प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वाराणसी में दुनिया के सबसे बड़े ध्यान केंद्र स्वर्वेद महामंदिर (Swarved Mahamandir)का उद्घाटन किया. उद्घाटन के बाद, उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उस केंद्र का दौरा किया, जिसमें ध्यान के लिए एक समय में 20,000 लोग बैठ सकते हैं. ऐतिहासिक रूप से यह मंदिर और भी खास होने वाला है क्योंकि इसका सीधे सद्गुरु देवजी महाराज से भी जुड़ता है.
क्या है खासियत?
स्वर्वेद का मतलब है ऐसा ज्ञान जिससे आत्मा और परमात्मा का ज्ञान हो. इस मंदिर का निमार्ण भी इसी को ध्यान में रखते हुए किया गया है. 'स्वर्वेद महामंदिर धाम' वाराणसी से 12 किलोमीटर दूर चौबेपुर क्षेत्र के उमरहा में है और ये विश्व का सबसे बड़ा मेडिटेशन सेंटर है. इस मंदिर को 1000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है. यहां पर एक साथ 20 हजार लोग योग कर सकते हैं. 200 एकड़ के क्षेत्र में 7 मंजिला धाम तैयार किया गया है. इमारत में कमल के आकार के 9 गुंबद बनाए गए हैं. वहीं मंदिर के 404 खंभों और 6 मंचों पर भव्य नक्काशी की गई है. खास बात है कि मंदिर में दो अत्याधुनिक ऑडिटोरियम बनाए गए हैं. वहीं सत्संग भवन, साधना के लिए गुफाएं मौजूद हैं. सभी मंजिलों पर स्वर्वेद के 4 हजार दोहे लिखे हैं. दीवार पर वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत, गीता के प्रसंग उकेरे गए हैं. मंदिर 3 लाख स्क्वॉयर फीट से ज्यादा के क्षेत्र में फैला हुआ है. यहां मकराना मार्बल पर स्वर्वेद के 3137 छंद भी उकेरे हुए हैं.
स्वर्वेद महामंदिर को कमल के फूल जैसा स्वरूप दिया गया है. इसकी सात मंजिल सात चक्रों को समर्पित हैं. इस मंदिर की दीवारों पर 4000 वेदों से जुड़े दोहे भी लिखे गए हैं. मंदिर की बाहरी दीवार पर उपनिषद, महाभारत, रामायण, गीता आदि से जुड़े चित्र बनाए गए हैं ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सकें.
किसने रखी थी नींव
मंदिर की आधारशिला सद्गुरु आचार्य देव और संत परिवार विज्ञान देव ने साल 2004 में रखी थी. तब से ही इसका निर्माण जारी है. इस मंदिर को बनाने में 15 इंजीनियरों के साथ-साथ 600 लोग लगे थे. मंदिर में 101 फव्वारे हैं और दीवारों पर गुलाबी पत्थर लगा हुआ है. इसके आसपास बड़ा बगीचा है, जहां जड़ी बूटियां लगी हुई हैं. मंदिर की वेबसाइट के अनुसार, स्वर्वेद महामंदिर का लक्ष्य "मानव जाति को अपनी शानदार आध्यात्मिक आभा से रोशन करना और दुनिया को शांतिपूर्ण सतर्कता की स्थिति में लाना है." मंदिर स्वर्वेद की शिक्षाओं को बढ़ावा देता है और ब्रह्म विद्या पर जोर देता है.
कौन थे सदाफल देवजी महाराज
सदाफल देवजी महाराज स्वर्वेद के लेखक है. उन्होंने विहंगम योग की स्थापना की थी. महाराज का जन्म 19वीं सदी में हुआ था. वह आध्यात्मिक गुरु और विद्वान थे. एक सूत्र के अनुसार मंदिर में सदाफल जी की मूर्ति भी है.
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