Telangana में 3.26 करोड़ वोटर्स करेंगे 2290 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला, दो चुनावों में क्यों अजेय रहे केसीआर? वोट डालने से पहले जान लें इन सवालों के जवाब 

Telangana Assembly Elections 2023: तेलंगाना विधानसभा चुनाव में इस बार 221 महिला, एक ट्रांसजेंडर सहित कुल 2290 उम्मीदवार मैदान में हैं. पिछले दो चुनावों में केसीआर अजेय रहे हैं. लेकिन इस बार बीआरएस को कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है. भाजपा भी खेल बिगाड़ सकती है. 

Telangana Assembly Elections 2023
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:53 PM IST
  • 30 नवंबर को सुबह 7 से शाम पांच बजे तक मतदान
  • 3 दिसंबर को होगी वोटों की गिनती 

Telangana Chunav: तेलंगाना में 30 नवंबर 2023 को विधानसभा चुनाव है. इसको देखते हुए मंगलवार शाम से पूरे प्रदेश में धारा 144 लागू कर दिया गया है. मुख्य निर्वाचन अधिकारी विकास राज ने कहा कि चुनाव को लेकर सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. आइए हम आपको बताते हैं कितने मतदान केंद्र बनाए गए हैं, दो चुनावों में क्यों अजेय रहे केसीआर और वोट डालने से पहले मतदाता किन मुख्य बातों का रखें ख्याल?

बनाए गए हैं 35,655 मतदान केंद्र 
इस बार विधानसभा चुनाव में 221 महिला, एक ट्रांसजेंडर सहित कुल 2,290 उम्मीदवार मैदान में अपनी जीत का ताल ठोक रहे हैं. 119 निर्वाचन क्षेत्रों में 3.26 करोड़ से अधिक मतदाता वोट डालने के पात्र हैं. चुनाव के लिए कुल 35,655 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. राज्य में कुल 3,26,02,799 मतदाता हैं, जिनमें 1,62,98,418 पुरुष, 1,63,01,705 महिलाएं और 2,676 ट्रांसजेंडर शामिल हैं. इनमें 15,406 सर्विस वोटर और 2,944 एनआरआई वोटर हैं. वहीं, 18-19 आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या 9,99,667 है.

इतने केंद्रों पर वेबकास्टिंग की व्यवस्था
राज्य में 2 लाख से ज्यादा कर्मी चुनाव ड्यूटी पर होंगे, इनमें 22,000 माइक्रो ऑब्जर्वर भी शामिल हैं, जो मतदान प्रक्रिया पर नजर रखेंगे. इस दौरान राज्य भर के 27,094 केंद्रों पर वेबकास्टिंग की व्यवस्था की जाएगी. मतदान सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक होगा. हालांकि, 13 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान शाम 4 बजे समाप्त हो जाएगा. ये निर्वाचन क्षेत्र हैं सिरपुर, चेन्नूर, बेल्लमपल्ली, मनचेरियल, आसिफाबाद, मंथनी, भूपालपल्ली, मुलुगु, पिनापाका, येल्लांडु, कोठागुडेम, असवाराओपेट और भद्राचलम. वहीं, वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी.

वोटर लिस्ट में कैसे देखें नाम 
अपना नाम वोटर लिस्ट में चेक करने के लिए आप https://Electoralsearch.in पर लॉगइन करें. सीधे लिंक पर क्लिक करके भी आप वेबसाइट पर जा सकते हैं. यदि वेबसाइट पर नहीं देख पा रहे तो आप ऐप स्टोर या गूगल प्ले स्टोर पर जाकर वोटर हेल्पलाइन ऐप डाउनलोड करिए. इस एप पर आप वोटर लिस्ट में अपना नाम आसानी से चेक कर सकते हैं. 
मतदान केंद्र के आसपास अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों की तरफ से कैंप भी लगाए जाते हैं. यहां मतदाताओं की पूरी सूची होती है. आप कैंप में जाकर भी अपना नाम देख सकते हैं.

