प्राकृतिक नजारों के लिए मशहूर कश्मीर में आज कल चिनार के पतझड़ का मौसम है. घाटी में पतझड़ का नजारा देखने के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में लोग कश्मीर का पहुंच कर रहे हैं. लोग यहां आकर मौसम का आनंद ले रहे हैं.
जमीन ने ओढ़ी लाल चादर!
यहां आने वाले पर्यटकों का कहना है कि कोरोना की वजह से पिछले करीब दो साल से घरों में बंद थे. इस बार कोरोना के मामले थोड़े कम हुए और पर्यटन स्थल खुला तो कश्मीर आ गए. चिनार के पत्तों को झड़ते देखना काफी अच्छा लग रहा है. मौसम भी बहुत अच्छा है. ऐसा लग रहा है मानो जमीन ने लाल चादर ओढ़ ली हो. चारों तरफ ऐसा ही नजारा दिखाई दे रहा है.
सैलानियों से गुलजार कश्मीर
चिनारे के पत्ते अक्टूबर महीने से ही लाल होना शुरू हो जाते हैं और जैसे ही ये पत्ते जमीन पर गिरने लगते हैं, कश्मीर में ठंड का आगमन शुरू हो जाता है. यह महीना सैलानियों से गुलजार रहता है. लोग इस मौसम का जमकर आनंद लेते हैं. हजारों की संख्या में लोग पूरे परिवार के साथ यहां पहुंचते हैं और एंज्वॉय करते हैं. कोरोना की वजह से इस बार सैलानियों की संख्या में थोड़ी कमी है लेकिन, हर साल लाखों लोग इस मौसम का आनंद लेने के लिए यहा पहुंचते हैं.
पर्यटन से जुड़े लोगों को भी राहत
2 साल से कश्मीर में ठप पड़े पर्यटन उद्योग ने इस मौसम में कुछ राहत लाई है. पर्यटन से जुड़े लोगों की स्थिति ठीक हो रही है. लोगों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और पर्यटन उद्योग भी एक बार फिर से गुलजार होगा.
चिनार...जिनके पत्तों का रंग देखने हमेशा आती थीं इंदिरा गांधी
कश्मीर में मुगलों के दौर में जगह-जगह पर चिनार के पेड़ लगाए गए थे. यहां तक की अकबर ने चिनार के कई बाघ भी बनवाए थे जिनमें कश्मीर यूनिवर्सिटी के पास नसीम बाघ में 100 से भी ज्यादा चिनार हैं और यह विशाल चिनार के पेड़ आज भी कश्मीर की खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं. कश्मीर के चिनार के पतों का बदलता रंग देखने के लिए इंदिरा गांधी हमेश इस मौसम में कश्मीर आती थीं.