साल 2025 का आगाज हो चुका है. हर साल की तरह यह साल भी लोगों के लिए कुछ न कुछ लेकर ही आया है. इसमें कई ऐसे फैसले हैं जो जनता के हित में साबित हो सकते हैं. साथ ही कई ऐसे भी मामले हैं जिनपर मंथन जारी है. चलिए एक-एक कर इनके बारे में बात करते हैं.
केंद्रीय बजट पर रहेगी लोगों की नजर
हर साल की तरह 1 फरवरी 2025 को केंद्रीय बजट पेश किया जाएगा. जिसे वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण सदन में पेश करेंगी. सूत्रों के अनुसार 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में कम इनकम वाले टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिल सकती है.
आम आदमी की बजट में खास नजर इसी पर होती है कि उसकी इनकम टैक्स छूट के दायरे में आ जाए या फिर उसे इनकम टैक्स कम देना पड़े. यानी अगला बजट निम्न आय वर्ग के लिए बड़ी राहत लेकर आ सकता है. हालांकि ज्यादा टैक्स स्लैब वालों के लिए कोई खास बदलाव होने की उम्मीद नहीं है. न्यू टैक्स रिजीम के तहत 3 लाख से 7 लाख के टैक्स स्लैब में आने वाले टैक्सपेयर्स को फायदा मिल सकता है. हालांकि माना जा रहा है कि सरकार न्यू टैक्स रिजीम के तहत छूट की सीमा को 3 लाख रुपये से ज्यादा भी बढ़ा सकती है.
एक देश एक चुनाव को लेकर होगा मंथन
साल 2025 में एक देश और एक चुनाव को लेकर भी बड़ा फैसला मुमकिन है. दिसंबर 2024 में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान ही सरकार ने इससे जुड़े बिल का ड्राफ्ट तैयार कर लोकसभा में पेश किया था. अब नए साल में देशव्यापी मंथन के बाद इसे कानूनी रूप दिया जा सकता है.
बिल के तहत देश में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव कराने की तैयारी है. हालांकि विपक्ष इसका विरोध कर रहा है, लेकिन अगर एक देश एक चुनाव, कानून के रूप में लागू हो गया, तो इसका बड़ा असर आने वाले सालों में देखने को मिल सकता है.
वक्फ पर नया कानून
2025 में वक्फ बोर्ड को लेकर संसद में नया कानून बन सकता है. हालांकि केंद्र सरकार ने 2024 में भी इससे जुड़े बिल को पास कराने की कोशिश की थी, लेकिन विपक्ष और सहयोगी दलों के दबाव के बाद इसे जेपीसी के पास भेज दिया गया. अब एनडीए सरकार वक्फ से जुड़े कानून में बदलाव को मंजूरी देना चाहती है, अगर ये कानून पास हो जाता है, तो देशभर में इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है.
डिजिटल तरीके से जनगणना
साल 2025 का आगाज एक बड़े फैसले से हो सकता है. माना जा रहा है कि इस साल यानी 2025 में जनगणना की शुरुआत हो सकती है, जो 2026 तक चलेगी. हर 10 साल में होने वाली जनगणना, 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था. सूत्रों के मुताबिक 2025 में राष्ट्रीय जनगणना की शुरुआत हो सकती है. इसके बाद जनगणना अगली बार 2035 में होगी.
देश में पहली बार जनगणना के आंकड़े डिजिटल तरीके से जुटाए और संकलित किए जाएंगे. इसके लिए विशेष पोर्टल तैयार किया गया है. इस पोर्टल में जातिवार जनगणना के आंकड़ों के लिए भी प्रावधान किए जा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक जातिवार जनगणना होने की स्थिति में पहली बार देश में मुसलमानों और अन्य मतों के अनुयायियों की भी जातियां गिनी जाएंगी.
केंद्र सरकार ने फिलहाल जनगणना के साथ जातिवार जनगणना कराने को लेकर औपचारिक फैसला नहीं किया है. लेकिन विपक्ष की ओर से जातिवार जनगणना को राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश को देखते हुए मोदी सरकार जातिवार जनगणना कराने का फैसला ले सकती है.