आज कल खेती करना आसान नहीं रह गया है. खेती करने में किसानों को तमाम तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में बढ़ती लागत, श्रम की कमी और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए समाधानों की कमी भी हो रही है. वहीं 20 साल के हैदराबाद के सूर्यापेट के रहने वाले एक लड़के के इन तरह की कई समस्याओं का समाधान खोज लिया है, और किसानों की मदद के लिए 9 आविष्कार किए हैं.
छठी कक्षा से करने लगे आविष्कार
किसानों के परिवार से ताल्लुक रखने वाले अशोक गोर्रे ने छठी कक्षा से ही अविष्कार करना शुरू कर दिया था. उसने बुनियादी उपकरणों के साथ शुरू किया और धीरे-धीरे किसानों के लिए उपयोगी मशीनरी डिजाइन बनाने लगे. उनके आविष्कारों, जैसे कि फोर-इन-वन साइकिल वीडर, पैडी हैंड वीडर, बीज बोने के उपकरण और छिड़काव मशीन को चारों ओर से सराहना मिली है. उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों ने उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पदक दिलाए हैं, और हाल ही में, उन्हें जून में आयोजित ग्लोबल इंडियन साइंटिस्ट टेक्नोक्रेट्स (जीआईएसटी) कार्यक्रम में यंग रूरल इनोवेटर अवार्ड से सम्मानित किया गया था अशोक दोनों तेलुगु राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले एकमात्र प्राप्तकर्ता हैं.
कम लागत में किसानों को बेहतर सुविधा देना है लक्ष्य
टीएनआईई से बात करते हुए, अशोक कहते हैं, “आज के समय में, खेत के काम के लिए दैनिक मजदूरों को ढूंढना, खासकर छोटे किसानों के लिए, जिनके पास कुछ एकड़ जमीन है, एक चुनौतीपूर्ण काम हो गया है. इसलिए, खेती किसानी के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल करना समय की मांग है. आज के दिन में भी कई लोग कृषि के लिए ड्रोन जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ये ग्रामीण क्षेत्र के किसानों को लिए काफी महंगा पड़ता है. इसलिए, मेरा लक्ष्य किफायती उपकरण और मशीनरी प्रदान करना है जो सीमांत और छोटे पैमाने के किसानों के लिए ऊर्जा और समय-कुशल हैं."
किसानों की जरूरत के हिसाब के बनाते हैं उपकरण
अशोक सक्रिय रूप से उन किसानों से प्रतिक्रिया मांगता है जिन्होंने उसके उत्पादों का उपयोग किया है और उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उन्हें संशोधित करता है. उनके नवाचारों में से एक, बीज बोने का उपकरण, पहले ही स्थानीय समुदाय में लगभग 200 किसानों की सहायता कर चुका है. वो कहते हैं, “टूल विकसित करने से लेकर मशीनरी तक, मैंने ऑनलाइन संसाधनों, इंटरनेट पर प्रासंगिक सामग्री, किताबों और, सबसे महत्वपूर्ण, व्यावहारिक अनुभव के माध्यम से स्व-शिक्षण के माध्यम से ज्ञान प्राप्त किया है. भविष्य में मेरा लक्ष्य स्वचालित मशीनों को विकसित करना है.”
युवा लोगों को भी इसमें करना चाहते हैं शामिल
इसके अलावा अशोक ग्रामीण युवाओं, छात्रों और कॉलेज छोड़ने वालों को कम अवधि के पाठ्यक्रमों की पेशकश और कार्यशालाओं का आयोजन करके प्रशिक्षित करने की इच्छा रखता है. अशोक कहते हैं, “ये कौशल विकास पाठ्यक्रम न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करेंगे बल्कि यह भी सुनिश्चित करेंगे कि बुनियादी प्रौद्योगिकियां हमारे राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचें. मैं अपने कौशल को और विकसित करने, अपने ज्ञान को साझा करने और नए विचारों को उत्पन्न करने के लिए हमारे गांव, अंजनी पुरम में एक अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करने की भी योजना बना रहा हूं। इन योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए समर्थन और निवेश की आवश्यकता होती है."
जुलाई में अमेरिका का दौरा करेंगे अशोक
जुलाई में, अशोक नेब्रास्का-लिंकन विश्वविद्यालय का दौरा करने के लिए तैयार हैं, जो अमेरिका में एक सार्वजनिक भूमि-अनुदान अनुसंधान विश्वविद्यालय है, जो अमेरिकन सोसायटी फॉर एग्रीकल्चर बायोलॉजिकल इंजीनियर्स (एएसएबीई) की वार्षिक बैठक में भाग लेने के लिए है. सम्मेलन में 100 से अधिक देशों की भागीदारी देखी जाएगी, और अशोक भारत के एकमात्र प्रतिनिधि होंगे.