संविधान पीठ के मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग करेगा सुप्रीम कोर्ट, फुल कोर्ट रेजोल्यूशन पारित

अब से सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ के मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग होगी. इस लाइव स्ट्रीमिंग सुप्रीम कोर्ट पोर्टल के जरिए वेबकास्ट किया जाएगा. सीजीआई यूयू ललित की अगुवाई में मंगलवार को ये फैसला लिया गया.

सुप्रीम कोर्ट
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:10 AM IST
  • फुल कोर्ट रेजोल्यूशन हुआ पारित
  • 70 हजार से ज्यादा मामले लंबित

सुप्रीम कोर्ट की फुल कोर्ट मीटिंग में सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग करने का फैसला लिया गया. अब संविधान पीठ के मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग यानी सीधा प्रसारण किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों की मीटिंग यानी फुल कोर्ट में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि अगले हफ्ते से संविधान पीठ के सामने होने वाले मुकदमों की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग होगी. इसे सुप्रीम कोर्ट पोर्टल के जरिए वेबकास्ट किया जाएगा. सीजीआई यू यू ललित की अगुवाई में मंगलवार को फुल कोर्ट मीटिंग में ये फैसला लिया गया. 

फुल कोर्ट रेजोल्यूशन हुआ पारित
मुकदमों को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के मुद्दे पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों की मीटिंग में फुल कोर्ट रेजोल्यूशन पारित किया गया. फुल कोर्ट में इसके साथ ही कई प्रशासनिक मसलों पर भी विचार किया गया. हिजाब मामला सुन रहे जजों ने भी तय समय से पहले ही यह कहते हुए कोर्ट रूम से विदा ली कि आज एक महत्वपूर्ण मीटिंग में हमें जाना है और वो यही मीटिंग थी.

70 हजार से ज्यादा मामले लंबित
मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट की विभिन्न पीठों के सामने 70 हजार से ज्यादा मामले लंबित हैं. हालांकि जस्टिस ललित के चीफ जस्टिस बनने के बाद से पखवाड़े भर में करीब सात हजार मुकदमे निपटाए गए हैं. यानी तालमेल के साथ सोची समझी रणनीति से की गई धुआंधार लिस्टिंग के जरिए लंबित संख्या घटी है.

अपेक्षित सुधार को लेकर होगी चर्चा
चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित ने फुल कोर्ट मीटिंग में लिस्टिंग सिस्टम में अपेक्षित सुधार को लेकर सभी साथी जजों के साथ विचार विमर्श किया. इसके अलावा कोर्ट परिसर में सुविधाओं के सुधार और विकास, वकीलों के चेंबर ब्लॉक की जरूरत, निर्माण और उन पर होने वाले खर्च का आकलन भी किया गया. धनराशि आवंटन करने पर भी चर्चा हुई.  

अगले साल की छुट्टियों पर भी हुई चर्चा
सूत्रों के मुताबिक फुल कोर्ट में अगले वर्ष पड़ने वाली छुट्टियों और अवकाश पर भी चर्चा हुई ताकि कम से कम अवकाश में अधिक काम कैसे निपटाया जा सके. मुकदमों की लिस्टिंग यानी सुनवाई के लिए पीठवार सूचीबद्ध करने पर जब जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय ओक की पीठ ने आदेश में लिस्टिंग सिस्टम का जिक्र किया तो इस पर आम चर्चा हुई. फिर सीजेआई जस्टिस ललित को ये साफ करना पड़ा कि सुप्रीम कोर्ट जजों के बीच इस मुद्दे पर कोई मतभेद नहीं है. अब इस पर फुल कोर्ट रेजोल्यूशन भी पास होने से चीजें स्पष्ट हो गई है.

 

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