केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री, श्री प्रह्लाद जोशी ने हाल ही में, एक समारोह में “भारत के लिए महत्वपूर्ण खनिजों” पर देश की पहली रिपोर्ट का अनावरण किया. इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ माइन्स एक खास विशेषज्ञ दल गठित किया था. इस मौके पर मंत्रालय के कोशिशों की सराहना करते हुए, जोशी ने कहा कि यह पहली बार है जब भारत ने रक्षा, कृषि, ऊर्जा, दवा, दूरसंचार जैसे क्षेत्रों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण खनिजों की व्यापक सूची तैयार की है. मंत्री ने कहा कि यह कोशिश आत्मनिर्भर भारत के लिए एक रोडमैप है.
ये हैं महत्वपूर्ण खनिज:
सरकार ने पहली बार महत्वपूर्ण खनिजों की सूची जारी की है. इस पर ऋषभ जैन, सीनियर प्रोग्राम लीड, काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) ने कहा कि भारत के लिए महत्वपूर्ण खनिजों को चिन्हित किया जाना एक ऐसा कदम है जिसका सबको स्वागत करना चाहिए. इस सूची को देश की क्षमता, कमजोरियों, प्राथमिकताओं और महत्वपूर्ण खनिजों की भू-राजनीति स्थिति के अनुसार लगातार संशोधित किया जाना चाहिए.
शॉर्ट और लॉन्गटर्म पॉलिसी मेकिंग को मिलेगा बल
ऋषभ जैन का कहना है कि खनिजों की ऐसी छंटनी करने से केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों के बीच प्राथमिकताओं को लेकर तालमेल आएगा. यह इन खनिजों के प्रभावी इस्तेमाल के उद्देश्य से प्रोसेसिंग और अंतिम-उपयोग की वैल्यू चेन विकसित करने के लिए भारत के मेक इन इंडिया लक्ष्यों से संबंधित शॉर्ट और लॉन्गटर्म पॉलिसी मेकिंग को प्रोत्साहित करेगा.
सीईईडब्ल्यू का एक हालिया विश्लेषण बताता है कि आज ऊर्जागत परिवर्तन (एनर्जी ट्रांजिशन) के लिए जिन सात प्रमुख खनिजों की आवश्यकता है, उनके कुल वैश्विक भंडार का 55-90 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ 15 देशों में मौजूद है. इनमें कोबाल्ट, तांबा, ग्रेफाइट, लिथियम, मैंगनीज, निकल और दुर्लभ पृथ्वी तत्व (रेयर अर्थ एलिमेंट) शामिल हैं.
ऋषभ का कहना है कि ऐसी स्थिति में, जहां पर घरेलू संसाधन सीमित हैं, सरकार को अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को प्रोत्साहित करने की शुरुआत करनी चाहिए. इसके अलावा, वैश्विक बाजारों से खनिजों को रणनीतिक रूप से प्राप्त करने के लिए खनिज सुरक्षा साझेदारी की हालिया सदस्यता का भी लाभ उठाना चाहिए। इस काम में खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (केएबिआईएल) बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.