Supreme Court का बड़ा फैसला, 12 साल की कानूनी लड़ाई के बाद 32 पूर्व महिला वायु सेना अधिकारियों को मिलेगी पूरी पेंशन

12 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 32 पूर्व महिला वायु सेना अधिकारियों के हक़ में फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि अब उन्हें बहाल नहीं किया जा सकता लेकिन एकमुश्त पेंशन का लाभ दिया जा सकता है.

Supreme Court Of India
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 12:01 AM IST
  • ये महिला अधिकारी 1994 और 1998 के बीच भारतीय वायुसेना में हुई थीं शामिल

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 32 पूर्व महिला वायुसेना अधिकारियों की पेंशन को लेकर बड़ा फैसला सुनाया. इन महिला अधिकारियों को 2006 और 2009 के बीच सेवा से रिलीज किया गया था. वो उस वक्त अपनी सेवा बढ़ाने की मांग कर रही थीं. अब मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमा कोहली और जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि उन्हें बहाल तो नहीं किया जा सकता लेकिन एकमुश्त पेंशन लाभ दिया जा सकता है. 

सुप्रीम कोर्ट ने की अधिकारियों की तारीफ

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन अधिकारियों ने भारतीय वायुसेना को अपना लंबा समय दिया और सर्विस के दौरान इनका ट्रैक रिकॉर्ड भी उत्कृष्ट रहा है.  कोर्ट ने फैसले में कहा कि भारतीय वायु सेना की 32 महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान स्थायी कमीशन के लिए विचार नहीं किए जाने को अदालत में चुनौती नहीं दी थी, अब उन्हें बहाल तो नहीं किया जा सकता लेकिन पूरी पेंशन दिया जा सकता है. 

2010 में दायर की गई थी अपील

2010 में भारतीय वायुसेना की पूर्व महिला एसएससीओ द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने 12 वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद इन महिला अधिकारियों को यह राहत दी है. बता दें कि ये सभी महिला अधिकारी 1991 के IAF सर्कुलर के अनुसार 1994 और 1998 के बीच भारतीय वायुसेना में शामिल हुई थीं. सर्कुलर में कहा गया था कि पांच साल की सेवा पूरी होने पर उन्हें परमानेंट कमीशन देने पर विचार किया जाएगा. लेकिन उनकी सर्विस में सिर्फ 6 साल की बढ़ोतरी की गई. जिसके बाद अधिकारियों ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 

हाईकोर्ट ने अपील कर दी थी ख़ारिज 

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि परमानेंट कमीशन का लाभ केवल उन महिला SCCOs को मिलता जो उस समय सर्विस में थीं. या हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के दौरान सर्विस में थीं लेकिन कोर्ट में मामला लंबित होने के दौरान वो रिटायर हो गईं, इसके बाद महिला अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

 

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