India-China Border Clash: LAC के पास इन 5 क्षेत्रों को लेकर रहता है भारत और चीन के बीच तनाव

India China border news:9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई. इसमें दोनों तरफ के सैनिक घायल हुए. इस झड़प पर अमेरिका ने भारत का साथ दिया है.

Indian, Chinese troops clashed
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:01 AM IST
  • तवांग झड़प पर भारत के सपोर्ट में अमेरिका
  • इसमें दोनों तरफ के सैनिक घायल हुए.

अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 9 दिसंबर को झड़प हुई. चीनी सैनिकों ने जैसे ही भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश की, भारतीय सैनिकों ने उन्हें खदेड़ दिया. दरअसल 300 से ज्यादा चीनी सैनिक 17 हजार फीट ऊंची चोटी तवांग पर कब्जे की फिराक में थे. तवांग में भारत-चीन सैनिकों की झड़प के मुद्दे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में मंगलवार को बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि, ''भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को LAC से खदेड़ा था. हमारा कोई भी सैनिक गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ है. चीन के इस प्रयास का हमारी सेना ने दृढ़ता के साथ सामना किया है.''

तवांग झड़प पर भारत के सपोर्ट में अमेरिका
इस झड़प पर अमेरिका ने भारत का साथ दिया है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के प्रेस सेक्रेटरी पैट राइडर ने कहा- चीन उकसावे की कार्रवाई करता है. हमें खुशी है कि भारत और चीन अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में झड़प के बाद जल्द ही अलग हो गए. हम दोनों देशों को बाइलैटरल चैनल के माध्यम से बातचीत करने का सुझाव देने के पक्ष में हैं. हम अपने मित्र देशों की सुरक्षा सुनिश्चित करते रहेंगे. अमेरिका ने एलएसी के पास चीन की ओर से सैन्यीकरण और सैन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण की आलोचना भी की है. 

बता दें, भारत और चीन, 3,440 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं. भारत और चीन के बीच एलएसी को लेकर 1993 और 1996 का समझौता लागू है. 1996 में दोनों देशों के बीच ये सहमति हुई थी कि सीमा पर बंदूक या विस्फोटक का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.


तवांग (अरुणाचल प्रदेश)
अरुणाचल प्रदेश का उत्तर-पश्चिमी जिला तवांग करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. ये पश्चिम में भूटान और उत्तर में तिब्बत की सीमा साझा करता है. अरुणाचल प्रदेश में तवांग बौद्धों का प्रमुख धार्मिक स्थल है. 1914 में जो समझौता हुआ था, उसमें तवांग को अरुणाचल प्रदेश का हिस्सा बताया गया था. 1962 के युद्ध में चीन तवांग पर काबिज था लेकिन युद्ध विराम में उसे हटना पड़ा था. लेकिन चीन आज भी एलएसी को स्वीकार नहीं करता है. जब तक चीन एलएसी को स्वीकार नहीं करेगा, झड़पों की गुंजाइश बनी रहेगी. चीन की मंशा रही है कि वह इस पोस्ट पर काबिज होने के बाद तिब्बत के साथ-साथ एलएसी की निगरानी भी करे. अगर चीन तवांग पर कब्जा कर लेता है तो अरुणाचल प्रदेश पर भी अपना दावा ठोक सकता है.

डोकलाम
डोकलाम एक तरह से ट्राई जंक्शन है, जहां से चीन, भूटान और भारत नजदीक है. चीन इस पर दावा करता है. साल 2017 में करीब 2.5 महीने तक डोकलाम पर भारत-चीन के बीच तनाव रहा था. दरअसल भूटान ने डोकलाम में चीन की ओर से बनाई जा रही सड़क का विरोध किया था. इसके समर्थन में भारत भी खुलकर आ गया था. भारत-चीन के बीच कई दौर की वार्ता के बाद यह गतिरोध कम हो सका था.

गलवान घाटी (लद्दाख)
गलवान घाटी लद्दाख और अक्साई चीन के बीच स्थित है. LAC अक्साई चीन को भारत से अलग करती है. अक्साई चीन को विवादित क्षेत्र इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस पर भारत और चीन दोनों ही अपना दावा करते हैं. ये घाटी चीन के दक्षिणी शिन्जियांग और भारत के लद्दाख तक फैली हुई है. गलवान नदी के पास होने के कारण इस इलाके को गलवान घाटी कहा जाता है. यहां भारत और चीन के सैनिकों के बीच जून 2020 में हिंसक झड़क हुई थी.

पैंगोंग झील (लद्दाख)
14256 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस पैंगोंग झील पर तापमान्य शून्य से भी कई डिग्री नीचे रहता है. पैंगोंग झील 134 किलोमीटर लंबी है. इसका 44 किलोमीटर क्षेत्र भारत में और करब 90 किलोमीटर क्षेत्र चीन में पड़ता है. 1684 में लद्दाख तथा तिब्बत के बीच तिंगमोसमांग की संधि हुई थी जिसके अनुसार यह झील लद्दाख तथा तिब्बत के बीच सीमा रेखा थी. एलएसी भी इसी झील से गुजरती है. इस क्षेत्र को लेकर भी विवाद होता है. 

नाथूला (सिक्किम)
नाथूला दर्रा सिक्किम और दक्षिणी तिब्बत की चुम्बी घाटी को जोड़ता है. यहीं से कैलाश मानसरोवर के तीर्थयात्री गुजरते हैं. यहां से भी अक्सर तनाव की खबरें सामने आती हैं.

 

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