इतिहास में तीसरी बार सुप्रीम कोर्ट को महिला जज बेंच मिली. जी हां, गुरुवार को जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की बेंच कोर्ट नंबर 11 में बैठी. बेंच ने 32 मामलों में सुनवाई की. इनमें 10 वैवाहिक विवाद के थे. 11 जमानत से जुड़ी ट्रांसफर याचिकाएं और अन्य 11 अलग-अलग विवादों से जुड़े थे. भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ द्वारा महिला जज बेंच की स्थापना की गई थी.इतिहास में यह केवल तीसरी बार है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक पूर्ण महिला न्यायाधीश पीठ की स्थापना की गई. पहली बार सुप्रीम कोर्ट में 2013 में एक महिला बेंच थी, जब जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा और रंजना प्रकाश देसाई एक साथ बैठी थीं. दूसरा मौका 2018 में आया जब जस्टिस आर भानुमति और इंदिरा बनर्जी ने 5 सितंबर को एक बेंच साझा की. शीर्ष अदालत में वर्तमान में केवल तीन महिला न्यायाधीश जस्टिस हिमा कोहली, बीवी नागरत्ना और बेला एम त्रिवेदी हैं. न्यायमूर्ति नागरत्ना 2027 में पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने की भी कतार में हैं. शीर्ष अदालत में वर्तमान में CJI सहित 27 न्यायाधीशों की क्षमता है, जबकि स्वीकृत शक्ति 34 न्यायाधीशों की है.
जस्टिस एम. फातिमा बीवी सुप्रीम कोर्ट को पहली महिला जज थीं
1989 में जस्टिस एम. फातिमा बीवी के रूप में सुप्रीम कोर्ट को पहली महिला जज मिली थी.सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में अब तक 10 महिलाएं जज रह चुकी हैं. सुप्रीम कोर्ट में एक दिन में अधिकतम तीन महिला वकीलों ने दलीलें पेश की हैं. ऐसा 33 बार हो चुका है।
कालेजियम की सिफारिशों को लेकर केंद्र और SC के बीच है रार
कालेजियम की सिफारिशों के तहत जजों की नियुक्तियां नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच रार जारी है. नियुक्तियों की फाइलें रोके जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है.