रूस ने यूक्रेन को अपने हमलों से दहला दिया है.. हर बदलते दिन के साथ यूक्रेन (Ukraine) से भयावह तस्वीरें सामने आ रही हैं. इसी बीच एक पिता की तस्वीर भी आई है .ये पिता एक हाथ में फूल और दूसरे हाथ में मिठाई का डब्बा लिए अपने बेटे के लौटने की खुशी में डूबा है . इनका नाम राजकुमार है जो अपनी पत्नी और दो बेटों के साथ दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल 3 पर खड़े हैं. इन तस्वीरों का देख कर हर कोई यही कहेगा कि किसी अपने का उस देश से सही सलामत लौट आना कितना मायना रखता है जहां पर जान की कीमत सस्ती हो गई हो. लेकिन इस कहानी से अलग राजकुमार की भी एक कहानी है जिसे जानना जरूरी है क्योंकि आने वाले समय में ये कहानियां हमेशा याद की जाएंगी. ऐसा इसलिए क्योंकि ये कहानी एक जज्बे की है एक सपने की है और इस सब से बढ़ कर सपने को सच कर लेने की है.. तो आईये जानते हैं.
दिल्ली एयरपोर्ट पर खड़े एक बेहद ही साधारण सा दिखने वाले इस शख्स का नाम राजकुमार गुप्ता है. अपनी पत्नी और दो बेटों के साथ एयरपोर्ट के टर्मिनल 3 पर खड़े राजकुमार और उनकी पत्नी आज अपने बेटे को सही सलामत स्वदेश की जमीन पर देख कर खुश हैं. राजकुमार पेशे से Tv रिपेयर करने वाले हैं. इसी पेशे के साथ राजकुमार ने अपने बेटे को कुछ बड़ा बनाने का सपना देखा और इस सपने को सच करने के लिए दो बेटों को यूक्रेन से डॉक्टरी की पढ़ाई भी करवाई. राजकुमार के पहले बेटे का नाम अविनाश और दूसरे का नाम मोहित है. आज राजकुमार के दोनों ही बेटे अपने देश में डॉक्टरी के पेशे को बाखूबी निभा भी रहे हैं. अपनी छोटी सी नौकरी के साथ राजकुमार ने अपने बेटों को जिस तरह की तालीम दी वो वाकई सिर्फ एक जज्बे की ताकत थी.
राजकुमार बताते हैं बच्चों को अच्छी तालीम देने के लिए उन्होंने गांव की जमीन और बाग बेच डाली. इस तरह दो बेटों को डॉक्टर बनाया तीसरे बेटे निखिल को भी डॉक्टर बनाने के लिए उन्होंने यूक्रेन भेजा था. निखिल थर्ड ईयर का छात्र है. राजकुमार ने निखिल की पढ़ाई के लिए 60 लाख रुपये का लोन लिया है. लेकिन हालात की वजह से आज निखिल का कॉलेज छूट गया है और उनको पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर अपने देश वापस लौटना पड़ा है.
राज कुमार कहते हैं कि उनका सपना था कि वह तीनों बेटों को डॉक्टर बनाएं तीनों बच्चों को नेट (NET) का एग्जाम दिलवाया . बच्चों के अच्छे नंबर भी आए. क्योंकि राजकुमार सामान्य कैटेगरी में आते हैं इसलिए उन्हें देश में मेडिकल की सीट नहीं मिल पाई. मजबूरन उन्हें अपने बच्चों को यूक्रेन भेजना पड़ा. इस मजबूरी के चलते राजकुमार अपनी बात में बार-बार देश में आरक्षण पर भी सवाल करने लगते हैं वह कहते हैं कि देश में आरक्षण को लेकर सरकार को एक बार फिर से सोचना चाहिए. जो गरीब है उनको मदद मिलनी चाहिए ना कि धर्म और जाति के आधार पर सरकार को किसी तरह का कोई आरक्षण देना चाहिए. राज कुमार कहते हैं कि अगर वह सामान्य केटेगरी से नहीं होते तो उन्हें अपने बच्चों को विदेश में पढ़ाई के लिए नहीं भेजना पड़ता और आज उनके सबसे छोटे बेटे की जान खतरे में ना पड़ती. और आज राजकुमार के इतने पैसे खर्च होने के बाद भी उनके सबसे छोटे बेटे का सपना फिलहाल अधूरा रह गया है.
साथ ही राजकुमार को देश की सरकार पर भी भरोसा है .बेटे की अधूरी डिग्री के सवाल पर राजकुमार ने बताया कि उन्हें मोदी सरकार पर पूरा भरोसा है. वो कहते हैं कि मुझे यकीन है कि सरकार किसी भी गरीब का पैसा और मेहनत खराब नहीं होने देगी. उन्हें पूरी उम्मीद है कि मोदी सरकार उनके बेटे की पढ़ाई पूरी जरूर करवाएगी. वह मुस्कुराते हुए कहते हैं कि उनके दो बेटे डॉक्टर बन ही चुके हैं तीसरे बेटे को भी डॉक्टर बना कर मैं अपना सपना जरूर पूरा करूंगा.