मकान मालिक को जरूरत है... क्या वह किरायेदार से अपना हिस्सा खाली करा सकता है? सुप्रीम कोर्ट क्या कहता है

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह साफ हो गया है कि अगर मकान मालिक को अपनी संपत्ति की जरूरत है और वह कानूनी रूप से किरायेदार को बाहर करने की प्रक्रिया अपनाता है, तो किरायेदार केवल इस आधार पर विरोध नहीं कर सकता कि मकान मालिक के पास अन्य संपत्तियां भी हैं.

Supreme Court
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 27 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 12:58 PM IST
  • मालिक तय करेगा कौन सा हिस्सा खाली कराना है
  • किरायेदार को नहीं रोकने का हक!

अगर आप किराए के मकान में रहते हैं और मकान मालिक आपको खाली करने को कहे, तो क्या आप यह दलील दे सकते हैं कि उसके पास और भी प्रॉपर्टी हैं, तो वह कोई और जगह खाली करवा ले? सुप्रीम कोर्ट ने इस पर बड़ा फैसला सुनाया है और साफ कहा है कि मकान मालिक ही सबसे बेहतर जज होता है कि उसे कौन सा हिस्सा खाली करवाना चाहिए. किरायेदार महज इस आधार पर विरोध नहीं कर सकता कि मकान मालिक के पास दूसरी प्रॉपर्टी भी मौजूद है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह शामिल थे, ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा, "किराए की जगह खाली कराने को लेकर जो कानूनी स्थिति है, वह साफ है. मकान मालिक को अगर सच में कोई जरूरत है, तो वह महज एक इच्छा नहीं बल्कि एक वास्तविक जरूरत होनी चाहिए. मकान मालिक ही यह तय करेगा कि उसे कौन सा हिस्सा खाली कराना है, न कि किरायेदार. किरायेदार इस पर कोई आपत्ति नहीं कर सकता कि कौन सा हिस्सा खाली कराया जाए."

क्या था मामला?
इस केस में एक मकान मालिक ने अपने दो बेरोजगार बेटों के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन लगाने की योजना बनाई थी. इसके लिए उसने किरायेदार को जगह खाली करने के लिए कहा. लेकिन किरायेदार ने कोर्ट में दलील दी कि मकान मालिक के पास और भी संपत्तियां हैं, तो वह किसी और जगह पर अपनी जरूरत पूरी कर सकता है.

ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट दोनों ने मकान मालिक की याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया और साफ कर दिया कि मकान मालिक को यह तय करने का अधिकार है कि उसे कौन सा हिस्सा खाली कराना है.

किरायेदार मकान मालिक पर शर्तें नहीं लगा सकता
कोर्ट ने कहा कि मकान मालिक की वास्तविक जरूरत (बोना फाइड नीड) साबित हो चुकी है, इसलिए अब किरायेदार यह नहीं कह सकता कि उसे कोई और संपत्ति खाली करवानी चाहिए. इस फैसले में खासतौर पर कहा गया, "अगर मकान मालिक की जरूरत वास्तविक है, तो किरायेदार यह तय नहीं कर सकता कि मकान मालिक को कौन सी जगह खाली करवानी चाहिए."

मामले में खास बातें

  • मकान मालिक की जरूरत वैध होनी चाहिए- मकान मालिक को केवल इच्छानुसार जगह खाली कराने की अनुमति नहीं होगी, बल्कि उसे साबित करना होगा कि उसकी जरूरत वास्तविक है.
  • किरायेदार का विरोध अस्वीकार्य- अगर मकान मालिक की जरूरत साबित हो जाती है, तो किरायेदार यह नहीं कह सकता कि कोई और जगह खाली करवा लें.
  • स्थान का महत्व- कोर्ट ने माना कि जिस जगह को मकान मालिक खाली करवाना चाहता था, वह मेडिकल क्लिनिक और पैथोलॉजी सेंटर के पास थी, इसलिए अल्ट्रासाउंड मशीन के लिए सबसे उपयुक्त थी.
  • बेरोजगार बेटों को रोजगार देने की जरूरत- कोर्ट ने यह भी माना कि मकान मालिक के पास निवेश करने की क्षमता है और उसके दो बेटे बेरोजगार हैं, इसलिए यह फैसला जरूरी था.

क्या कहता है यह फैसला?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह साफ हो गया है कि अगर मकान मालिक को अपनी संपत्ति की जरूरत है और वह कानूनी रूप से किरायेदार को बाहर करने की प्रक्रिया अपनाता है, तो किरायेदार केवल इस आधार पर विरोध नहीं कर सकता कि मकान मालिक के पास अन्य संपत्तियां भी हैं. यह फैसला मकान मालिकों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है, क्योंकि अब उन्हें अपनी जरूरत साबित करने के बाद संपत्ति पर अधिकार मिल सकेगा.

 

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