मंकीपॉक्स दुनिया भर के लोगों के लिए नई मुसीबत बन गया है. देश में मंकीपॉक्स के सात मरीज हैं और एक की जान चली गई है. अब तक यह वायरस 80 देशों में फैल चुका है. दुनियाभर में मंकीपॉक्स के 23,620 मामले सामने आ चुके हैं. अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. WHO के अनुसार 35 देश 1.64 करोड़ खुराक लेने के लिए कोशिश कर रहे हैं. इस वायरस से बचाव के लिए टीके की मांग भी तेज हो गई है.
भारत में क्या है स्थिति
मंकीपॉक्स के मामलों पर नजर रखने के लिए टास्क फोर्स बनाई गई है, जो बीमारी की जांच और रोकथाम के उपायों पर निर्देश देगी. देश में मंकीपॉक्स का पहला मरीज आने के बाद से ही सरकार ने गाइडलाइन जारी किया था. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओअदार पूनावाला ने कहा, उनकी कंपनी मंकीपॉक्स का टीका बनाने के लिए शोध कर रही है.
किन टीकों का किया जा रहा इस्तेमाल
अमेरिका, कनाडा, यूरोपीय संघ ने मंकीपॉक्स टीके के रूप में MVA-BN वैक्सीन का इस्तेमाल शुरू किया है. यह चेचक का टीका है. बाइडेन सरकार ने उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए 1,200 मंकीपॉक्स वैक्सीन्स के खुराक वितरित किए हैं. यूरोपीय देश मंकीपॉक्स के बचाव के लिए इम्वेनेक्स वैक्सीन लगा रहे हैं, इसे डेनिश दवा कंपनी बवेरियन नॉर्डिक ने तैयार किया है. जाइनॉस की भी दो खुराक दी जा रही है. कनाडा के अनुसार, यह मंकीपॉक्स को रोकने में 85 प्रतिशत प्रभावी है. एसीएएम-2000 टीका भी प्रभावी है. कई देशों में एहतियात के तौर पर इसे बुजुर्ग लोगों को दिया जा है.
कम मामलों में ही घातक होता है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स, एक वायरस के कारण होता है, जो स्मॉलपॉक्स की फैमिली का ही एक वायरस है. मंकीपॉक्स वायरस संक्रमित जानवरों से मनुष्यों में अप्रत्यक्ष या सीधे संपर्क के माध्यम से फैलता है. अधिकांश लोग मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के दो से चार सप्ताह में ठीक हो जाते हैं. मंकीपॉक्स बहुत कम मामलों में ही घातक होता है. हालांकि डब्ल्यूएचओ मंकीपॉक्स को लेकर वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर चुका है. मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार आ सकता है. इसेक साथ ही शरीर पर दाने हो सकते हैं. यह वायरस कटी-फटी त्वचा आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है.