बच्चों और महिलाओं को ट्रैफिकिंग से बचाने के लिए कई सारी पहल की गई हैं. अब इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने और इससे निपटने के लिए कदम उठाया है. बाल तस्करी से निपटने और पीड़ितों के पुनर्वास और सुरक्षा में मदद करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद की जाएगी. इस पहल के हिस्से के रूप में, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पुनर्वास के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UT) को वित्तीय सहायता देगा. ये वो महिलाएं और बच्चे होंगे जिनकी पड़ोसी देशों से तस्करी की गई है.
घर से लेकर भोजन और स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाएंगी
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इसके तहत तस्करी पीड़ितों के लिए रहने के लिए घर, भोजन, कपड़े, कंसलटेंट, प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं और दूसरी दैनिक जरूरतें दी जाएंगी. अधिकारियों के मुताबिक, भारत मानव तस्करी का सोर्स भी है और डेस्टिनेशन भी है. नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार सोर्स हैं. इन देशों से बेहतर जीवन, नौकरी और अच्छी जीवन स्थितियों के लालच में महिलाओं और लड़कियों की तस्करी की जाती है.
नाबालिग लड़कियों और युवा महिलाओं की होती है तस्करी
तस्करी किए गए लोगों में से ज्यादातर नाबालिग लड़कियां या युवा महिलाएं हैं जिन्हें भारत में आने के बाद बेच दिया जाता है और कमर्शियल सेक्स वर्क में धकेल दिया जाता है. अधिकारियों ने कहा कि ये महिलाएं अक्सर मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद जैसे प्रमुख शहरों में पहुंचती हैं, जहां से उन्हें देश से बाहर मुख्य रूप से पश्चिम एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में ले जाया जाता है.
यही वजह है कि इन देशों की सीमा से लगे राज्यों को सीमा पर और भी ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. इसी के लिए उनके पास राहत और पुनर्वास देने के लिए अच्छी सुविधाएं हों, इसीलिए मंत्रालय वित्तीय सहायता देने वाला है. मिशन वात्सल्य के तहत ये सब किया जाएगा.
इससे पहले भी की जाती रही है मदद
गौरतलब है कि अब तक, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय देश के हर जिले में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) की स्थापना और मजबूती के लिए निर्भया फंड के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आर्थिक सहायता देता रहा है. इतना ही नहीं बल्कि बीएसएफ और एसएसबी जैसे सीमा सुरक्षा बलों में इन इकाइयों की स्थापना के लिए भी धन उपलब्ध कराया गया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अब तक, सीमा सुरक्षा बलों के 30 सहित 788 एएचटीयू कार्य कर रहे हैं.