तेलंगाना में तीसरे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद रेवंत रेड्डी मुख्यमंत्री बने हैं. रेड्डी कोडंगल सीट से विधायक चुने गए हैं. शुरुआत में एबीवीपी से जुड़े रहने वाले रेवंत रेड्डी फुटबॉल के दीवाने हैं, वो माराडोना के फैन हैं. रेड्डी पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर विधायक का चुनाव जीता था. उसके बाद टीडीपी, टीआरएस में रहे. लेकिन अब कांग्रेस से विधायक बने हैं और मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. चलिए आपको उनकी पर्सनल से लेकर पॉलिटिकल लाइफ के बारे में बताते हैं.
एवी कॉलेज से पढ़ाई-
रेवंत रेड्डी का जन्म 8 नवंबर 1969 को तेलंगाना के नगरकुर्नूल के कोंडा रेड्डी पल्ले में हुआ था.उनके पिता का नाम अनुमुला रेवंत रेड्डी और माता का नाम अनुमुला रामचंद्रम्मा है. उनकी पढ़ाई-लिखाई हैदराबाद से एवी कॉलेज से हुई है. उन्होंने साल 1992 में फाइन आर्ट में ग्रेजुएशन किया.इसके बाद प्रिटिंग प्रेस का कारोबार किया. पढ़ाई के दौरान रेवंत रेड्डी एबीवीपी की छात्र राजनीति में सक्रिय रहे.
फुटबॉल की दीवाने, माराडोना के फैन-
कांग्रेस लीडर रेवंत रेड्डी को खेल भी पसंद है.उनका पसंदीदा खेल फुटबॉल है. जिसमें टीम वर्क होता है. रेड्डी अर्जेंटीना के दिग्गज फुटबॉलर डिएगो माराडोना के फैन हैं. उनको काफी पसंद करते हैं. रेवंत नॉनवेज खाने के शौकीन है.वो कभी एल्कोहल को हाथ नहीं लगाते हैं.
रेवंत रेड्डी की लव स्टोरी-
रेवंत रेड्डी ने कांग्रेस के वरिष्ठ लीडर जयपाल रेड्डी की भतीजी गीता से शादी की है. उनकी शादी की कहानी भी दिलचस्प है. बताया जाता है कि एक बार रेवंत रेड्डी नागार्जुनसागर डैम के पास बोट की सवारी कर रहे थे, इसी दौरान उन्होंने गीता को देखा था और उनसे प्यार कर बैठे थे. उस समय रेवंत पढ़ाई कर रहे थे. इसके बाद दोनों में मुलाकात हुई. रेवंत शादी करना चाहते थे, लेकिन गीता के परिवार वाले तैयार नहीं थे. हालांकि बाद में गीता के परिवार ने इसकी इजाजत दे दी. साल 1992 में 7 मई को रेवंत रेड्डी ने गीता रेड्डी ने शादी कर ली.
रेवंत रेड्डी की एक बेटी निमिशा है. जिसकी शादी बिजनेसमैन जी वेंकट रेड्डी के बेटे सत्यनारायण रेड्डी से हुई है.उन दोनों का एक बेटा भी है. रेवंत रेड्डी के भाई का नाम कोंडल रेड्डी है, जो कांग्रेस में हैं.
ABVP से छात्र राजनीति, 2009 में MLA-
रेवंत रेड्डी ने एबीवीपी से छात्र राजनीति की शुरुआत की. इसके बाद वो सियासत में आग बढ़ते चले गए. साल 2003 में उन्होंने टीआरएस ज्वाइन की. लेकिन जल्द ही उनका मोहभंग हो गया. साल 2006 में रेवंत ने मध्य मंडल ZPTC चुनाव में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे और जीत हासिल की. साल 2007 में रेड्डी आंध्र प्रदेश विधान परिषद के लिए चुने गए.इस चुनाव में वो स्वतंत्र उम्मीदवार थे. इसके बाद उनकी ख्याति बढ़ती चली गई.
साल 2008 में तेलुगु देशम पार्टी में जाने का मौका मिला. रेड्डी ने इस मौके को हाथ से नहीं जाने दिया. वो टीडीपी में शामिल हो गए. उन्होंने पार्टी के लिए मन लगाकर काम किया. इसका फायदा भी रेड्डी को मिला. टीडीपी ने साल 2009 में उनको कोडंगल विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया. रेवंत रेड्डी ने इस चुनाव में जीत दर्ज की और पहली बार विधायक बने.
पहली बार विधायक बनने के बाद रेड्डी का कद भी पार्टी में बढ़ने लगा. रेड्डी को टीडीपी में कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर भी काम करने का मौका मिला.लेकिन साल 2014 में तेलंगाना अलग राज्य बन गया. रेड्डी एक बार फिर कोडंगल से विधायक चुने गए.
करेंसी केस में गिरफ्तारी और प्रतिज्ञा-
साल 2015 में एमएलसी चुनाव में रेवंत रेड्डी को करेंसी केस में गिरफ्तार किया गया. रेड्डी ने इसे केसीआर की साजिश करार दी और केसीआर को कुर्सी से हटाने की कसम खाई. इसके बाद रेड्डी केसीआर के खिलाफ आक्रामक हो गए. इस बीच नए राज्य बनने के बाद चंद्रबाबू नायडू तेलंगाना पर फोकस करना छोड़ दिया. रेवंत रेड्डी के चाहने वाले नई पार्टी बनाने की बात कहने लगे. लेकिन जब इसकी भनक चंद्रबाबू नायडू को लगी तो उन्होंने रेवंत रेड्डी को पार्टी से निकाल दिया.
कांग्रेस में शामिल और प्रतिज्ञा पूरी की-
30 अक्टूबर 2017 को रेवंत रेड्डी को राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल किया गया. इसके बाद रेड्डी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. रेड्डी केसीआर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. रेड्डी काम करते रहे. लेकिन साल 2018 के चुनाव में वो कोडंगल से चुनाव हार गए. लेकिन एक साल बाद साल 2019 में वो मल्काजीगिरी से सांसद चुने गए. सांसद बनने के बाद दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से रेड्डी की नजदीकियां बढ़ी. इसका फायदा भी उनको हुआ.
साल 2021 में कांग्रेस ने तेलंगाना में पार्टी का अध्यक्ष बना दिया. इसके बाद रेड्डी और भी आक्रामक हो गए. उन्होंने पार्टी को एकजुट किया.रणनीति बनाकर केसीआर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला. रेड्डी की रणनीति रंग लाई और 2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी जीत मिली.
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