भारत एक लोकतांत्रिक देश है, यहां हर किसी को अपनी आवाज उठाने का पूरा हक है. हमारे देश में लोग अपनी आवाज उठाने के लिए कई तरह के आंदोलन करते हैं. लेकिन कई बार ऐसा होता है जब इन आंदोलनों के कारण कई लोग अपना बहुत कुछ खो देते हैं. पश्चिम बंगाल में भी 123 दिनों से आंदोलन चल रहा है. दरअसल यहां कुछ टीचर्स अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन इस लड़ाई में उन्हें कई आहुतियां भी देनी पड़ रही है. आज हम आपको उनके बारे में बताएंगे.
परीक्षा निकालने के बाद भी नहीं मिल रही नौकरी
कोलकाता के कई अभ्यर्थियों ने स्टेट लेवल सिलेक्शन टेस्ट पास किया है. इन सब ने एसएलएसटी की मेरिट लिस्ट में स्थान बना लिया है. लेकिन इसके बावजूद भी इन लोगों को नौकरी नहीं मिल पा रही है. अब इसके चलते कई महिलाएं भी अपना घर छोड़ यहां अनशन पर बैठी है.
123 दिन से चल रहा है आंदोलन
तापसी राय अपनी 3 साल की बिटिया से दूर बीते 123 दिनों से खुले आकाश के नीचे धरने पर बैठी है, और अब बीते तीन दिनों से भूख हड़ताल पर है. इस बीच तूफानी हवाएं, लगातार बारिश और ठंडी ओस भरी रातें भी तापसी को उसके धरने से डिगा नहीं पाई. मांग एक ही है नौकरी चाहिए. यही हाल शंपा बर्मन का भी है जो कोलकाता से लगभग 700 किलोमीटर दूर नॉर्थ बंगाल में अपने परिवार को छोड़ आंदोलन कर रही हैं. इनके जैसे लगभग 2500 से 3000 ऐसे कैंडिडेट हैं जो नौकरी की मांग पर आंदोलन कर रहे हैं.
सरकार केवल आश्वासन से काम चला रही है
दरअसल ये सभी लोग बंगाल में कक्षा 9 से 12 के टीचर्स की परीक्षा पास किए हुए हैं. इन सभी ने स्टेट लेवल सिलेक्शन टेस्ट यानी एसएलएसटी की मेरिट लिस्ट में स्थान बनाया था. लेकिन पिछले 2 साल से उन्हें राज्य में टीचर की नौकरी नहीं मिली है. यह लोग फिलहाल पिछले 123 दिनों से कोलकाता के मेयो रोड पर गांधी मूर्ति के पास धरने पर बैठे हैं. पिछले 9 दिनों से अनशन शुरू किया है जहां कई लोग बीमार भी पड़ रहे हैं. आंदोलनरत लोगों का आरोप है कि परीक्षा में फेल हुए और उनसे बाद पास हुए लोगों को नौकरी मिल गई पर इन्हें नहीं मिली. इनको आंदोलन करते लगभग एक साल हो चुका है पर अभी तक इन्हें सरकार की ओर से सिर्फ आश्वासन ही मिला है.