UP Assembly By Election: 10 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव, BJP और Samajwadi Party के लिए क्या है चुनौती, जानें

UP Assembly By Election: उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाला है. इनमें से 9 विधानसभा सीटों के चुने हुए प्रतिनिधि लोकसभा सांसद चुने गए हैं. जबकि एक सीट समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी को एक आपराधिक मामले में जेल की सजा हुई है. जिसकी वजह से ये सीट खाली हुई है. लोकसभा चुनाव के बाद हो रहा उपचुनाव समाजवादी पार्टी और बीजेपी दोनों के लिए चुनौती बन गया है.

Yogi Adityanath and Akhilesh Yadav
अभिषेक मिश्रा
  • लखनऊ,
  • 28 जून 2024,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद अब खाली हुई 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव को लेकर के चर्चा तेज हो गई है. इन सीटों पर समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई है. इस चुनाव में बीजेपी अपनी साख बचाने की कोशिश के साथ चुनाव में उतरने जा रही है. जहां जीत बीजेपी के लिए बहुत जरूरी है तो वहीं अपने गठबंधन साथियों को साधना भी बड़ी चुनौती हो सकती है. खाली हुई सीटों में एक सीट पर निषाद पार्टी के विधायक और एक सीट पर आरएलडी के विधायक थे, जिस पर दोनों दल अपना दावा ठोक रहे हैं.

इन 9 सीटों पर किसका है कब्जा-
देखने वाली बात है कि 9 विधानसभा सदस्यों के लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद सीटें खाली हो गई थीं, जबकि कानपुर के सीसामऊ से समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी को एक आपराधिक मामले में जेल की सजा सुनाए जाने के बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया था. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में इनमें से 5 सीटें समाजवादी पार्टी ने जीती थीं, जबकि 1 सीट राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) को मिली थी, जो तब एसपी के साथ गठबंधन में थी और अब एनडीए का हिस्सा है. तीन सीटें बीजेपी को मिली थीं और एक सीट बीजेपी की सहयोगी पार्टी निषाद पार्टी के खाते में गई थी.

उपचुनाव पर एनडीए सहयोगियों की नजर-
भले ही आंकड़ों से लिहाज से इस चुनाव की जीत बीजेपी और समाजवादी पार्टी को सदन में कोई खास बढ़त नहीं देने वाली है, लेकिन इसके राजनैतिक मायने बड़े हैं. इस बार उपचुनाव भले ही मात्र 10 सीटों पर हो रहा हो, इनके नतीजों का असर पक्ष और विपक्ष दोनों के मनोबल पर जरूर पड़ेगा. वहीं बीजेपी के सहयोगी भी इस चुनाव में अपनी हिस्सेदारी देख रहे हैं. निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद का कहना है कि उनकी पार्टी की विधानसभा चुनाव में जो सीट थी, उस पर वह उपचुनाव भी लड़ेगी. सहयोगियों का मानना है कि बीजेपी बहुत अच्छे से गठबंधन धर्म निभाना जानती है.

वहीं आरएलडी प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा कि आरएलडी अपनी एक सीट पर तो चुनाव लड़ेगी ही, वहीं एक और सीट की उम्मीद रखती है. उन्होंने कहा कि आरएलडी का जनाधार पिछले चुनाव में बढ़ा है और हमने दोनों सीटों पर अपनी जीत हासिल की. बीजेपी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़ी मदद की है. वहीं निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद भी एक सीट पर अपने ही प्रत्याशी को बढ़ाने की बात पहले कह चुके हैं.

बीजेपी और समाजवादी पार्टी के लिए चुनौती-
दूसरी तरफ बीजेपी इन चुनाव को महत्वपूर्ण बताती है. बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि हाल के लोकसभा चुनाव में हार को भूलकर इस चुनाव में जीत हासिल करना पार्टी का सबसे बड़ा संकल्प है. जिसके लिए जिताऊ कैंडिडेट इन सभी 10 सीटों पर उतारे जाएंगे. इन सीटों पर पार्टी का उम्मीदवार होगा या सहयोगी दलों का, यह फैसला शीर्ष नेतृत्व करेगा. लेकिन एनडीए की जीत सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी.

ये उपचुनाव इंडिया एलायंस के अपने जीत के सिलसिले को बनाए रखने के लिए भी चुनौतीपूर्ण है. इस मामले पर समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव से उत्साहित पार्टी यूपी चुनाव की 10 सीटों पर तैयारी शुरू कर चुकी है और हमने अपना संगठन भी मजबूत किया है. समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव की तरह ही जनता के मुद्दों के साथ इन उपचुनाव में भी जीत हासिल करने जा रही है और बीजेपी को उपचुनाव में हर का सामना करना पड़ेगा.

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