वोटर कार्ड नहीं है तो कैसे वोट कर पाएंगे
यदि आपके पास वोटर आईडी कार्ड नहीं है तो भी आप वोट डाल सकेंगे. हालांकि, वोटर लिस्ट में आपका नाम होना जरूरी है. इसलिए मतदान केंद्र पर जाने से पहले वोटर लिस्ट में अपना नाम चेक कर लें. यदि आपका नाम है तो आप चुनाव आयोग की तरफ से बताए गए 11 प्रकार के अन्य डॉक्यूमेंट्स को पहचान पत्र के तौर पर दिखाकर वोट डाल सकते हैं. 

वोट डालने के लिए कौन से पहचान पत्र जरूरी होंगे
1. पासपोर्ट.
2. ड्राइविंग लाइसेंस.
3. अगर आप सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट के कर्मचारी हैं या फिर, PSUs और पब्लिक लिमिटेड कंपनी में काम कर रहे हैं तो कंपनी की फोटो आईडी के आधार पर भी मतदान कर सकते हैं. 
4. पैन कार्ड.
5. आधार कार्ड.
6. पोस्ट ऑफिस और बैंक की ओर से जारी किया गया पासबुक.
7. मनरेगा जॉब कार्ड.
8. लेबर मिनिस्ट्री की ओर से जारी हेल्थ इंश्योरेंस कार्ड.
9. पेंशन कार्ड जिसपर आपकी फोटो लगी हो और अटेस्टेड हो.
10. नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) की ओर से जारी स्मार्ट कार्ड.
11. MPs/MLAs/MLCs की तरफ से जारी आधिकारिक पहचानपत्र.

किसी और ने वोट डाल दिया तो क्या करें 
चुनाव आयोग के नियम में टेंडर वोट का प्रावधान है. इस नियम के तहत मतदान केंद्र पर पहुंचने पर यदि आपको ये पता चलता है कि आपका वोट पहले ही किसी ने डाल दिया है तो आप टेंडर वोट के जरिए उसे चुनौती दे सकते हैं. ऐसे परिस्थिति में आपको मतदान केंद्र पर मौजूद पीठासीन अधिकारी से शिकायत करनी होगी. 

पीठासीन अधिकारी आपसे जुड़े दस्तावेजों की पूरी जांच करेगा. यह जांच की जाएगी कि आपने जो दावा किया है क्या वह सही है? यदि आपका दावा सही निकलता है तो बैलेट पेपर के जरिए पीठासीन अधिकारी आपका टेंडर वोट डलवा सकता है. यदि आपका दावा गलत निकलता है तो फर्जीवाड़े के आरोप में आपको पुलिस के हवाले किया जा सकता है.

तेलंगाना में बीजेपी ने बढ़ाई कांग्रेस की चिंता
तेलंगाना विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार खत्म हो गया. भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), कांग्रेस और भाजपा सहित चुनाव में हिस्सा ले रही तमाम पार्टियों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी. कांग्रेस के लिए प्रचार सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण रहा, क्योंकि पार्टी के सामने खुद को बीआरएस के विकल्प के तौर पर पेश करने के साथ चुनावी लड़ाई को त्रिकोणीय बनने से रोकने की चुनौती थी.

लड़ाई को बनाया त्रिकोणीय 
कांग्रेस ने प्रदेश की ज्यादातर सीट पर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को सीधी टक्कर देने की कोशिश की, पर कई सीट पर भाजपा ने लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी. प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमारी पूरी कोशिश रही कि किसी तरह यह लड़ाई त्रिकोणीय न बने, क्योंकि, इससे सत्ता विरोधी वोट विभाजित हो सकते हैं. हालांकि कई सीट पर पार्टी नाकाम रही.

मिलीभगत का आरोप लगाया
कांग्रेस पार्टी बीआरएस और भाजपा पर लगातार मिलीभगत का आरोप लगाती रही. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जमीनी स्तर पर भाजपा बहुत मजबूत नहीं हैं पर कुछ सीट पर उसकी मौजूदगी से इनकार नहीं किया जा सकता. तेलंगाना में भाजपा सभी 119 सीट पर चुनाव लड़ रही है. ऐसे में जिन सीट पर भाजपा मजबूत है, वहां बीआरएस और कांग्रेस की लड़ाई में भाजपा अहम भूमिका निभाएगी. जिन सीट पर कांग्रेस और बीआरएस के बीच करीबी मुकाबला है, वहां भाजपा उम्मीदवार की मजबूती खेल बिगाड़ सकती है.

