सुप्रीम कोर्ट ने जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के भीतर पेड़ों की कटाई और अनधिकृत निर्माण गतिविधियों में शामिल होने के लिए उत्तराखंड सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक समिति इस बात पर गौर करेगी कि क्या देश में राष्ट्रीय उद्यानों के बफर या सीमांत क्षेत्रों में बाघ सफारी की अनुमति दी जा सकती है.
शीर्ष अदालत ने केंद्र को पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने के उपायों का प्रस्ताव देने और जवाबदेह लोगों से क्षतिपूर्ति की मांग करने के लिए एक समिति स्थापित करने का भी निर्देश दिया है. न्यायमूर्ति बीआर गवई,न्यायमूर्ति पीके मिश्रा और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ पर्यावरण कार्यकर्ता और वकील गौरव बंसल द्वारा दायर याचिका की अध्यक्षता कर रही थी. बंसल ने राष्ट्रीय उद्यान की सीमाओं के भीतर बंदी जानवरों के साथ बाघ सफारी और चिड़ियाघर स्थापित करने की उत्तराखंड सरकार की योजना का भी विरोध किया है.
सरकार को लगाई फटकार
मुख्य क्षेत्र में बाघ सफारी की स्थापना के हानिकारक प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए,अदालत ने बाघ संरक्षण प्रावधानों के उल्लंघन को रेखांकित किया जबकि अदालत ने पार्क के बफर जोन में सफारी पर्यटन से जुड़े संभावित रोजगार के अवसरों को स्वीकार किया. कोर्ट ने स्थापित दिशानिर्देशों का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया.सुप्रीम कोर्ट ने टाइगर रिजर्व में पेड़ों की अभूतपूर्व कटाई और पर्यावरणीय क्षति पर भी सरकार की खिंचाई की. शीर्ष अदालत ने कॉर्बेट में अवैध निर्माण,पेड़ों की कटाई पर तीन महीने के भीतर स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है.अदालत ने राष्ट्रीय वन्यजीव संरक्षण योजना में उल्लिखित वन्यजीव संरक्षण के महत्व पर जोर दिया.
इसके अतिरिक्त,अदालत ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के भीतर अवैध निर्माण गतिविधियों और अनधिकृत पेड़ों की कटाई में शामिल होने के लिए उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व प्रभागीय वन अधिकारी किशन चंद की आलोचना की.
इससे पहले जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उद्यानों के भीतर बाघ सफारी स्थापित करने के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था,जिसमें "पर्यटन-केंद्रित" दृष्टिकोण के बजाय "पशु-केंद्रित" दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया गया था. न्यायमूर्ति बीआर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने बफर और सीमांत क्षेत्रों में बाघ सफारी के निर्माण की वकालत करने वाले एनटीसीए के 2019 दिशानिर्देशों पर चिंताओं को उजागर करते हुए कहा था "हम चिड़ियाघर में जानवरों को राष्ट्रीय उद्यानों में (पिंजरों में) रखने की अनुमति नहीं देंगे."
क्या है मामला?
रिपोर्ट्स बताती हैं कि साल 2017 से 2022 के बीच में उद्यान में टाइगर सफारी और पर्यटन के नाम पर 6,000 पेड़ों को काटा गया था. तब हरक सिंह रावत वन मंत्री थे.ये मामला उत्तराखंड हाई कोर्ट भी गया था,जिसमें कोर्ट ने CBI जांच करने का आदेश दिया था. इसके बाद नवंबर, 2022 में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने परियोजना पर रोक लगा दी थी. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में पर्यावरण कार्यकर्ता गौरव बंसल ने याचिका दायर की थी.
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड के नैनीताल जिले में है. इसकी स्थापना 1936 में हुई थी,तब इसे हैली राष्ट्रीय उद्यान नाम से जाना जाता था.बफर जोन को मिलाकर ये 1,318 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. यहां 280 से भी ज्यादा टाइगर रहते हैं.