Barkatullah Khan Story: लॉ की पढ़ाई, फिरोज गांधी से दोस्ती, राष्ट्रपति चुनाव में वीवी गिरी का समर्थन... राजस्थान के इकलौते मुस्लिम सीएम बरकतुल्लाह खान की कहानी

Rajasthan Election: साल 1971 में राजस्थान को इकलौता मुस्लिम मुख्यमंत्री मिला था. बरकतुल्लाह खान ने 9 जुलाई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और 11 अक्टूबर 1973 तक इस पद पर बने रहे. बरकतुल्लाह खान फिरोज गांधी के दोस्त थे और इंदिरा गांधी को भाभी कहते थे.

साल 1971 में बरकतुल्लाह खान राजस्थान के इकलौते सीएम बने थे
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 26 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 1:55 PM IST

साल 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के हालात खराब थे. बड़ी संख्या में लोग उस इलाके को छोड़कर भारत आर रहे थे. इस मुद्दों को लेकर भारत का एक प्रतिनिधिमंडल लंदन गया था. लंदन में अचानक दिल्ली से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का एक फोन आता है. प्रतिनिधिंडल के एक सदस्य फोन पर आते हैं. इंदिरा गांधी उनसे कहती है- वापस लौट आओ, तुमको राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया गया है. इसके बाद वो नेता वापस लौटते हैं और राजस्थान को इकलौता मुस्लिम मुख्यमंत्री मिलता है. चलिए आपको बॉर्डर वाले सूबे राजस्थान के पहले और इकलौते मुस्लिम मुख्यमंत्री बरकतुल्लाह खान की कहानी बताते हैं.

साल 1971 में बरकतुल्लाह खान राजस्थान के सुखाड़िया सरकार में मंत्री थे. एक दिन वो लंदन में थे, अचानक इंदिरा गांधी ने उनको वापस बुला लिया और राजस्थान का मुख्यमंत्री बना दिया. बरकतुल्लाह खान ने राजस्थान के छठे सीएम के तौर पर 9 जुलाई 1971 को शपथ ली. वो इस पद पर 11 अक्टूबर 1973 तक बने रहे.

लॉ की पढ़ाई, फिरोज गांधी से दोस्ती-
बरकतुल्लाह खान का जन्म 25 अक्टूबर 1920 को जोधपुर के एक कारोबारी के घर में हुआ था. लॉ की पढ़ाई के लिए खान लखनऊ गए. इस दौरान उनकी मुलाकात फिरोज गांधी से हुई. फिर दोनों की दोस्ती हो गई. फिरोज गांधी की दोस्ती का फायदा बरकतुल्लाह खान को सियासत में भी हुआ. साल 1952 में उनको राज्यसभा का सांसद बना दिया गया. लेकिन साल 1957 में वो फिर राजस्थान लौट गए. उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इस जीत के बाद बरकतुल्लाह खान को मोहनलाल सुखाड़िया सरकार में मंत्री बनाया गया.

राष्ट्रपति चुनाव में वीवी गिरी को समर्थन-
साल 1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 520 सीटों में से सिर्फ 283 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी. लेकिन पार्टी में कलह हो गई. राजस्थान में भी इसका असर हुआ. जब राजस्थान में चुनाव हुए तो 184 में से सिर्फ 89 सीटों पर जीत मिली. मोहनलाल सुखाड़िया ने जोड़तोड़ करके सरकार बना ली.

साल 1969 में कांग्रेस में कलह बढ़ गई और राष्ट्रपति चुनाव में संगठन दो फाड़ हो गया. कांग्रेस संगठन ने राष्ट्रपति पद के लिए नीलम संजीव रेड्डी का समर्थन किया था, जबकि इंदिरा गांधी ने वीवी गिरी का समर्थन किया था. इस दौरान बरकतुल्लाह खान ने वीवी गिरी के पक्ष में वोट दिया था. इसके बाद बरकतुल्लाह खान इंदिरा गांधी के करीबी लोगों में शामिल हो गए और जब मौका मिला तो राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली.

बरकतुल्लाह खान की लव स्टोरी-
बरकतुल्लाह खान जब लखनऊ यूनिवर्सिटी की लॉ फैकल्टी में पढ़ाई कर रहे थे तो इस दौरान उनकी मुलाकात ऊषा मेहता नाम की लड़की से हुई. ऊषा मेहता और बरकतुल्लाह खान जाति-धर्म को नहीं मानते थे. एक दिन यूनिवर्सिटी की कैंटीन में बरकतुल्लाह और ऊषा की मुलाकात हुई. बरकतुल्लाह ने कहा कि अगर आप सच में प्रोग्रेसिव हैं तो हमारे साथ खाने की प्लेट अदला-बदली करके दिखाओ. ऊषा ने ऐसा ही किया. इसके बाद दोनों की मुलाकातों का सिलसिला चल पड़ा. 

लेकिन इस कहानी में साल 1948 में एक ट्विस्ट आया. बरकतुल्लाह खान छुट्टियों में जोधपुर लौट गए. अचानक जोधपुर राज्य में जयनारायण व्यास सरकार बना रहे थे. उन्होंने अपनी सरकार में बरकतुल्लाह खान को मंत्री बना दिया. इस दौरान एक साल का वक्त निकल गया. बरकतुल्लाह खान जब लखनऊ पहुंचे तो पता चला कि ऊषा लंदन चली गई हैं. सबकुछ बिखर गया था. लेकिन 3 साल बाद एक पार्टी में बरकतुल्लाह और ऊषा की मुलाकात होती है और फिर दोनों शादी कर लेते हैं.

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