लगातार केसीआर की सरकार
119 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत का जादुई आंकड़ा 60 है. 9 साल से लगातार केसीआर की सरकार चली आ रही है. 2014 में तेलंगाना राज्य के गठन के बाद दो बार चुनाव हुए और दोनों चुनावों में केसीआर की तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने बहुमत हासिल किया. 2022 में के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने अपनी पार्टी टीआरएस का नाम भारत राष्ट्र समिति ( बीआरएस) कर दिया. पार्टी का नाम बदलने के बाद बीआरएस का पहले चुनावी मुकाबले में उतरी है.  हालांकि पार्टी का चुनाव चिह्न पुराना ही है.  

2001 में तेलंगाना राष्ट्र समिति बनाई 
केसीआर ने 2001 में तेलंगाना राष्ट्र समिति बनाई और अलग राज्य की मांग को लेकर राजनीतिक आंदोलन शुरू किया था. 3 अक्टूबर 2013 को मनमोहन सिंह की यूपीए-2 की सरकार ने तेलंगाना के गठन पर मुहर लगा दी. अप्रैल 2014 में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की 294 सीटों के लिए एकसाथ चुनाव हुए. आंध्र प्रदेश के हिस्से में 175 विधानसभा सीटें दी गईं, जबकि तेलंगाना विधानसभा के लिए 119 सीटों पर चुनाव कराए गए. कांग्रेस को उम्मीद थी कि नए राज्य के गठन का फायदा तेलंगाना में कांग्रेस को मिलेगा. लेकिन तेलंगाना में टीआरएस को 63 सीटें मिलीं. कांग्रेस के खाते में 21 सीटें आईं. इस चुनाव में केसीआर तेलंगाना के नए हीरो बनकर उभरे. 

2018 में 8 महीने पहले ही विधानसभा कर दिया भंग 
केसीआर की पहली सरकार का कार्यकाल अप्रैल 2019 में पूरा होना था, लेकिन केसीआर ने बड़ी चाल चल दी. उन्होंने आठ महीने पहले ही विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर दी और सितंबर 2018 में दूसरी बार तेलंगाना विधानसभा के लिए चुनाव हुए. अपनी इस रणनीति से उन्होंने विपक्ष को चुनाव की तैयारी करने का मौका भी नहीं दिया. 

2018 के विधानसभा चुनाव में केसीआर की टीआरएस को बंपर सीटें मिलीं. कांग्रेस को 19, बीजेपी को एक, लेफ्ट पार्टियों को एक और तेलगू देशम को सिर्फ दो सीटें मिलीं. 88 विधानसभा सीटें जीतकर केसीआर ने दूसरी बार सरकार बनाई. चुनाव के बाद केसीआर ने कांग्रेस को एक बड़ा झटका दिया. कांग्रेस के 12 विधायक टीआरएस में शामिल हो गए. 

इस बार बीआरएस के सामने सबसे बड़ी चुनौती
इस बार विधानसभा चुनाव में बीआरएस को नॉर्थ तेलंगाना में ही चुनौती मिल रही है, जो उनका गढ़ रहा है. 2014 में उन्होंने नॉर्थ तेलंगाना के जिलों आदिलाबाद, करीमनगर, निजामाबाद, मेडक के समर्थन के कारण ही सरकार बनाई थी. केसीआर का चुनाव क्षेत्र गजवेल, बेटे केटीआर की सीट सिरसिला और भतीजे हरीश की सीट राव की सीट सिद्दीपेट भी नॉर्थ तेलंगाना में ही है. 

दूसरी ओर दक्षिण तेलंगाना के लोग पहले से ही सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते रहे हैं. माना जाता है कि नॉर्थ तेलंगाना के लिए केसीआर ने कालेश्वरम प्रोजेक्ट पर सारा दमखम लगा दिया. सारी विकास योजनाएं उत्तर में ही केंद्रित रही. इस चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी ने उनपर परिवारवाद और करप्शन को लेकर हमला बोला है. दोनों मुद्दे साउथ तेलंगाना के लोगों को पसंद आ रहे हैं.


 

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