वणक्कम काशी! अगले एक महीने तमिलनाडु से आए मेहमान कुछ ऐसे ही काशी का अभिवादन करते नजर आने वाले हैं. क्योंकि उत्तर और दक्षिण के महासंगम के लिए काशी तैयार है. जी हां ऐतिहासिक नगरी काशी भारत की दो पौराणिक संस्कृतियों के मिलन की गवाह बनने जा रही है. भारतीय सनातन संस्कृति के दो पौराणिक केंद्र विश्वेश्वर और रामेश्वर का मिलन बनारस में होने जा रहा है, जिसे काशी तमिल संगमम नाम मिला है.
एक भारत श्रेष्ठ भारत है थीम
बनारस के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एम्फीथिएटर ग्राउंड में ये आयोजन 19 नवम्बर से 16 दिसम्बर तक चलेगा. खास बात ये है कि अपने संसदीय इलाके में होने वाले इस संगमम का उद्घाटन करने खुद पीएम मोदी 19 नवंबर को वाराणसी आ रहे हैं. काशी-तमिल संगमम में इस बार एक भारत श्रेष्ठ भारत की थीम है. इसी थीम पर काशी सज धज भी रही है. इस मौके पर उत्तर-दक्षिण की संस्कृतियों, परंपरा, खानपान और शैलियों का संगम मन मोहने वाला है.
तमिल डेलीगेट्स करेंगे काशी का दौरा
करीब 12 समूहों में तमिलनाडु के अलग-अलग जिलों, कस्बों और तहसीलों से डेलीगेट्स काशी आने वाले हैं. यानी करीब ढाई हजार लोग इसमें शामिल होंगे. एक ग्रुप का यूपी का 4 दिन का दौरा रहेगा. जिसमें वो काशी की पौराणिक, आध्यात्मिक सभ्यता को जान सकेंगे. बनारस के साथ ये लोग अयोध्या और प्रयागराज भी जाएंगे.
कल से शुरू हो गया तमिलनाडु का कार्तिक मास
कल चेन्नई से करीब 200 लोगों के जत्थे को काशी के लिए रवाना किया गया और खुद राज्यपाल ने इन डेलीगेट्स की ट्रेन को हरी झंडी दिखाई. कल से तमिलनाडु का कार्तिक मास शुरू हो गया है. तमिल परंपरा के अनुसार तमिल लोग शिव मंदिरों में पूरे कार्तिक महीने में दीपक जलाते हैं. इस बार रामेश्वरम की धरती से पधारे ये लोग काशी विश्वनाथ धाम में दीपक जलाएँगे. उत्तर-दक्षिण के मिलन के इस एक महीने चलने वाले कार्यक्रम के लिए लोगों में भी गजब का उत्साह है.
तमिलनाडु के कलाकार करेंगे कला का प्रदर्शन
तमिलनाडु की संस्कृति की झलकियों के लिए हर शाम बीएचयू में सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे जिसमें तमिलनाडु के लगभग 500 कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे. इस पूरे महीने यहां तमिलनाडु के हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट, खाने पीने की वस्तुओं के साथ शैक्षणिक प्रदर्शनी भी लगेगी. यहां करीब 75 स्टॉल लगाए जा रहे हैं. साथ ही लघु फिल्मों के जरिए काशी के लोगों को तमिलनाडु के दर्शन भी कराए जाएंगे.
काशी में होगा मिनी तमिलनाडु का अहसास
काशी तमिल संगमम की खास बात ये है कि जब समूहों में आ रहे डेलीगेट्स चार दिन के यूपी दौरे के बाद अपने इलाकों में लौटेंगे तो उनके साथ यूपी में हो रहे विकास कार्यों की कहानियां होंगी. यही नहीं ये तमिल भाषी एक तरह से यूपी के ब्रांड एंबेसडर की भूमिका भी निभाएंगे. महीने भर तक काशी वासियों को मिनी तमिलनाडु के करीब होने का अहसास होगा.
बरसों पुराना है काशी और तमिलनाडु का नाता
यूं तो काशी और तमिलनाडु का नाता बरसों पुराना है. यहां भी लघु तमिलनाडु बसता है. काशी-तमिल समागम में आने वाले मेहमान काशी के हनुमान घाट इलाके में बसे इस लघु तमिलनाडु को देख सकेंगे जहां पीढ़ियों से यहां आकर बसे तमिल परिवार रह रहे हैं. इस संगमम के लिए जितना उत्साहित काशीवासी है उतना ही उत्साह तमिलों में भी है. इस महामिलन के जरिए दो हजार साल पुराने काशी तमिल रिश्तों को तो और मजबूती मिलेगी ही उत्तर और दक्षिण के बीच की दूरी को भी कम किया जा सकेगा. क्योंकि काशी तमिल संगमम न केवल सांस्कृतिक समन्वय है, बल्कि आर्थिक, धार्मिक, सामाजिक सामंजस्य का भी प्रतीक है.