Manoj Pandey: पाकिस्तानी बरसा रहे थे गोलियां, फिर भी एक-दो नहीं इतने बंकर कर दिए थे ध्वस्त, ऐसी है परमवीर चक्र विजेता की कहानी

Kargil War के दौरान कैप्टन मनोज कुमार पांडे  24 साल 7 दिन की उम्र में ही देश के लिए शहीद हो गए थे. शहीद होने से पहले उन्होंने पाकिस्तान के तीन बंकरों को ध्वस्त कर दिया था.  कैप्टन पांडे को हीरो ऑफ बटालिक भी कहा जाता है. 

Captain Manoj Kumar Pandey (photo twitter)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 03 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 4:43 PM IST
  • 3 जुलाई 1999 को शहीद हुए थे कैप्टन मनोज पांडे
  • कारगिल युद्ध में पाक सेना के छुड़ा दिए थे छक्के

भारत के वीर जवानों ने एक नहीं कई बार पाकिस्तानी सेना को धूल चटाई है. आज हम बात कर रहे हैं कारगिल युद्ध में अपने अदम्य साहस और नेतृत्व का परिचय देने वाले कैप्टन मनोज कुमार पांडे के बारे में, जिन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. गोरखा राइफल के कैप्टन पांडे 3 जुलाई 1999 को ही कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे. शहीद होने से पहले उन्होंने पाकिस्तान के तीन बंकरों को ध्वस्त कर दिया था.

 सेना में जाने का ठान लिया था
उत्तर प्रदेश के सीतापुर के रुधा गांव में 25 जून 1975 को मनोज कुमार पांडे का जन्‍म हुआ था. बचपन के कुछ साल मनोज ने अपने गांव में ही बिताए. बाद में उनका परिवार लखनऊ शिफ्ट हो गया. यहां उनका दाखिला सैनिक स्कूल में काराया गया. स्‍कूल के बाद उनके पास अपना करियर बनाने के लिए कई ऑप्‍शन थे, लेकिन उन्होंने सेना को चुना. उन्‍होंने ठान लिया था कि वे सेना में ही जाएंगे. इसलिए वे सुबह जल्दी जागते, व्‍यायाम करते इसके बाद बाकी काम.उन्‍होंने एनडीए में हिस्‍सा लिया और सफल हुए. एनडीए के इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि सेना में क्‍यों आना चाहते हो, तो उनका जवाब था मैं परमवीर चक्र जीतना चाहता हूं.

पहली तैनाती कश्मीर में हुई थी
मनोज ने पुणे के पास खड़कवासला स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रशिक्षण लिया और 1997 में 11 गोरखा रायफल्स रेजिमेंट की पहली वाहनी के अधिकारी बने. उनकी पहली तैनाती कश्मीर में हुई और सियाचिन में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी.  उन्होंने कुछ ही समय में पहाड़ों पर चढ़ने और घात लगाकर दुश्मन पर हमला करने की महारथ हासिल कर ली थी. पांडे सियाचिन में तैनात थे. अचानक उनकी बटालियन को करगिल में बुला लिया गया. यहां पाकिस्तान घुसपैठ कर चुका था. मनोज ने आगे बढ़ कर अपनी बटालियन का नेतृत्व किया. दो महीने में उन्होंने कुकरथांग, जबूरटॉप जैसी चोटियों पर दोबारा कब्जा कर लिया. 

खोलाबार चोटी पर कब्जा करने की सौंपी गई जिम्मेदारी
मनोज को इसके बाद उन्हें खोलाबार चोटी पर कब्जा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई. मिशन का नेतृत्व कर्नल ललित राय कर रहे थे. खोलाबार सबसे मुश्किल लक्ष्य था. इस पर चारों तरफ से पाकिस्तान का कब्जा था. पाकिस्तानी ऊंचाई पर तैनात थे. यह चोटी इसलिए अहम थी, क्यों कि यह दुश्मन का कम्युनिकेशन हब था. इसपर कब्जा करने का मतलब था कि पाकिस्तानी सैनिकों तक रसद और अन्य मदद में कटौती होना. इससे लड़ाई को अपने हक में किया जा सकता था. जब भारतीय सैनिकों ने इस पर चढ़ाई करना शुरू की तो पाकिस्तानियों ने गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पाकिस्तानियों ने तोप से गोले और लॉन्चर भी बरसाए. 

रात में ही चढ़ाई करने की बनाई थी योजना 
कमांडिंग अफसर के निर्देश के मुताबिक दो टुकड़ियों ने रात में ही चढ़ाई करने की योजना बनाई. एक बटालियन मनोज पांडे को दी गई। मनोज को चोटी पर बने चार बंकर उड़ाने का आदेश दिया गया. जब मनोज ऊपर पहुंचे तो उन्होंने बताया कि ऊपर चोटी पर 6 बंकर हैं. हर बंकर में 2-2 मशीन गनें तैनात थीं. ये लगातार गोलियां बरसा रहीं थीं. 

पैर में लग गई थी गोली
मनोज पांडे जब एक बंकर में घुस रहे थे तो उनके पैर में गोली लगी. इसके बावजूद वे आगे बढ़े और हैंड-टू-हैंड कॉम्बैट में दो दुश्मनों को मार गिराया. यहां उन्होंने पहला बंकर नष्ट कर दिया. लहूलुहान होने के बावजूद मनोज पांडे रेंगते हुए आगे बढ़े और उन्होंने दो और बंकरों को तबाह कर दिया. 

किसी को छोड़ना नहीं
इसके बाद एक और बंकर बचा था, जिसे नष्ट करने का उन्हें आदेश मिला था. जैसे ही मनोज पांडे उसे नष्ट करने के लिए आगे बढ़े, दुश्मन की बंदूक से उन्हें चार गोलियां लगीं लेकिन उन्होंने इसके बावजूद उस बंकर को भी उड़ा दिया.  कुछ पाकिस्तानी सैनिक वहां से भागने लगे, तो उनके मुंह से आखिरी शब्द निकला, 'ना छोड़नूं'  (किसी को छोड़ना नहीं). इसके बाद भारतीय जवानों ने उन्हें भी ढेर कर दिया. कैप्टन पांडे की बटालियन ने खोलाबार पर कब्जा कर लिया. 

हीरो ऑफ बटालिक भी कहा जाता है
कैप्टन मनोज कुमार पांडे  24 साल 7 दिन की उम्र में ही अपने देश के लिए शहीद हो गए. उन्हें मरणोपरांत सेना का सर्वोच्च मेडल परम वीर चक्र दिया गया. उन्हें हीरो ऑफ बटालिक भी कहा जाता है. 


 

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