कि तब उनके पास कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं था, कोई उपयुक्त या फैंसी कपड़े नहीं थे, यहां तक कि उनका पासपोर्ट भी नहीं था. लंदन जाने के लिए रीता ने अपने दोस्तों से साड़ी और स्विम सूट उधार लिया. मेकअप किट में कुछ लिपस्टिक और पर्स में तीन पाउंड थे.
...और रच दिया इतिहास
लंदन में अन्य प्रतिभागियों के बीच रीता को बहुत अलग महसूस हुआ. उन्हें लगा कि दूसरे लोग उनसे अधिक ग्लैमरस और अनुभवी हैं. वे प्रशिक्षित थे और उनके पास सही कपड़े और जूते थे. 17 नवंबर 1966 को, वेलिंगटन स्ट्रीट पर लंदन के लिसेयुम बॉलरूम में, जब रीता इस आयोजन के लिए तैयारी कर रही थी, सटोरिये इस बात पर दांव लगा रहे थे कि ताज कौन जीतेगा.
उस वर्ष 66 प्रतिभागी थे और मिस यूके - 20 वर्षीय जेनिफर लोव - ताज जीतने की दौड़ में सबसे आगे थीं. तेईस वर्षीय फारिया स्विमसूट में रैंप वॉक करने वाली पहली भारतीय थीं. जब 5'8'' लंबी रीता ने हील्स में रैंप वॉक किया, तो उन्होंने तुरंत सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया. साथ ही, उनकी मेडिकल पृष्ठभूमि ने उन्हें अन्य प्रतियोगियों से अलग कर दिया.
और रीता ने मिस वर्ल्ड का ताज जीतने वाली पहली एशियाई के रूप में इतिहास रचा. साड़ी में सबसे अलग दिखने के लिए 'बेस्ट इन इवनिंग वियर' और 'बेस्ट इन स्विमसूट' भी चुना गया.
उनके जवाब ने जीता था दिल
कहते हैं कि उनके यह प्रतियोगिता जीतने की सबसे बड़ी वजह थी फाइनल में उनका जवाब. ग्रैंड फिनाले में उनसे पूछा गया कि वह डॉक्टर क्यों बनना चाहती हैं, जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि भारत को अधिक स्त्री रोग विशेषज्ञों की आवश्यकता है.
इस पर एक जज ने कहा कि भारत में पहले से ही बहुत सारे बच्चे हैं, तो रीता ने तुरंत जवाब दिया कि इस चीज को रोकने की जरूरत है. यह ताज जीतने के बाद भी रीता अपने डॉक्टर बनने के सपने पर कायम रहीं. उन्होंने मॉडलिंग, एक्टिंग के सभी ऑफर ठुकरा दिए और अपनी MBBS की डिग्री पूरी की.
डॉक्टर बनने के बाद उन्होंने खुद को इस चकाचौंध की दुनिया से अलग कर लिया. और वही किया जो वह हमेशा से करना चाहती थीं.